सूर्य ग्रहण पर श्रद्धालुओं ने ऐतिहासिक नागक्षेत्र सरोवर पर किया यज्ञ

 

आहुति डालकर क्षेत्र व समाज की सुख-शांति की कामना की

 

एस• के• मित्तल        

सफीदों, मंगलवार को सूर्य ग्रहण के अवसर पर नगर के श्रद्धालुओं ने नगर के ऐतिहासिक महाभारतकालीन नागक्षेत्र सरोवर पर यज्ञ किया तथा सरोवर में डुबकी लगाई। जैसे ही सूर्य ग्रहण काल शुरू हुआ नगर के दर्जनों श्रद्धालु नागक्षेत्र सरोवर पर पहुंचे और सरोवर के किनारे वैदिक मंत्रोचारण के बीच हवन-यज्ञ किया। संजीव गौत्तम के सानिध्य में आचार्य विमल शुक्ल ने पूरे विधि विधान के साथ श्रद्धालुओं की आहुतियां डलवाई।

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इस मौके पर यजमान के रूप में पूर्व तहसीलदार जयदेव माटा, महाबीर मित्तल, प्रमोद गौत्तम, राकेश दीवान व विकास तायल व निहाल गर्ग ने सहपरिवार शिरकत की। सूर्यग्रहण के दौरान हवन का महत्व बताते हुए संजीव गौत्तम व विमल शुक्त ने बताया कि ग्रहण काल में जप, तप, ध्यान, दान आदि करने से अनंत पुण्य मिलता है। भगवान वेदव्यास ने ग्रंथों में उल्लेख किया है कि ग्रहण के समय जो भी पुण्य, हवन, यज्ञ किया जाता है उसका एक लाख गुना अधिक फल सामान्य दिनों में किए गए हवन से प्राप्त होता है।

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ग्रहणकाल में किए गए पुण्यकर्मो से मनुष्य के पापों का नाश होता है। ग्रहण काल में स्नान, दान, जप, तप, पूजा पाठ, मन्त्र, तीर्थ स्नान, ध्यान, हवनादि शुभ कार्यो का करना बहुत लाभकारी रहता है। ग्रहण मोक्ष के उपरान्त पूजा पाठ, हवन, स्नान, छायादान, स्वर्णदान, तुलादान, गायदान, मन्त्र जाप आदि श्रेष्ठ होते हैं। ग्रहण काल के समय अर्जित किया गया पुण्य अक्षय होता है। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं को आरोग्य प्रदान करने, जन्म कुण्डली में ग्रहण व राहु दोष के निवारण के लिए तथा इलाके की सुख-समृद्धि के लिए इस यज्ञ का आयोजन किया गया। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि केवल सोशल मीडिया के द्वारा दिए गए ज्ञान पर ही विश्वास ना करें बल्कि विश्वसनीय विद्वान से संपर्क करके ही ग्रहण के प्रभाव के बारे में अवगत हों।

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उन्होंने आगामी 8 नवंबर को होने वाले चंद्र ग्रहण के अवसर को लेकर श्रद्धालुओं से खुला आह्वान किया कि वे अपने ऐतिहासिक नागक्षेत्र सरोवर पर आए आर इस विशेषकाल में जप-तप व यज्ञ द्वारा आरोग्य एवं सुख-शांति प्राप्त करें।

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