मिजोरम में MNF या कांग्रेस, फैसला आज: इंदिरा गांधी के सिक्योरिटी इंचार्ज रहे रिटायर्ड IPS चर्चा में, नई पार्टी ZPM चौंका सकती है

 

मिजोरम में आज फैसले का दिन है। राज्य की 40 विधानसभा सीटों पर 7 नवंबर को करीब 77.04% वोटिंग हुई थी। मुख्य मुकाबला सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट (MNF), राम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) और कांग्रेस के बीच है। भाजपा यहां किंगमेकर बनने की कोशिश में है।

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2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 10 साल सत्ता में रही कांग्रेस को सरकार गंवानी पड़ी थी। पी. ललथनहवला चम्फाई साउथ और सेरछिप दोनों सीटों से चुनाव हार गए थे। कांग्रेस को मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) ने सीधे मुकाबले में हराया था। जोरमथंगा CM बने थे। तब MNF को 26, कांग्रेस को 5, भाजपा को 1 और निर्दलीय को 8 सीटें मिली थीं।

मिजोरम के एग्जिट पोल में इस बार पूर्व IPS लालदुहोमा चर्चा में हैं। वे जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) के प्रमुख हैं। लालदुहोमा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सिक्योरिटी चीफ भी रह चुके हैं। 1984 में ही वे कांग्रेस में शामिल हुए और सांसद भी बने। हालांकि विवाद के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।

मिजोरम के 5 एग्जिट पोल में से एक में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) को सरकार बनाते दिखाया गया है। बाकी 4 पोल में हंग असेंबली का अनुमान जताया गया है। पोल ऑफ पोल्स में सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) को 15, ZPM को 16, कांग्रेस को 7 और भाजपा को 1 सीट मिलने का अनुमान है।

मिजोरम की राजनीति के बड़े चेहरे…

1. जोरमथंगा- मिजो नेशनल फ्रंट

जोरमथंगा सत्ताधारी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट के अध्यक्ष हैं। वह 1966 में MNF से जुड़े थे। काफी सालों तक पार्टी के अंडरग्राउंड वर्कर रहने के बाद 1989 में हुए विधानसभा चुनावों में चम्फाई सीट से विधायक चुने गए। 1990 में लालडेंगा की कैंसर की वजह से मौत होने के बाद जोरमथंगा को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया।

जोरमथंगा के नेतृत्व में MNF ने 1998 में विधानसभा चुनाव जीता और वे पहली बार CM बने। 2003 में पार्टी ने फिर से सत्ता हासिल की और जोरमथंगा दोबारा मुख्यमंत्री बने। उनकी पार्टी को 2008 के चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी थी, मगर 2018 में फिर वापसी की और तीसरी बार CM बनें।

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2. लालसावता – कांग्रेस

मिजोरम में अगर किसी ने कांग्रेस पार्टी को मजबूत किया है तो वह पूर्व CM ललथनहवला हैं। वह 1984-86, 1989-98, 2008-18 तक मिजोरम के मुख्यमंत्री रहे। मगर 2018 में वह चुनाव हार गए और कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। अब कांग्रेस की बागडोर लालसावता के हाथों में है।

लालसावता ललथनहवला सरकार में वित्त मंत्री रह चुके हैं। यह अपनी साफ-सुथरी छवि की वजह से लोगों के बीच पॉपुलर हैं। लालसावता के कंधे पर कांग्रेस को राज्य में दोबारा मजबूत करने का जिम्मा है जो 2013 में आई 34 सीटों से घटकर 2018 के चुनावों में पांच सीटों पर सिमट गई थी।

3. लालदुहोमा – जोरम पीपुल्स मूवमेंट

MNF और कांग्रेस के अलावा जोरमिम में तीसरी बड़ी पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट है और इसके नेता लालदुहोमा हैं। लालदुहोमा एक पूर्व IAS अधिकारी हैं। जो पूर्व PM इंदिरा गांधी की सिक्योरिटी संभाल चुके हैं। अभी राहुल गांधी की जब संसद सदस्यता गई थी तो लालदुहोमा एक बार फिर चर्चा में आ गए थे।

दरअसल, लालदुहोमा ने 1984 में मिजोरम से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सीट जीती थी। बाद में उनका राज्य कांग्रेस के नेताओं से मतभेद हो गया और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। वे 1988 में दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले लोकसभा सांसद बने। 2018 में लालदुहोमा ने आइजोल पश्चिम- I और सेरछिप से निर्दलीय चुनाव जीता।

मिजोरम में पिछले दो विधानसभा चुनाव का ट्रेंड

2018 में MNF ने कांग्रेस की सरकार गई
कुल 40 सीटों पर हुए चुनाव में MNF को 26 सीटें मिली थीं। वहीं कांग्रेस के खाते में पांच सीटें आई थीं। इसके अलावा जोरम पीपुल्स मूवमेंट को 8 सीटें मिली थीं और एक सीट भाजपा के खाते में आई। सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट पार्टी ने जोरमथांगा को CM बनाया।

81% वोटिंग, 10 साल बाद MNF की वापसी
मिजोरम में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 81% वोटिंग हुई थी। जिसके बाद राज्य में 10 साल बाद मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) की वापसी हुई। विधानसभा की मौजूदा स्थिति की बात करें तो मिजो नेशनल फ्रंट के पास इस समय 28 विधायक हैं। कांग्रेस के पास 5, जोरम पीपुल्स मूवमेंट के पास 1, भाजपा के पास 1 और पांच निर्दलीय हैं।

किसका-कितना वोट परसेंट रहा
2018 में MNF सबसे बड़ी पार्टी बनी। एनडीए गठबंधन वाली MNF को 2013 के मुकाबले 20 सीटें ज्यादा मिलीं और पार्टी को 37.70% वोट मिले। इसके अलावा ZPM की सीटें बढ़कर 0 से 8 हो गईं और पार्टी को 22.9% वोट हासिल हुए। कांग्रेस का हाल सबसे खराब रहा। सीटें 34 से घटकर 5 रह गईं और वोट परसेंट 29.98% रहा।

2013 में कांग्रेस ने 40 में से 34 सीटें जीतीं
इस चुनाव में मुख्य मुकाबला मौजूदा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मिजो नेशनल फ्रंट के नेतृत्व वाले मिजोरम डेमोक्रेटिक गठबंधन के बीच था। 9 दिसंबर 2013 को रिजल्ट घोषित किया गया। कांग्रेस ने 40 में से 34 सीटों पर भारी बहुमत हासिल किया। मिजो नेशनल फ्रंट को पांच और मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस को एक सीट मिली।

83.41% वोटिंग, कांग्रेस को दोबारा मिली सत्ता
2013 में मिजोरम में हुए विधानसभा चुनाव में 83.41% वोटिंग हुई थी। कांग्रेस ने लगातार दूसरी बात सत्ता हासिल की और ललथनहवला फिर सीएम बने। 2013 चुनाव में UPA कांग्रेस गठबंधन को दो सीटों का इजाफा हुआ। 2008 में 32 सीटें आईं थी, जो 2013 में बढ़कर 34 हो गईं। कांग्रेस का वोट परसेंट 44.3% रहा।

वहीं दूसरे नंबर पर MNF रही जिसे पिछले चुनाव से दो सीटें ज्यादा मिलीं और वोट परसेंट 28.7% रहा। इसके अलावा ZNP ने एक भी सीट नहीं जीती जबकि 2009 में उनके खाते में दो सीटें आई थीं।

मिजोरम में 2018 चुनाव का रिजल्ट और मौजूदा स्थिति…

 

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