घुप अंधेरा, बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं: डर और जिंदा बचने की जद्दोजहद में यहां हर कोई घंटो छटपटाता रहा, हादसे की कहानी मलबे नीचे दबे 17 साल के सूरज की जुबानी

 

जानकारी देता 17 साल का सूरज।

मौत का मंजर था, किसी की चीख निकल रही थी तो कोई दर्द के मारे कराह रहा था। मलबे के नीचे कोई बुजुर्ग दबा हुआ था तो कोई बच्चा। कोई चोटिल होकर बच निकला तो कोई काल का ग्रास बन गया और कोई मौत को ही मात देकर निकल आया।

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अस्तपाल में इलाज करवाता घायल मजदूर।

17 साल का सूरज भी तरावड़ी की शिव शक्ति राइस मिल की तीन मंजिला बिल्डिंग में दबने वालों में से एक था। डर के मारे उसकी चीख निकल रही थी। पर वहां कोई सुनने वाला नहीं था। उसे लग रहा था कि अंधेरे में मौत का पंजा धीरे धीरे उसकी ओर बढ़ रहा है। करीब ढाई घंटे तक सूरज मलबे के नीचे दबा रहा। उधर रेस्क्यू ऑपरेशन भी जारी था। रेस्क्यू टीमें मलबे को हटाए जा रही थी ताकि दबे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। सूरज मलबे के नीचे दबा हुआ था और उसे अपनी मौत सामने दिख रही थी।

सिविल अस्पताल में भर्ती मलबे के नीचे दबे मजदूर।

सिविल अस्पताल में भर्ती मलबे के नीचे दबे मजदूर।

कैसे हुई घटना, सुनिये सूरज की जुबानी।

सोचा था आज मर जाऊंगा-

दिन में काम करके थके हारे हुए आए थे और मजदूर गर्मी से परेशान थे। कुछ सो भी रहे थे। साढ़े तीन बजे अचानक भूचाल सा आया और बिल्डिंग का लेंटर नीचे आ गिरा। बहुत से मजदूर मलबे के नीचे दब गए थे। सूरज बताता है कि वह ऐसी जगह फंसा हुआ था, जहां पर बिल्कुल छुप अंधेरा था, बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। सांस फूलने लगी थी। मन में मौत की दहशत थी। लेकिन जहां पर वह फंसा हुआ था उसके ऊपर थोड़ी से सुरक्षा थी।

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हादसे के बाद मौके पर मौजूद भारी पुलिसबल प्रवासी मजदूरों को समझाते हुए की फाइल फोटो।

हादसे के बाद मौके पर मौजूद भारी पुलिसबल प्रवासी मजदूरों को समझाते हुए की फाइल फोटो।

अढ़ाई घंटे तक फंसा रहा मलबे नीचे

वह ढाई घंटे तक एक ही स्थान पर फंसा हुआ था और हिल ढुल भी नहीं पा रहा था। उसके हाथ में चोट थी और वह दर्द से कराह रहा था। सोचा था कि आज तो मर जाऊंगा, लेकिन तभी रेस्क्यू टीम मलबा हटाते हटाते हुए उस तक पहुंची और वह सकुशल बाहर निकाल लिया गया। जिससे वह बच गया और उसे अस्पताल में भर्ती करवाया। बाहर निकलने के बाद सूरज ने भगवान का लाख लाख शुक्र है कि मैं बच गया लेकिन कुछ साथी इस हादसे में मारे गए है, उसी मंजर को देख देख कर दिल बैठा जा रहा है।

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सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती मलबे नीचे दबा मजदूर।

सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती मलबे नीचे दबा मजदूर।

जैक से उठाया गया था लेंटर

सूरज ने बताया कि अभी मिल के मालिकों द्वारा इमारत का लेंटर जैक से उठाया हुआ था और बिल्डिंग में बरसात का पानी भी मर रहा था और उसी वजह से बिल्डिंग ध्वस्त हो गई। वहीं सामने यह भी आ रहा है कि ठेकेदार ने बड़ी लापरवाही बरती है। करीब दस सालों से मजदूर इस बिल्डिंग में रह रहे थे। आलम यह था कि ठेकेदार द्वारा एक कमरे में आठ से दस लोगों को रखा जाता था। यहां पर ना तो कोई सुनने वाला था और ना ही कोई कहने वाला। सब कुछ रामभरोसे ही चल रहा था और उसी लापरवाही के कारण आज उनके चार साथियों की जान चली गई, जबकि हम लोग भी मलबे में दब गए।

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मृतको के परिजनों को सांत्वना देते आप पार्टी के नेता।

मृतको के परिजनों को सांत्वना देते आप पार्टी के नेता।

आप पार्टी के नेता भी पहुंचे मृतकों के परिजनों से मिलने

बता दें कि ्र मंगलवार शाम को चारो प्रवासी मजदूरों के शवों का पोस्टमार्टम करवा कर पुलिस ने शव परिजनों के हवाले कर दिए थे। शाम को आप पार्टी के नेता सुशील गुप्ता व अशोक तंवर भी परिवार को सांत्वना देने पहुंचे। वहीं उन्होंने सरकार से मांग की मृतकों के परिवारों को 8 लाख रुपए नहीं बल्कि 1 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाए। ताकि मृतकों के परिवारों का अच्छे से गुजारा बसर हो सके।

राइस मिल के मालिक पर मामला दर्ज

तरवाड़ी थाना के SHO संदीप सिंह ने बताया कि पुलिस ने मृतकों के परिजनों की शिकायत के आधार पर राइस मिल के मालिक रमेश गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है। इस मामले की जांच के लिए दो टीमों को गठन भी प्रशासन की तरफ से कर दिया गया है।

 

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