राजकीय सम्मान के साथ दी गई नायब सूबेदार सर्वजीतपाल सिंह को अंतिम विदाई

राजस्थान के जोधपुर में तैनात थे नायब सूबेदार सर्वजीतपाल सिंह
सेना की टुकड़ी ने शस्त्र झुकाकर व मातमी धून बजाकर दी अंतिम विदाई
नहीं पहुंचा प्रशासन व सरकार का कोई नुमाइंदा, ग्रामीणों में भारी नाराजगी

एस• के• मित्तल
सफीदों,        उपमंडल सफीदों के गांव छाप्पर निवासी सिख रेजिमेंट के नायब सूबेदार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ शुक्रवार को अंतिम विदाई दी गई। नायब सूबेदार सर्वजीतपाल सिंह (44) राजस्थान के जोधपुर में तैनात थे जहां ड्यूटी के दौरान उनकी हालत खराब हो गई और वह चल बसे। शुक्रवार को जैसे ही शहीद नायब सूबेदार सर्वजीतपाल सिंह का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर गांव में पहुंचा तो समूचे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।
सर्वजीतपाल सिंह के निवास पर सैंकड़ों की तादाद में शोकग्रस्त लोग पहुंचे और परिवार को ढांढस बंधाया। सेना की एक टुकड़ी नायब सूबेदार सर्वजीतपाल सिंह का पार्थिव शरीर लेकर गांव में पहुंची तो ग्रामीणों ने सर्वजीतपाल सिंह अमर रहे के गनभेदी नारे लगाए। सूबेदार गुरजीत सिंह के नेतृत्व में आई सेना की टुकड़ी ने शस्त्र झुकाकर व मातमी धून बजाकर अपने साथी को अंतिम विदाई दी। वहीं परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था। अंतिम दर्शनों के दौरान शहीद सर्वजीतपाल सिंह की पत्नी हरजीत कौर अपने पति गले लगकर रो रही थी। ऐसा ही कुछ हाल शहीद की मां जसविंद्र कौर व दोनों बेटों चरणजीत सिंह व गुरकीत सिंह का भी था। संस्कार के वक्त माहौल बेहद गमगीन था।

बता दें कि सर्वजीतपाल सिंह वर्ष 1999 में सिख रेजीमेंट में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। जैसलमेर राजस्थान में ड्यूटी के दौरान अचानक तबीयत खराब हो गई। उनको सैनिक अस्पताल जैसलमेर में ले जाया गया जहां पर उन्होंने अंतिम सांस ली। नायब सूबेदार सर्वजीतपाल सिंह परिवार में अपने पीछे दो लड़के चरणजीत सिंह (19), छोटे लड़के गुरकीत सिंह (12), पत्नी हरजीत कौर (40), माता जसविंद्र कौर (70), दो भाईयों जसपाल सिंह व जितेंद्रपाल सिंह को छोड़कर गए हैं।

प्रशासन को कोई अधिकारी, सत्ता व विपक्ष का कोई राजनेता नहीं पहुंचा
सफीदों इलाके के गांव छाप्पर ने बेशक एक नौजवान फौजी खो दिया हो लेकिन इस बात से सफीदों प्रशासन व यहां के सत्ता व विपक्ष के राजनेताओं को कोई फर्क नहीं पड़ता। नायब सूबेदार सर्वजीतपाल सिंह के शहीद होने का वीरवार सांय को ही पता चल गया था। वीरवार से शुक्रवार अंतिम संस्कार होने तक गांव में परिवार को ढांढस बंधाने या अंतिम विदाई के वक्त शहीद को पुष्पचक्र अर्पित करने प्रशासन का कोई आलाधिकारी व पक्ष-विपक्ष को कोई नेता नहीं पहुंचा और ना ही शहीद के अंतिम संस्कार के लिए प्रशासन की ओर से कोई बंदोबस्त किए गए थ।

केवल सेना की विशेष टुकड़ी ने ही अपने दिवंगत साथी को पूरे सम्मान के साथ विदाई दी। प्रशासन व नेताओं की इस बेरूखी को लेकर ग्रामीणों में भारी रोष देखने को मिला। ग्रामीणों का कहना था कि प्रशासनिक अधिकारी व नेतागण अंतिम संस्कार के वक्त जरूर पहुंचेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की कि परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए तथा शहीद के बड़े बेटे को सेना में नौकरी दी जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *