श्मशान घाट में जलती चिंता पर भरभराकर गिरा कंकरीट का शैड

बुजर्ग मृत्तक का अंतिम संस्कार करके जा चुके थे परिजन
शैड के गिरे मलबे को हटाकर चिता को किया गया व्यवस्थित
जांडियान श्मशान भूमि में वर्ष 2002 में बने थे ये शैड

एस• के • मित्तल     
सफीदों,     सफीदों शहर स्थित जांडियान श्मशान भूमि में रविवार दोपहर को जलती चिता के ऊपर कंकरीट का भारी भरकम शैड गिर गया। शैड के गिरने का मुख्य कारण इसका पुराना होना व इसकी छत पर बारिश का भरा होना माना जा रहा है। शैड के गिरने को लेकर मृत्तक के परिजनों व नगर के लोगों में गहरा रोष देखने को मिला। मिली जानकारी के अनुसार सफीदों शहर में एक व्यक्ति का देहांत हो गया था।
रविवार दोपहर को मृत्तक का सफीदों शहर स्थित जांडियन श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार करके परिजन व लोग वापिस लौट गए थे। चिंता की अग्रि जैसे ही शैड को छूने लगी जो आग का ताव ना सहकर वह शैड एकदम से भरभराकर जलती चिंता के ऊपर गिर गया। शैड गिरने की आवाज को सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और किसी ने इसकी जानकारी मृत्तक के परिजनों व श्मशान कमेटी को दी। सूचना पाकर मृत्तक के परिजन व श्मशान कमेटी के सचिव पदम प्रकाश सैन मौके पर पहुंचे और चिता के ऊपर गिरे मलबे को तत्काल हटाकर अधजले शव के ऊपर फिर से लकडिय़ां डालकर चिंता को फिर से प्रज्ज्वलित किया। गनीमत तो यह रही कि यह शैड उस वक्त नहीं गिरा जिस वक्त दाह संस्कार की प्रक्रिया की जा रही थी अन्यथा कोई भी बड़ा हादसा घटित हो सकता था। बताया जाता है कि इस श्मशान भूमि में चिताओं के ऊपर बने शैड वर्ष 2002 में किसी व्यक्ति ने अपने पिता की याद में बनवाए थे और वे अब जर्जर अवस्था में पहुंच चुके थे।
इस मामले में मृतक के परिजनों एवं नगरीय अनेक सामाजिक लोगों में गहरा रोष देखने को मिला। उन्होंने प्रशासन, नगरपालिका एवं श्मशान भूमि कमेटी से मांग की कि तत्काल चिताओं के ऊपर नए शैड बनवाएं जाएं ताकि इस प्रकार के हादसे फिर से घटित ना हों। इस मामले में वार्ड 10 के राजेश ने बताया कि उसके पिता 80 वर्षीय गोपीराम की आज मौत हो गई थी। उनके शव के अंतिम संस्कार की रस्म में वे जाँडिया वाले शमशान में चिता को अग्नि देकर घर गए थे। उसने बताया कि सात आठ मिनट बाद ही किसी ने फोन पर उन्हें शेड गिरने की सूचना दी। जिस पर वे तत्काल शमशान पहुंचे और मलबा हटाकर चिता को व्यवस्थित किया। वहीं स्वर्गधाम जांडियान सोसाइटी के सचिव पदम प्रकाश सैन ने बताया कि हादसे की सूचना पाते ही मलबे को चिता से हटा दिया गया।
शैड के काफी पुराना होने, बारिश का पानी छत पर जमा होने व आग की तपिश ना सहन कर पाने के कारण यह हादसा हुआ है। इस श्मशान भूमि में 2 शैड वर्ष 2002 में बनाए गए थे जिन्हे अब जल्द से जल्द नया बनवाया जाएगा। इसके अलावा 4 नए शैड़ों का निर्माण कार्य जारी है। उन्होंने पालिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि नगरपालिका की ओर से इस श्मशान भूमि में बड़े हॉल के निर्माण के लिए 25 लाख रूपए की ग्रांट आई थी। इस निर्माण कार्य को करने वाले ठेकदारों ने बिल्डिंग निर्माण का कार्य अधूरा छोड़ दिया है। जिसके कारण भी कई दिक्कत श्मशान कमेटी को पेश आ रही हैं।

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