जटिल सर्जरी:: हाई बल्डप्रेशर से मरीज़ की मुख्य धमनी में आई दरार बढ़ते हुए गुर्दो व आंतों तक पहुंचने लगी थी, सर्जरी कर डाक्टरों ने बचाई जान

फरीदाबाद। मरीज की सर्जरी करने वाले डाक्टर।

  • डाक्टरों ने पांच घंटे सर्जरी कर 63 वर्षीय नरेंद्र कुमार को नई जिंदगी दी।

हाई बल्डप्रेशर के कारण एक मरीज की मुख्य धमनी में आई दरार बढ़ते हुए गुर्दो व आंतों तक पहुंचने लगी थी। इससे मरीज की स्थिति बहुत गंभीर स्थिति में पहुंच गई थी। लेकिन फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स हॉस्पिटल फरीदाबाद के डाक्टरों ने पांच घंटे सर्जरी कर 63 वर्षीय नरेंद्र कुमार को नई जिंदगी दी। डॉ. संजय कुमार, डॉ. दिग्विजय शर्मा, डॉ. मनु शंकर, डॉ. नितिन सरदाना की टीम ने पांच घंटे सर्जरी कर मरीज की जान बचा ली। डाक्टरों का दावा है कि इस तरह का पेशेंट एक लाख मरीज में से एक आता है।

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डाक्टरों के अनुसार अस्पताल में भर्ती कराने के समय मरीज़ को उनींदेपन और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत थी। उसेके पेट में सूजन भी थी। 2 से 3 दिन से लैट्रिन करने में भी कठिनाई हो रही थी। आंतों में खून का दौरा कम होने से आंतें बाधित हो रही थीं। जांच से पता चला कि मरीज की मुख्य धमनी (एओर्टा) में दरार फैलकर गुर्दों और आंतों तक पहुंच रही थी। यह मस्तिष्क की मुख्य धमनियों के भी काफी नज़दीक पहुंच गई थी। ऐसे में मरीज का सीटी स्‍कैन किया गया, ताकि इलाज की रूपरेखा तैयार की जा सके। डॉ. दिग्विजय शर्मा ने मस्तिष्क की धमनियों का बायपास किया। इसके बाद डॉ. संजय कुमार और डॉ पंकज बतरा व डॉ. दिग्विजय शर्मा ने स्टेंट ट्रांसप्लांटेशन किया।

 

(27 अप्रैल 2023) राष्ट्रीय दैनिक न्यूज़पेपर में प्रिंट आज की ख़बर..

डॉ. संजय कुमार के अनुसार चूंकि मरीज़ की मुख्य धमनी में दरार बढ़कर मस्तिष्क की धमनियों तक फैलने लगी थी। इसलिए मरीज का पहले सर्जिकल बायपास करने का फैसला किया ताकि मरीज को स्टेंट लगाया जा सके, क्योंकि कवर्ड स्टेंट लगाने से मस्तिष्क को ब्लड सप्लाई करने वाली धमनी में रुकावट आ सकती है। इससे बड़े स्ट्रोक का जोखिम था। चूंकि यह दरार मरीज़ की आंतों और गुर्दों तक पहुंच रही थी। इसलिए हृदय की मुख्य धमकी में दरार के शुरुआती हिस्से को बंद करने से आंतों व गुर्दों की धमनियों तक पहुंचने वाली दरारों को भी बंद करने में मदद मिली। इस प्रक्रिया के बाद मरीज़ की स्थिति में काफी सुधार हुआ और आंतों में अवरोध की स्थिति में भी सुधार हुआ। डाक्टरों के अनुसार यदि मरीज़ का समय पर उपचार नहीं किया जाता तो यह स्ट्रोक किडनी फेल होने, आंतों में रुकावट और यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकता था।

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ऐसे मामले में इलाज नहीं किए जाने की स्थिति में मृत्यु की आशंका 100 फीसदी रहती है। आमतौर पर ऐसे मामलों में बहुत कम लोग ही जीवित अवस्था में अस्पताल पहुंचते हैं। जो पहुंच पाते हैं उनके मामले में भी रोग का समय पर निदान नहीं हो पाता। इसलिए कभी भी हाई बीपी में पीठ के ऊपरी भाग में दर्द को लेकर लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। यदि इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो तत्काल डाक्टर को दिखाएं। अस्पताल के जोनल डायरेक्टर मोहित सिंह के अनुसार यह काफी जटिल मामला था और मरीज़ की नाजुक हालत तथा जोखिमों के चलते मेडिकल टीम की चुनौती बढ़ गई थी। लेकिन डॉ. संजय कुमार के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने समय पर इलाज देकर मरीज का जीवन बचाया।

 

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