एस• के• मित्तल
सफीदों, टीबी उन्मूलन को लेकर एसएमओ जेपी चहल ने नागरिक अस्पताल प्रांगण में नगर के प्राईवेट अस्पतालों के डाक्टरों की बैठक ली और उन्हे आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस बैठक में डा. लवकेश अग्रवाल, डा. केसी भट्टी, डा. लोकेश, डा. सुनील शर्मा व डा. नवदीप सहित अन्य डाक्टर मौजूद थे।
सफीदों, टीबी उन्मूलन को लेकर एसएमओ जेपी चहल ने नागरिक अस्पताल प्रांगण में नगर के प्राईवेट अस्पतालों के डाक्टरों की बैठक ली और उन्हे आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस बैठक में डा. लवकेश अग्रवाल, डा. केसी भट्टी, डा. लोकेश, डा. सुनील शर्मा व डा. नवदीप सहित अन्य डाक्टर मौजूद थे।
एसएमओ डा. जेपी चहल ने डाक्टरों को निर्देश दिए कि उनके पास टीबी के मरीज इलाज के लिए आए तो उनका डाटा एकत्रित करें, ताकि क्षेत्र में टीबी के मरीजों की वास्तविक स्थिति का पता लग सके। वहीं सभी डाक्टर टीबी उन्मूलन के लिए जागरूकता अभियान चलाएं। उन्होंने कहा कि कोई भी प्राईवेट अस्पताल टीबी के मरीज का इलाज कर सकता है लेकिन उस प्राईवेट अस्पताल के डाक्टर को मरीज की डिटेल पोर्टल पर डालनी होगी ताकि सरकार और स्वास्थ्य विभाग उस मरीज की स्थिति से अवगत रहे। साथ ही एसएमओ ने यह भी कहा कि कोई भी बीएएमएस डाक्टर टीबी के मरीज का इलाज नहीं कर सकता है। अगर कोई बीएएमएस डाक्टर ऐसा करेगा तो उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो सकती है। बीएएमएस डाक्टर टीबी मरीज के लिए डॉट प्रोवाईडर बन सकता है। जिसके तहत वह स्वास्थ्य विभाग को सूचना देगा कि टीबी का मरीज उसके पास है और वह उसका इलाज करना चाहता है। उसके बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा उस डाक्टर को टीबी की दवाई उपलब्ध करवाई जाएगी।
डाक्टर मरीज को वह दवाई समय पर खिलाएगा लेकिन वह उसका कोई पैसा नहीं ले सकेगा। उन्होंने प्राईवेट अस्पताल संचालकों से आह्वान किया कि वे टीबी के मरीजों को गोद ले और उन्हे उचित आहार की कीट उपलब्ध करवाएं ताकि टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके। एसएमओ जेपी चहल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। टीबी मुक्त हरियाणा अभियान को लेकर सरकारी के साथ-साथ निजी क्षेत्र के चिकित्सकों के सहयोग भी आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि सरकार के द्वारा टीबी के मरीज को दवाईयां नि:शुल्क दी जाती है और हर महीने उसे 500 रूपए उचित खानपान के लिए दिए जाते हैं। इसके अलावा सरकारी व निजी क्षेत्र के डाक्टरों द्वारा टीबी के मरीजों को गोद लेकर उन्हे पोष्टिक आहार की किट भी प्रदान की जाती है। इस किट में प्रोटीन पाउडर का एक डिब्बा, सोयाबीन की बड़ी एक पैकेट, भुने हुए चने 1 किलोग्राम, गुड 1 किलोग्राम, चावल 1 किलोग्राम व चना दाल आधा किलोग्राम शामिल की गई है। उन्होंने स्वयंसेवी संस्थाओं से भी आह्वान किया कि वे टीबी के मरीजों को गोद लें ताकि देश से टीबी रोग का समूल रूप से नष्ट किया जा सके।