पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य की उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से हुई मुलाकात विज्ञान भवन में हुई मुलाकात में आर्य समाज के योगदान पर हुई चर्चा

 

भारत की आजादी में आर्य समाज का महत्वपूर्ण योगदान: बचन सिंह आर्य

 

एस• के• मित्तल

सफीदों, सूबे के पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य की दिल्ली के विज्ञान भवन आयोजित आर्य समाज के राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात हुई और दोनों के बीच देश में आर्य समाज के योगदान के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। इस आयोजन की अध्यक्षता योगगुरू रामदेव कर रहे थे। बता दें कि ऋषि दयानंद की 200वीं शताब्दी पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है।

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इस कार्यक्रमों का शुभारंभ फरवरी माह में इंदिरा गांधी स्टेडियम दिल्ली से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया गया था। इसी कड़ी में विज्ञान भवन दिल्ली में भी बड़े समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, योगगुरू स्वामी रामदेव, सांसदों, विधायकों समेत देश-विदेश से हजारों सुप्रसिद्ध आर्य समाजियों, वैदिक धर्माचायों, विद्वानों एवं सन्यासियों ने हिस्सा लिया। इस आयोजन में पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य ने भी शिरकत की और आर्य समाज के योगदान के बारे में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ व योगगुरू स्वामी रामदेव से विस्तार से चर्चा हुई। इस चर्चा के दौरान नशाखोरी व सामाजिक बुराईयों को दूर करने के बारे में बातचीत हुई।

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अपने संबोधन में पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य ने कहा कि यह सम्मेलन बेहद ऐतिहासिक रहा और सामाजिक बुराईयों व नशाखोरी को दूर करने के प्रयासों का सभी ने सामुहिक प्रण लिया। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद चारों वेदों एवं उपनिषदों के प्रगाढ़ पंडित एवं पूरे विश्व को अच्छा जीवन जीने की दिशा देने वाले थे। स्वामी दयानंद ने उस समय सती प्रथा, छुआछात, नशाखोरी व बाल विवाह जैसी अनेकों कुरीतियों के खिलाफ घूम-घूमकर जनमानस में अलख जगाई। देश-विदेश में उनके मानने वाले कई करोड़ों की संख्या में एक से एक महान विभूतियां रही हैं। देश के वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, वर्तमान में ऑर्गेनिक खेती का पूरे देश में झंडा उठाए हुए गुरूकुल कुरूक्षेत्र के आचार्य एवं गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, योग को विदेशों तक पहुंचाने वाले स्वामी रामदेव जैसी विभूतियां अनेक समेत अनेक सांसद एवं राजनेता स्वामी ऋषि दयानंद के विचारधारा की देन है।

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स्वामी दयानंद ने वेदों का प्रचार करने के साथ-साथ ऋषि-मुनियों की खोज यज्ञ पद्धति का प्रचार-प्रसार किया। गौ करूण निधि ग्रंथ लिखकर उन्होंने गौमाता के गुणों का वर्णन किया। इसके अलावा उन्होंने वेदों का भाष्य शुद्ध रूप से लिखकर ज्ञान अर्जित करने के लिए मनुष्य को दिया। सत्यार्थ प्रकाश जैसा महान ग्रंथ ऋषि दयानंद की महान कृति है और गुरुकुल पद्धति भी स्वामी दयानंद की देन है। देश की आजादी में पहली आवाज उठाने वाले स्वामी दयानंद ही थे। आर्य समाज का देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

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