आदमपुर में कमल ‘खिलने’ के आसार: मतदान प्रतिशत भजनलाल परिवार के हक में; 70 से 80% वोटिंग में हमेशा यही जीते

 

हिसार की आदमपुर सीट पर इस बार कमल खिलने के आसार हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कल हुए उपचुनाव में 76.51% मतदान हुआ है। यह वोटिंग % पूर्व CM चौधरी भजनलाल परिवार की जीत के लिए हमेशा मुफीद रहा है।

आदमपुर में कमल ‘खिलने’ के आसार: मतदान प्रतिशत भजनलाल परिवार के हक में; 70 से 80% वोटिंग में हमेशा यही जीते

आदमपुर सीट पर जब-जब 70 से 80% के बीच मतदान हुआ तो भजनलाल परिवार यह सीट जीतने में कामयाब रहा। इस बार भी आंकड़ा परिवार का गढ़ बचाने उतरे भव्य बिश्नोई के हक में है। आदमपुर सीट पर मतगणना 6 नवंबर को होनी है।

भव्य जीते तो आदमपुर की जनता का सत्ता के विरोध में रहने का 26 साल का बनवास खत्म हो जाएगा। इन वर्षों में आदमपुर से MLA तो भजनलाल परिवार से बना लेकिन वह हमेशा विपक्ष में ही रहे। भाजपा और भव्य बिश्नोई जीते तो यही उनकी जीत की सबसे बड़ी वजह भी रहेगी। भव्य की टक्कर में यहां से कांग्रेस ने जयप्रकाश, AAP ने सतेंद्र और इनेलो ने कुरडाराम नंबरदार को उतारा है।

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वोटिंग % कैसे भव्य के हक में, यहां देखिए
आदमपुर उप चुनाव में 3 नवंबर यानी कल 76.51% वोटिंग हुई। पिछले यानी 2019 में 75.79% वोटिंग हुई थी। इस चुनाव में कुलदीप बिश्नोई जीते। उन्होंने भाजपा की चर्चित नेता सोनाली फोगाट को 29 हजार वोट से हराया था। इससे पहले 2014 के विधानसभा चुनाव में 78.21% प्रतिशत वोटिंग हुई। तब कुलदीप बिश्नोई ने INLD के कुलवीर सिंह को 17 हजार वोट से हराया। 1968 से लेकर 2019 तक इस सीट पर 70 से 81% ही मतदान होता रहा है। हर बार यहां भजनलाल परिवार ही जीतता रहा है।

आदमपुर में इन्हीं 3 उम्मीदवारों के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है।

सत्ता विरोधी लहर नहीं क्योंकि ऐलनाबाद उप चुनाव से कम वोटिंग हुई
राजनीतिक माहिर मानते हैं कि चुनाव में जब मतदान ज्यादा होता है तो उसे सत्तापक्ष के खिलाफ बदलाव का माना जाता है। आदमपुर से पहले अक्टूबर 2021 के ऐलनाबाद उपचुनाव हुए। जिसमें 81% से ज्यादा मतदान हुआ। यह सीट इनेलो ने जीती। तब माना गया कि सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी उन्हें मतदान केंद्र तक खींच लाई। इसके उलट आदमपुर में ऐलनाबाद उपचुनाव के बराबर तो दूर, यह आंकड़ा पिछली बार यानी 2019 से 1% भी ज्यादा नहीं है।

कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस में थे। अचानक उनकी भूपेंद्र हुड्‌डा से नाराजगी हुई और वह बेटे भव्य बिश्नोई समेत भाजपा में शामिल हो गए।

कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस में थे। अचानक उनकी भूपेंद्र हुड्‌डा से नाराजगी हुई और वह बेटे भव्य बिश्नोई समेत भाजपा में शामिल हो गए।

जानिए कैसे अंतिम समय में BJP की रणनीति कारगर नजर आ रही?
आदमपुर उपचुनाव भले ही भजनलाल परिवार की विरासत से जुड़ा हो लेकिन हरियाणा BJP ने भी इसकी पूरी रणनीति बनाई। कैंडिडेट चयन से लेकर चुनाव प्रचार तक पर स्ट्रेटजी बना काम हुआ। इसके कुछ प्रमुख प्वाइंट्स पढ़िए :-

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  • कुलदीप बिश्नोई का जीत के बाद आदमपुर के लोगों से न मिलना सबसे बड़ी नाराजगी थी। BJP इसे पहले ही भांप गई। इसलिए कुलदीप की जगह भव्य बिश्नोई को टिकट दी।
  • भाजपा ने आदमपुर की जनता को भी मैसेज दिया कि उनकी नाराजगी जायज है। इसलिए कुलदीप को इस बार टिकट नहीं दी।
लगातार 2 उपचुनाव हारी भाजपा ने आदमपुर से कुलदीप बिश्नोई की जगह उनके बेटे भव्य बिश्नोई पर दांव खेला ताकि कुलदीप से लोगों की नाराजगी भाजपा के लिए मुश्किल न बने।

लगातार 2 उपचुनाव हारी भाजपा ने आदमपुर से कुलदीप बिश्नोई की जगह उनके बेटे भव्य बिश्नोई पर दांव खेला ताकि कुलदीप से लोगों की नाराजगी भाजपा के लिए मुश्किल न बने।

  • कुलदीप के पार्टी में आते ही 26 साल से विपक्ष में बैठे आदमपुर में विकास कार्य शुरू करा दिए। इसके लिए उपचुनाव का इंतजार नहीं किया। जिससे आदमपुर की जनता में भरोसा बढ़ा।
  • प्रचार के अंतिम दिन CM मनोहर लाल प्रचार करने पहुंचे। सरकार से विकास का भरोसा दिलाया। दादी जसमा देवी से भव्य के लिए वोटिंग अपील करा इमोशनल कार्ड भी खेला। सबसे अहम डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला इसी रैली में शामिल कर जजपा के वर्करों को भी साथ आने का स्पष्ट संकेत दे दिया।
प्रचार के अंतिम दिन आदमपुर पहुंचे CM मनोहर लाल ने सियासी रणनीति अपनाई। विकास का वादा तो किया लेकिन स्व. भजनलाल की पत्नी जसमा देवी से पोते के लिए वोटिंग अपील करवा भजनलाल परिवार से लोगों के इमोशनल जुड़ाव को भी कैश करने की कोशिश की।

प्रचार के अंतिम दिन आदमपुर पहुंचे CM मनोहर लाल ने सियासी रणनीति अपनाई। विकास का वादा तो किया लेकिन स्व. भजनलाल की पत्नी जसमा देवी से पोते के लिए वोटिंग अपील करवा भजनलाल परिवार से लोगों के इमोशनल जुड़ाव को भी कैश करने की कोशिश की।

भजनलाल परिवार में अंतिम बार चंद्रमोहन ने भोगा सत्ता सुख
भजनलाल 2 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। अंतिम बार उनका कार्यकाल 1991 से लेकर 1996 तक रहा। इसके बाद वे कभी CM नहीं बन सके। 2004 में कांग्रेस ने चौधरी भजन लाल के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा। तब कांग्रेस ने 67 सीटें जीती लेकिन CM भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा बन गए। भजन लाल को खुश रखने के लिए कांग्रेस ने उनके बड़े बेटे चंद्रमोहन को डिप्टी सीएम बनाया। हालांकि कुलदीप बिश्नोई इस सौदेबाजी से खुश नहीं थे। इसलिए 2007 में आकर उन्होंने हजकां का गठन कर दिया। फिजा प्रकरण के चलते डिप्टी सीएम चंद्रमोहन की दिसंबर 2008 में कुर्सी भी चली गई। तब से भजन लाल का परिवार सत्ता सुख नहीं भोग सका।

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… तो कायम रहेगा भजनलाल का गढ़
आदमपुर विधानसभा से अब तक पूर्व सीएम भजन लाल का परिवार ही चुनाव लड़कर जीतता आ रहा है। वर्ष 1967, 1972, 1977 और 1982 में खुद भजनलाल यह सीट जीतते आए। 1987 में उनकी पत्नी जसमा देवी चुनाव जीती। 1990, 1996, 2000, 2005 और 2008 में फिर भजनलाल जीते। 1998 के उप चुनाव और 2009, 2014 व 2019 में कुलदीप बिश्नोई विधायक बने। 2011 के उपचुनाव में कुलदीप की पत्नी रेणुका बिश्नोई जीती। इस तरह से 12 सामान्य और तीन उप चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार का ही दबदबा रहा। इस बार तीसरी पीढ़ी के भव्य बिश्नोई पर गढ़ बचाने का दारोमदार है।

भाजपा ऐलनाबाद और बरोदा से उपचुनाव हार चुकी है। अब आदमपुर से चुनाव जीती तो 2024 के विस चुनाव से पहले पिछली 2 हार का असर कम करने में मदद मिलेगी।

कांग्रेस के JP चौंकाएंगे या गुटबाजी कर देगी बंटाधार?
आदमपुर में भव्य के मुकाबले कांग्रेस ने हिसार से 3 बार के सांसद जयप्रकाश को उतारा। हालांकि प्रचार में उन्हें सिर्फ भूपेंद्र हुड्‌डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा का ही सहारा मिला। कांग्रेस के दूसरे हैवीवेट दिग्गज कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी नजर नहीं आई। वहीं बाहर से भी कांग्रेस का कोई नेता यहां प्रचार करने नहीं पहुंचा। ऐसे में गुटबाजी में बंटी कांग्रेस से क्या जयप्रकाश चौंका पाएंगे, इसको लेकर सवाल बरकरार हैं।

AAP के सतेंद्र को केजरीवाल का भी साथ नहीं मिला
पंजाब में 117 में से 92 सीट जीतकर चौंकाने वाली AAP आदमपुर में कमजोर दिखी। उम्मीदवार सतेंद्र को अरविंद केजरीवाल का भी साथ नहीं मिला। उनका रोड शो अचानक कैंसिल हो गया। पंजाब के CM भगवंत मान जरूर आए लेकिन सीट पर उनकी धमक कम ही नजर आई।

 

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