निरंतरता ही जीवन है और ठहराव नीरसता पैदा करता है: अनिल मलिक

एस• के• मित्तल 
सफीदों,       राज्य भर के शैक्षणिक संस्थानों में पहुंचकर निरंतर मनोवैज्ञानिक प्रेरणा प्रदान करने एवं विभिन्न मनोवैज्ञानिक समस्या निदान हेतु आयोजित सेमिनारों की कड़ी में आज सफीदों उपमंडल के गांव रामपुरा स्थित न्यू बीएसएम स्कूल के किशोर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए मंडलीय बाल कल्याण एवं राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने कहा कि एक सवाल खुद से पूछे पूछते रहे कि आपके लिए समग्र स्वस्थ जीवन जरूरी है या चकाचौंध भरा दिखावटी जीवन।
यह इसलिए जरूरी है क्योंकि किशोरावस्था भावुक जिज्ञासु उत्साह भरी तो होती ही है। हार्मोनल बदलाव व भावनात्मक विकास के दौर में सुरक्षा के मायने सही से समझने होंगे और असली खुशी महसूस करनी होगी। निरंतरता ही जीवन है ठहराव नीरसता पैदा करता है, उम्र के बदलाव को सही से समझें, शारीरिक ऊर्जा को एक सही दिशा दें, यूं ही किसी से प्रभावित ना हो, किशोरावस्था में भावनात्मक संतुलन भी एक तरह का कौशल विकास ही तो है जो ना सिर्फ बाल सुरक्षा, भविष्य जीवन निर्माण में भी कारगर सिद्ध होता है। आप एक अच्छे श्रोता, एक अच्छे शिक्षार्थी तब बन सकते हैं। जब आप में ग्रहण शीलता, जागरूकता, विनम्रता, कृतज्ञता तथा ध्यान पूर्वक सुनने के गुण होंगे। परामर्शदाता नीरज कुमार ने कहा कि मनोवैज्ञानिक परामर्श सेवाएं निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
बच्चों के करीब रहकर उन्हें सुनना होगा और बोलने के अवसर सुनिश्चित करने होंगे तुरंत प्रभाव से उत्पन्न हो रही समस्या पर काम करना उचित मार्गदर्शन करना होगा। कार्यक्रम की संयुक्त अध्यक्षता करते हुए स्कूल के चेयरमैन अरुण खरब व डायरेक्टर अनिल खरब ने कहा कि पिछले करीब 5 सालों से हमारे संस्थान के विद्यार्थी, शिक्षक एवं अभिभावक निरंतर मनोवैज्ञानिक प्रेरणा व परामर्श सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं। राज्य परिषद मनोवैज्ञानिक तौर-तरीकों से अति सराहनीय कार्य कर रही है। इस मौके पर नीरज कुमार, प्रदीप शर्मा, हीरा भूलर व सन्नी बुरा मौजूद थे।

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