देवर्षि नारद थे सृष्टि के प्रथम पत्रकार, एक लोक से दुसरे लोक परिक्रमा करते हुए संवादों का करते थे आदान-प्रदान : डॉ• आहूजा

कहा – समाचार लिखते समय रखें समाज व देशहित का ध्यान 

पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाऊस में देवर्षि नारद जयंती पर हुआ पत्रकार मिलन कार्यक्रम का आयोजन

एस• के• मित्तल   
जींद,        विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष एवं गुरुग्राम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. मार्कण्डे आहूजा ने कहा कि देवर्षि नारद इस लोक से उस लोक में परिक्रमा करते हुए संवादों का आदान-प्रदान करते थे, यानी एक लोक के समाचार दूसरे लोक तक पहुंचाने का काम करते थे।
इसलिए उन्हें सृष्टि का प्रथम पत्रकार माना जाता है। वे पत्रकारों के लिए आदर्श हैं। देवर्षि हमेशा देव-दानव और मानव को महत्वपूर्ण जानकारी देते रहते हैं। देवर्षि नारद का ध्येय सदैव सर्वहित कारी, लोक मंगल व समग्र सृष्टि के कल्याण का रहा। श्रीमद्भगवद् गीता के दशम अध्याय के 26वें श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण ने इनकी महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा है कि देवर्षियों में मैं नारद हूं।
डॉ. आहूजा रविवार को पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाऊस में विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित पत्रकार विचार गोष्ठी को मुख्य वक्ता के तौर पर सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में मुख्यातिथि के तौर पर समाजसेवी रोशन लाल गोयल मौजूद रहे व अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह जिला कार्यवाह सत्यवान ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ देवर्षि नारद के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया गया। डॉ• मार्कण्डे आहूजा ने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में पत्रकारों की अहम भूमिका रहती है।
आजादी के आंदोलन में भी पत्रकारों का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है। इसलिए पत्रकार को समाचार लिखते समय परोकार, देश और समाज के हित को ध्यान में रखना चाहिए। पत्रकार को हमेशा ऐसी पत्रकारिता करनी चाहिए जिससे समाज का और देश का कल्याण व विकास हो सके। नारद जी की पत्रकारिता इसी शक्ति का प्रतीक है। शक्ति का उपयोग देश और समाज के हित में होना चाहिए। पत्रकार का काम समाज को केवल समाचार देना नहीं बल्कि सावधान करना और अच्छे काम के लिए प्रोत्साहित करना भी है। उन्होंने कहा कि यह भारतीय परंपरा में समाज संसाधन नहीं, बल्कि हमेशा मनुष्य को समाज का अंग माना जाता है। आज की शिक्षा प्रणाली जीविका पर आधारित है। देवर्षि नारद ने समाज को जीविका की नहीं जीवन दर्शन की शिक्षा देने का काम किया। देवर्षि नारद पत्रकारिता के जनक माने गए हैं।
देवर्षि की पत्रकारिता लोक कल्याणार्थ रही। वर्तमान में पत्रकार को इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए समाज को दिशा देने का काम करना चाहिए। यदि पत्रकार सत्यनिष्ठा से अपने कत्र्तव्य का पालन करता है तो सत्ता, पद, पैसा कोई भी उसको विचलित नहीं कर सकता। पत्रकार को समाचार लिखने के साथ-साथ अपनी स्वयं की पुस्तकें भी लिखनी चाहिएं। क्योंकि हमारे जाने के बाद भी वह पुस्तकें समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी। देवर्षि जी के चरित्र को वर्तमान में पत्रकार व पत्रकारिता लेखन से जुड़े लोगों को अपने जीवन में उतारना चाहिए। देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते थे। केवल देवता ही नहीं दानव भी उनसे परामर्श लिया करते थे। नारद मुनि पत्रकारिता के पितामाह थे, जिन्होंने समाज में संवाद का कार्य शुरू किया था।
आज सोशल मीडिया के जन्म के कारण पत्रकारिता के क्षेत्र में चुनौती बढ़ गई हैं। सोशल मीडिया ने आज प्रत्येक व्यक्ति को पत्रकार बना दिया है। विश्वसनियता को बनाए रखना पत्रकारों के लिए बड़ी चुनौती है। पत्रकारों को चाहिए कि वह बिना किसी दबाव में राष्ट्र हित को ध्यान में रखकर पत्रकारिता करें और अपनी कलम के माध्यम से समाज को नई दिशा देने का काम करें।

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