हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह को सशर्त मिली है जमानत: 10 दिनों में ट्रायल कोर्ट के सामने करना होगा सरेंडर; एक लाख रुपए का भरना होगा मुचलका

 

हरियाणा की खट्‌टर सरकार के राज्य मंत्री संदीप सिंह को चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सशर्त अग्रिम जमानत दी है। कोर्ट ने मंत्री की जमानत याचिका मंजूर करते हुए मौजूदा स्थितियों को देखते हुए कोर्ट ने संदीप सिंह को 10 दिनों में ट्रायल कोर्ट के समक्ष सरेंडर करने की शर्त लगाई है, साथ ही उन्हें एक लाख रुपए का मुचलका भी भरना होगा। इसके अलावा संदीप सिंह की जमानत याचिका को मंजूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (SC) और उत्तराखंड नैनीताल हाईकोर्ट के फैसलों को भी आधार बताया है।

हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह को सशर्त मिली है जमानत: 10 दिनों में ट्रायल कोर्ट के सामने करना होगा सरेंडर; एक लाख रुपए का भरना होगा मुचलका

इन फैसलों को बनाया गया आधार

संदीप सिंह के वकील रबिंद्रा पंडित ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के सौभाग्य भगत बनाम उत्तराखंड सरकार के वर्ष 2021 के जमानत याचिका मामले में 24 अगस्त, 2023 को आए फैसले को आधार बनाया। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के महादूम बावा बनाम सीबीआई के 2023 के फैसले को भी आधार बनाया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने पाया था कि कुछ अदालतें समन के आदेश पर आरोपी के पेश होने पर उसे रिमांड पर लेने के आदेश सुना देती हैं। ऐसी परिस्थितियों में आरोपी को गिरफ्तार किए जाने पर वह जमानत का हकदार था।

संदीप सिंह ने कोच पर लगाए ये आरोप

संदीप सिंह ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका में कहा था कि उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया है। वहीं कहा था कि FIR भी 6 महीने की देरी से दर्ज की गई जिसके पीछे कोई तर्क नहीं है। वहीं कहा था कि पीड़िता ने यह आरोप सिर्फ इसलिए लगाए क्योंकि उसकी पंचकूला में ही पोस्टिंग की मांग पूरी नहीं हुई थी। वहीं विभाग द्वारा उसकी तुर्की में प्रशिक्षण की मांग विभाग ने रद्द कर दी थी इसलिए उसमें गुस्सा था। ऐसे में उसने विपक्षी राजनीतिक दलों का सहयोग लिया और INLD ऑफिस से पत्रकार वार्ता की।

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ये 8 प्वाइंट्स भी बने जमानत के आधार

– आरोपी SIT के जारी नोटिस पर कई बार जांच में शामिल हुआ।

– मामले की जांच पूरी होने तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई।

– जवाब में पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी की जरुरत नहीं बताई।

– सबसे अहम बात आरोपी मुकद्दमे का सामना करने को तैयार है।

– प्रथम दृष्टता में घटना का पीड़िता के अलावा कोई चश्मदीद नहीं है।

– पीड़िता के सीआरपीसी 164 के तहत पहले ही बयान हो चुके हैं।

– बयानों में मार्च, 2022 की कुछ घटनाओं का भी जिक्र है।

– सभी आरोप साबित करने होंगे जिनकी जांच पूरी हो चुकी है।

विभाग में कोच ने दर्ज कराई थी शिकायत

पीड़िता के वकील दीपांशू बंसल ने दलील रखते हुए कहा कि आरोपी विधायक हैं और उसकी जिंदगी और निजता को खतरा बना हुआ है। उसके साथ पहले काफी घटनाएं हुई हैं और उसे शक है कि उनमें आरोपी का हाथ है। इसे लेकर शिकायतकर्ता ने पंचकूला में 26 अप्रैल, 2023 को FIR भी दर्ज करवाई थी। बीते 29 दिसंबर को पीड़िता ने चंडीगढ़ पुलिस को शिकायत दी थी। कहा गय कि पीड़िता के यौन शोषण मामले में उसने शिकायत देने में देरी नहीं की। वह अपने विभाग के समक्ष पेश हुई थी। कोई कार्रवाई न होने पर वह पुलिस के पास गई थी।

गैर जमानती धाराओं के बाद भी नहीं हुई गिरफ्तारी

मामले में आरोप गंभीर हैं। आरोपी ने जांच को प्रभावित किया है और गैर-जमानती मामला होने के बावजूद उसकी कभी गिरफ्तारी नहीं हुई। उसने लाई डिसेप्शन टेस्ट करवाने से भी इंकार कर दिया था। पीड़िता के सीआरपीसी 164 के बयानों में दुष्कर्म के प्रयास का आरोप भी सामने आता है। आरोपी द्वारा मुकद्दमे को प्रभावित करने की भी पूरी संभावना है।

 

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