वर्ल्ड स्जोग्रेन सिंड्रोम-डे: नाक, गला और आंखों में सूखापन मतलब स्जोग्रेन सिंड्रोम नई बीमारी, कुरुक्षेत्र आयुर्वेदिक कॉलेज में इलाज संभव

 

 

शरीर के जोड़ों में दर्द होने के साथ नाक, गला व आंखों का पानी सूखना गठिया रोग के साथ स्जोग्रेन सिंड्रोम एक नई बीमारी है। विशेषज्ञ स्जोग्रेन सिंड्रोम को ऑटोइम्यून डिजीज बता रहे हैं। हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत देशभर से स्जोग्रेन सिंड्रोम के केस सामने आ रहे हैं।

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अच्छी बात ये है कि हरियाणा के कुरुक्षेत्र सेक्टर-8 स्थित देश की एकमात्र श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में इसका सफल इलाज किया जा रहा है।

श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में पंचकर्म करता विद्यार्थी।

श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में पंचकर्म करता विद्यार्थी।

क्या है स्जोग्रेन सिंड्रोम

आयुर्वेदिक कॉलेज के पंचकर्म विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजा सिंगला के मुताबिक, स्जोग्रेन सिंड्रोम की समस्या 40 साल की उम्र के बाद पुरुषों की बजाय महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम शरीर में प्रवेश करने वाले किसी भी बाहरी तत्व के खिलाफ लड़ता है,लेकिन जब वह अपने ही शरीर की कोशिकाओं पर हमला करता है तो ऐसी स्थिति में ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होता है।

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स्जोग्रेन सिंड्रोम इम्यून सिस्टम से जुड़ी बीमारी है। इम्यून सिस्टम आंखों में आंसू और मुंह में लार पैदा करने वाली ग्रंथियां को खत्म कर देता है। इसी वजह से स्जोग्रेन सिंड्रोम जैसी बीमारी उभरकर सामने आती है।

स्जोग्रेन सिंड्रोम के लक्षण

-शरीर के जोड़े में दर्द

-मुंह में लार न बनना

-नाक और गले में सूखापन

-आंखों से आंसू न आना

-आंखों में लाली के साथ जलन

-त्वचा में रूखापन

-खाना निगलने में दिक्कत

-लगातार सुखी खांसी

-लंबे समय तक थकान रहना

नोट:-वक्त रहते इलाज न होने पर किडनी, लीवर और फेफड़ों को काफी प्रभावित करता है।

आयुर्वेदिक पद्धति (3 से 6 माह) में इलाज संभव

-आयुर्वेदिक कषाय (पहले 21 दिन)

-पंचकर्म चिकित्सा (21 दिन बाद)

-धूम वाष्प स्वेदन (आयुर्वेदिक जड़ी बुटियां की दूध व जल से भांप देना)

-ऑयल पुलिंग (मुंह में तेल धारण करना)

-वस्ती चिकित्सा एवं कवल गण्डूष।

पंचकर्म विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजा सिंगला।

पंचकर्म विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजा सिंगला।

चरक संहिता के अध्याय-29 में स्जोग्रेन सिंड्रोम का वर्णन

विशेषज्ञ डॉ. राजा सिंगला के मुताबिक, स्जोग्रेन सिंड्रोम वात रक्त का हिस्सा है। इसका चरक संहिता के चिकित्सा स्थान के अध्याय नंबर 29 में वर्णन किया गया है। डॉ. सिंगला ने बताया कि स्जोग्रेन सिंड्रोम को अन्य दवाईयों से थोड़े वक्त के लिए कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन आयुर्वेद के अलावा इसका किसी अन्य चिकित्सा पद्धति में अभी तक सफल ईलाज नहीं है।

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इंटरनेशनल जर्नल में पब्लिश हुआ रिसर्च पेपर

वर्ष 2018 से स्जोग्रेन सिंड्रोम पर कार्य कर रहे एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सिंगला का 3 मई 2021 को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिसर्च इन मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IGRMST) में रिसर्च पेपर पब्लिश हुआ है। डॉ. सिंगला ने बताया कि अभी आयुर्वेदिक कॉलेज में 30 मरीजों का इलाज चल रहा है। अभी तक 5 मरीज बिल्कुल स्वस्थ हो चुके हैं।

आयुर्वेदिक कॉलेज में उपचार कराने पहुंची संतोष हुड्डा।

आयुर्वेदिक कॉलेज में उपचार कराने पहुंची संतोष हुड्डा।

आयुर्वेदिक इलाज कराया तो 20वें दिन आए आंसू

कुरुक्षेत्र के शाहाबाद निवासी 47 वर्षीय टीचर संतोष हुड्डा को वर्ष 2006 में बुखार हुआ। आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा। उन्होंने PGI समेत कई बड़े अस्पतालों से इलाज लिया, लेकिन कोई आराम नहीं हुआ। आंखों की रोशनी कम होने लगी, चश्मा का नंबर बढ़ने लगा। आखिर में उन्होंने आयुर्वेदिक कॉलेज में इलाज शुरू कराया और 20वें दिन आंखों से आंसू निकल पड़े। अब मुंह में लार भी बनने लगी है।

राजस्थान निवासी राजिंद्र सिंह।

राजस्थान निवासी राजिंद्र सिंह।

आयुर्वेद ने दिया नया जीवन

राजस्थान के राजिंद्र सिंह भी वर्ष 2019 से ऑटोइम्यून बीमारी से ग्रसित थे। उनकी दोनों आंखों, नाक व मुंह में सूखापन आ गया था, जिसकी वजह से आंखों से आंसू निकलना और मुंह में लार बनना बंद हो गया था। इतना ही नहीं, आंखों में खुजली होने के साथ-साथ भोजन निगलने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती थी। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए PGI रोहतक, बाबा मस्त नाथ आयुर्वेदिक कॉलेज और दिल्ली AIIMS समेत कई बड़े अस्पतालों से इलाज लिया, लेकिन कहीं से आराम नहीं मिला। उन्होंने वर्ष 2021 में कुरुक्षेत्र आयुर्वेदिक कॉलेज में इलाज कराया, अब वह स्वस्थ है। राजिंद्र सिंह ने कहा कि आयुर्वेद ने उनको नया जीवन दिया है।

क्या करें और क्या न करें

-तरल पदार्थ का सेवन ज्यादा करें। -हरी सब्जियां,जो शरीर में खून के दौरे को अच्छा करें

-सहजन की फली, परवल, ब्रोकोली, घीया व तोरी

-आंवला, चुकंदर, सेब और अनार

-लहसुन, कच्ची हल्दी और अजवाइन, सेंधा नमक

-अरहर, मूंग और मसूर की दाल

-चोकर मिश्रित आटा।

-ज्यादा न चलें

– दही, उड़द की दाल, मैदा, फास्ट फूड और किसी भी तरह का शेक का सेवन बिल्कुल न करें।

 

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