कालेज से पत्थर हटाकर किया गया राज्यपाल के गरिमामयी पद का अपमान: राकेश जैन

कहा – पत्थर हटाने के प्रकरण की जांच करवाकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ होनी चाहिए जांच

कहा – सफीदों के युवा व प्रतिष्ठित लोग गुरूग्राम के एक होटलनुमा आश्रम में हो रहे है ब्लैकमेलिंग के शिकार

कहा – ब्लैकमेलिंग के शिकार युवा व प्रतिष्ठित लोग कर सकते हैं आत्महत्या

एस• के• मित्तल     
सफीदों    सफीदों की पुरानी अनाज मंडी में पूर्व पालिका प्रधान राकेश जैन ने प्रैस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि सफीदों शहर वर्तमान माहौल में भारी खतरे में है और इस ऐतिहासिक नगर को गलत लोगों से बचाने में आम जनता को अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
उन्होंने कहा कि सफीदों में इन दिनों पालिका के प्रधान पद का चुनाव लडऩे वाले का दावा करने वाले एक व्यक्ति द्वारा ब्लैकमेलिंग का धंधा जोरों पर चलाया हुआ है। उसके द्वारा गुरूग्राम के होटलनुमा आश्रम खोल रखा है। इस आश्रम में सफीदों के युवाओं, प्रतिष्ठित लोगों व संपर्क में आने वाले अधिकारियों को ले जाकर उनसे गलत काम करवाकर उनकी वीडियो बनाई जाती है और बाद में उनके साथ ब्लैकमेलिंग का गंदा खेल खेला जाता है। इस जंजाल में सफीदों के कई दर्जन लोग फंस चुके है तथा उनसे मंथली वसूली जा रही है। ये लोग अब पैसे दे-देकर तंग आ चुके है। इज्जत जाने व शर्म के मारे कुछ लोग आत्महत्या करने तक की सोच रहे है।
ऐसे लोग और उनके परिवार भारी टैंशन में हैं। इस आश्रम में करवाई जा रही अय्याशी व ब्लैकमेलिंग से अर्जित की गई काली कमाई के बल पर वे लोग सफीदों में दानवीर कर्ण बनने का दिखावा कर रहे हैं।

सफीदों पालिका में हुआ भारी भ्रष्टाचार

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राकेश जैन ने कहा कि प्रदेश की मनोहर लाल सरकार ने सफीदों नगर में विकास के चार चांद लगाने के लिए 35 करोड़ रूपए की ग्रांट प्रदान की थी लेकिन पालिका को संभाल रहे प्रधान, कुछ पार्षदों व अधिकारियों ने उस धनराशी से विकास करवाने की बजाए उसकी बंदरबांट कर ली। विकास कार्यों में इतना भ्रष्टाचार हुआ कि 15 लाख की लागत से बनाया गया स्वागत गेट 15 दिन भी नहीं ठहर पाया और वह भरभराकर गिर गया। जो गलियां व नाले-नाली बनाई गई थी आज वे क्षतिग्रस्त हो चुकी है। अंडरग्राऊंड नालियां में दबाए गए पाईप बेहद घटिया किस्म के थे और स्थिति यह है कि सभी नालियां फिर से टूट गई हैं। सफीदों पालिका के भ्रष्टाचार की गुंज हरियाणा विधानसभा तक गई। जिस पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल व गृहमंत्री अनिल विज ने इस घोटाले की जांच स्टेट विजिलेंस को करने के आदेश दिए। इस मामले की जांच में पालिका ने स्वागत गेट, रामसर पार्क के निर्माण, भूमिगत किए गए नाले व स्ट्रीट लाईटों के घोटाले से संबंधित कागजात स्टेट विजिलेंस को दिए है तथा कई लोगों को आरोपी बनाया गया है। पालिका में विकास के मामले में भ्रष्टाचार तो हुआ ही साथ ही साथ मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनवाने व डेथ सर्टिफिकेट तक बनवाने में आम जनता से पैसे लिए गए।

आरक्षण आंदोलन में सफीदों में भडकवाएं दंगे

पूर्व पालिका प्रधान ने आरोप लगाया कि सफीदों का इलाका अपने आप में शांत माना जाता है। इतिहास गवाह है कि यहां पर कभी भी कोई दंगे नहीं हुए थे लेकिन प्रधान पद के एक उम्मीदवार ने अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए आरक्षण आंदोलन में यहां पर जातिपाति का जहर घोलकर यहां पर दंगे भडकवाएं और यहां की 36 बिरादरी के भाईचारे की प्रतीक जाट धर्मशाला में आग लगावाने का काम किया तथा यहां के सामाजिक तानेबाने का खराब किया। इस मामले में उसके खिलाफ मुकद्दमा भी दर्ज हुआ लेकिन वह इतना शातिर निकला कि उसने मुकद्दमें से अपना नाम तो निकलवा लिया लेकिन बहुत से नासमझ लोगों को इसमें फंसवा दिया और वे लोग उन मुकद्दमों को आज भी भुगत रहे हैं।
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सरला देवी महिला विद्यालय से शिलान्यास पत्थर हटाने के मामले में राकेश जैन ने कहा कि कालेज से पत्थर मेरा नहीं हटाया गया बल्कि राज्यपाल का हटाया गया है जोकि गर्वनर के गरिमामयी पद का सरासर अपमान है। उन्होंने बताया कि सफीदों में महिलाओं की शिक्षा के उत्थान के लिए आईपी कन्या सोसाइटी का गठन किया गया था। जिसके चेयरमैन उपायुक्त जींद, सचिव एसडीएम सफीदों, कोषाध्यक्ष तहसीलदार सफीदों है। इसके अलावा नगर के 5 मौजिज लोगों रिटायर इंजीनियर इन चीफ टीसी गर्ग, प्रमुख कुटकुट उद्योगपति कृष्ण राठी, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष राकेश जैन, महेंद्र गर्ग, धु्रव कुमार गर्ग व साधूराम बंधू को इसमें सदस्य बनाया गया है। इस सोसाईटी के प्रयासों से व सरकार की सकारात्मक सोच से यहां पर राजकीय कन्या महाविद्यालय व नर्सिंग कालेज का निर्माण हुआ और अब पैरामैडिकल कालेज बनने जा रहा है। सरला देवी कन्या कालेज का शिलान्यास तात्कालीन गवर्नर जगन्नाथ पहाडिय़ा ने किया था। इस शिलान्यास पत्थर पर गवर्नर जगन्नाथ पहाडिय़ा, उपायुक्त मोहम्मद शाईन, एसडीएम सत्यवान इंदौरा व मेरा नाम लिखा हुआ है। इस पत्थर को यह कहकर हटा दिया कि यह पत्थर असंवैधानिक रूप से बिना अनुमति के लगाया गया है। राज्यपाल का पद संवैधानिक होता है तथा उनका शिलान्यास पत्थर को लगाने में किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती। इस पत्थर में मेरा नाम इसलिए लिखा गया कि क्योंकि उस समय में पालिका प्रधान था और पालिका ने 16 एकड़ भूमि इस कॉलेज निर्माण के लिए सरकार को सौंपी थी। उन्होंने कहा कि गवर्नर का पत्थर किसी भी रूप में असंवैधानिक नहीं हो सकता और उनका पत्थर हटाया जाना एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। अगर इसकी जांच करवाई जाए तो कई अधिकारी नप सकते हैं।

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