नगरपरिषद की सख्ती: कोर्ट ने तहसीलदार काे प्राॅपर्टी घाेटाले में जांच में शामिल करने के दिए निर्देश

 

नगरपरिषद प्राॅपर्टी घाेटाले में अदालत ने पुलिस से तहसीलदार काे भी जांच में शामिल करने के निर्देश दिए है, जबकि मामले में शामिल किए गए सुधीर की जमानत याचिका पर सुनवाई के दाैरान अदालत ने उसके खिलाफ पुलिस द्वारा लगाई गई आईपीसी की धारा 409 पर एतराज जताया और उसे जमानत दे दी।

नगरपरिषद की सख्ती: कोर्ट ने तहसीलदार काे प्राॅपर्टी घाेटाले में जांच में शामिल करने के दिए निर्देश

प्राॅपर्टी घाेटाले में पुलिस ने जांच के बाद मामले में सुधीर काे भी आराेपी बनाया था तथा उसे भी आईपीसी की धारा 409 व धाेखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं के तहत आराेपी ठहराया गया था। मामले में सुधीर ने अदालत में जमानत याचिका लगाई थी।

याचिका पर सुनवाई के दाैरान अदालत ने सुधीर पर धारा 409 लगाने पर एतराज किया। इसका लाभ देते हुए अदालत ने उसकाे मामले में जमानत दी है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस को मामले में शामिल अन्य आरोपियों की जल्द पेश करने के निर्देश दिए है।

अदालत ने सुधीर की जमानत पर सुनवाई के दाैरान प्राॅपर्टी घोटाले में भिवानी के तहसीलदार को भी जांच में शामिल होने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि प्राॅपर्टी घोटाले में नगर परिषद के प्लॉट नम्बर 86 व 87 और ऑटो मार्केट की दुकान नम्बर एक को सत्यप्रकाश ठेकेदार की पत्नी व भाई के नाम फर्जी नीलामी दिखाकर रजिस्ट्री करवाई थी।

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इससे आशंका है कि तहसील कार्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियाें से मिली भगत के बिना काेई नगरपरिषद की दुकानाें व प्लाटाें की फर्जी रजिस्ट्री कैसे करवा सकता है। इसलिए मामले की जांच तहसीलदार काे शामिल करना जरूरी है। शायद इसलिए अदालत ने मामले में तहसीलदार काे शामिल करने के निर्देश दिए हैं।

आसान नहीं होगी जमानत की राह

नप के पूर्व चेयरमैन रणसिंह यादव, वाइस चेयरमैन मामनचंद व आरोपियों के खिलाफ नगरपरिषद में चेक, फर्जी रसीद व प्राॅपर्टी घोटाले में मामला दर्ज है। चेक व प्राॅपर्टी घाेटाले में आरोपियों के खिलाफ अाईपीसी की धारा 409 के तहत भी मामला दर्ज है। इसलिए आरोपियों काे मामले में आसानी से जमानत मिलना मुश्किल है।

इन पर लगती है धारा 409

नगरपरिषद प्राॅपर्टी घाेटाले के शिकायतकर्ता सुशील वर्मा के अधिवक्ता हेमंत कौशिक ने बताया कि आईपीसी की धारा 409 लोक सेवक, बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता पर विश्वास का आपराधिक हनन करने पर लगती है। इसमें 10 वर्ष की कैद व आर्थिक दंड की सजा है।

यह एक अजमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। इस धारा में आरोप लगाए गए व्यक्ति को इतनी आसानी से जमानत नहीं मिलती है। जमानत अपराधी के अपराध की गहराइयों को देखकर ही उच्च न्यायालय से ही जमानत मिल सकती है।

ये कहना है शिकायतकर्ता का

भिवानी बचाओ आंदाेलन के अध्यक्ष एवं प्राॅपर्टी घाेटाले के शिकायतकर्ता सुशील वर्मा ने बताया कि अदालत ने प्राॅपर्टी घाेटाले में सुधीर काे जमानत दी है लेकिन वह जमानत के विरुद्ध हाई कोर्ट में अपील करेंगे। उन्होंने बताया कि जमनात पर सुनवाई के दाैरान अदालत ने पुलिस काे मामले की जांच में तहसीलदार काे भी शामिल करने के निर्देश दिए है।

उन्हाेंने कहा कि फर्जी कागज से फर्जी तरीके से नप की दुकान व प्लाट की रजिस्ट्री की गई है। इसमें तहसील कार्यालय के अधिकारी व कर्मचारियाें के शामिल हाेने से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए मामले में तहसीलदार काे शामिल करना जरूरी है।

तभी मामले में पूरी सच्चाई जनता के सामने आ सकेगी। उन्हाेंने पुलिस से चेक, फर्जी रसीद व प्राॅपर्टी घाेटाले में शामिल अन्य आरोपियों काे भी जल्द गिरफ्तार करने की मांग की है। गौरतलब है कि चेक घाेटाले में मुख्य आराेपी विनाेद अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है।

 

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