करनाल में थाली बजाकर किसानों ने किया प्रदर्शन: जिला सचिवालय में ज्ञापन लेने नीचे नहीं आए DC तो किसानों धरना देकर लंगर किया शुरू

थाली बजाकर प्रदर्शन करते किसान।

हरियाणा में पिछले दिनों हुई बेमौसम बरसात व ओलावृष्टि से किसानों की ज्यादातर गेहूं की फसल बर्बाद हो चुकी है जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। वही किसान शुरू से ही मुआवजे की मांग कर रहे हैं। जिसके चलते आज भी भारतीय किसान यूनियन टिकैत ग्रुप ने करनाल की सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ मुआवजा लेने के लिए थाली बजाकर प्रदर्शन किया।

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प्रदर्शन करते जिला सचिवालय पहुंचे किसान।

प्रदर्शन करते जिला सचिवालय पहुंचे किसान।

प्रदर्शन करते हुए जब किसान जिला सचिवाल पहुंचे तो प्रशासनिक अधिकारी ज्ञापन लेने के लिए नीचे आए। लेकिन किसानों ने कहा वह DC को ज्ञापन देगें और DC ही जिला सचिवालय के नीचे आकर खुद ज्ञापन लेगें। किसानों से मिलने आए अधिकारियों ने कहा DC साहब छुट्‌टी पर है। लेकिन अपनी मांग पर अड़े रहे। बाद में किसानों ने जिला सचिवालय में धरना देकर वहीं पर लंगर शुरू कर दिया। किसानों की मांग है DC खुद नीचे आकर उनका ज्ञापन ले। तब वह जिला सचिवालय से उठेंगे।

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जिला सचिवालय में धरने पर बैठे किसान।

जिला सचिवालय में धरने पर बैठे किसान।

दोपहर को जाट भवन में एकत्रित हुए थे किसान

बता दें कि किसान आज दोपहर को सेक्टर स्थित जाट भवन में एकत्रित हुए थे। वहां से थाली बजाते हुए संकडौ की संख्या में किसान सचिवालय पहुंचे। किसानों की एक ही मांग है कि किसानों की खराब फसल की सीधी गिरदावरी करा कर उनको मुआवजा दिया जाए । यह प्रदर्शन भारतीय किसान यूनियन टिकैत ग्रुप के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष रतन मान की अध्यक्षता में किया गया।

जिला सचिवालय में लंगर शुरू करते किसान।

जिला सचिवालय में लंगर शुरू करते किसान।

25 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजे की है मांग

​​​​​​​भारतीय किसान यूनियन टिकैत ग्रुप के प्रदेश अध्यक्ष रतन मान ने कहा कि बेमौसम बरसात व ओलावृष्टि से किसानों की अकेले करनाल में लाखों एकड़ गेहूं की फसल तबाह हो चुकी है। जिसके चलते वह किसान को मुआवजे के तौर पर ₹25000 प्रति एकड़ के हिसाब से सरकार से मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि मेरा फसल मेरा ब्योरा पर जो सिस्टम सरकार ने पंजीकरण का चलाया हुआ है वह सही नहीं है वहीं अगर दूसरे पड़ोसी राज्यों की बात करें किसी भी राज्य में ऐसा सिस्टम नहीं है वह सीधी गिरदावरी करवाकर मुआवजा देने की बात कहती है तो हरियाणा सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती।

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धरने पर बैठकर जिला सचिवालय के अंदर लंगर लेते किसान।

धरने पर बैठकर जिला सचिवालय के अंदर लंगर लेते किसान।

तीन लोगों की कमेटी बनाकर करवाई जाए गिरदावरी

​​​​​​​रतनमान ने कहा कि हरियाणा सरकार को चाहिए कि प्रत्येक गांव में गांव का एक नंबरदार, उस गांव का पटवारी उसी गांव से संबंधित कृषि विकास अधिकारी इन तीन लोगों को लेकर एक कमेटी बनाई और धरातल पर जाकर उनकी गिरदावरी करा कर जिसको जितना नुकसान हुआ है उस आधार पर सीधा मुआवजा दें। उन्होंने कहा कि पोर्टल के जरिए गिरदावरी करवाना सरकार अपने चहेते लोगों को ही फायदा पहुंचाती है पहले भी देखा गया है कि जो पोर्टल के तहत किसानों को मुआवजा दिया जाता है। वह वही किसान होते हैं जो मुआवजा के हकदार नहीं होते और प्रशासनिक और सरकार के लोगों के जानकार होते हैं।

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पोर्टल के जरिए मुआवजा देने का तरीका सहीं नहीं

उन्होंने कहा कि पोर्टल के जरिए मुआवजा देना सही तरीका नहीं है इसलिए उसको सीधा गिरदावरी कराकर किसानों को मुआवजा दिया जाए । आपको बता दें कि बरसात के दिनों में करनाल में खराब हुई गेहूं की फसल का दौरा करने के लिए राकेश टिकैत भी पहुंचे थे जिन्होंने सरकार के द्वारा किसानों को मुआवजा देने की बात कही थी।

 

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