फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर पार्षद का चुनाव लड़ने का मामला नायब तहसीलदार रासविंद्र सिंह ने जांच उपरांत जाति प्रमाण पत्र को किया निरस्त

नायब तहसीलदार ने पार्षद रामभरोसे को जाति प्रमाण पत्र जमा करवाने के दिए आदेश

एस• के• मित्तल   
सफीदों,    नगर के वार्ड नंबर 14 में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नगर पालिका पार्षद का चुनाव लड़ने के मामले में नायब तहसीलदार रासविंद्र सिंह ने जांच उपरांत पार्षद रामभरोसे के जाति प्रमाण पत्र को गलत करार देकर उसे निरस्त कर दिया है और वहीं उन्होंने पार्षद रामभरोसे को जाति प्रमाण पत्र तहसील कार्यालय में जमा करवाने के आदेश दिए है। इस जांच की रिपोर्ट सामने आने के बाद सफीदों पालिका की राजनीति में गहमागहमी का माहौल है और तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है।

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क्या है मामला
22 जून 2022 को सफीदों नगरपालिका चुनावों का परिणाम घोषित हुआ था। इस चुनाव के परिणामों में वार्ड नंबर 14 जोकि एससी के लिए आरक्षित था में रामभरोसे ने विजय हासिल की थी और अजीत पाथरी दूसरे स्थान पर रहे थे। चुनाव हारने के पश्चात प्रतिद्वंद्धी अजीत पाथरी ने विजेता रहे रामभरोसे के जाति प्रमाण पत्र पर सवाल उठाते हुए कहा था कि रामभरोसे ने फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करवाकर अपने नामांकन पत्र में उसे लगाया है। इस जाति प्रमाण पत्र में उसने अपनी जाति धानक दर्शायी है लेकिन उसकी सही जाति ताती है। अजीत का कहना है कि उसके पिता एफसीआई के कर्मचारी रहे हैं और वे बिहार से आकर सफीदों में बसे हुए है। पिता देबूदास की सर्विस बुक में उनकी जाति ताती है और रामभरोसे के स्कूली रिकार्ड में भी जाति ताती दर्ज है लेकिन उसने फर्जी आधार पर अपने जाति प्रमाण पत्र में अपनी जाति धानक दर्ज करवाई। अजीत पाथरी ने इस मामले की शिकायत चुनाव आयोग, उपायुक्त जींद व एसडीएम सफीदों को की थी। उच्चाधिकारियों ने इसकी जांच के आदेश पर सफीदों के नायब तहसीलदार को दिए थे। अजीत पाथरी का कहना है कि सफीदों का वार्ड नंबर 14 एससी वर्ग के लिए आरक्षित था और यहां पर एससी वर्ग का ही व्यक्ति चुनाव लड़ सकता था लेकिन रामभरोसे ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र जमा करवाकर चुनाव आयोग व प्रशासन को धोखा देने का काम किया। पार्षद रामभरोसे ने दबे कुचले लोगों का हक छीनने का भी कार्य किया है। शिकायतकर्त्ता अजीत पाथरी ने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि पार्षद रामभरोसे की नगरपालिका सदस्यता को रद्द किया जाए।

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नायब तहसीलदार ने जांच करके क्या दिए आदेश
जांच के उपरांत नायब तहसीलदार रासविंद्र सिंह ने कहा कि पार्षद रामभरोसे द्वारा गुरु गोबिंद सीनियर सैकेंडरी स्कूल सफीदों से शिक्षा ग्रहण की हुई है और वहां से प्राप्त रिकार्ड के मुताबिक रामभरोसे पुत्र देबूदास की जाति ताती बताई गई है। वहीं तात्कालीन पार्षदा राजबाला द्वारा रामभरोसे के जाति प्रमाण पत्र के प्रार्थना पत्र पर की गई जाति रिपोर्ट से भी यह स्पष्ट है कि उन्होंने बिना उचित जांच पड़ताल व बिना रामभरोसे के पुश्तैनी तहसील/ जिला से रिपोर्ट प्राप्त किए गलत जाति तसदीक की और ना ही उन्होंने रिपोर्ट में यह दर्शाया कि रामभरोसे के पिता देबूदास बिहार से आकर सफीदों में रह रहा है। अत: यह स्पष्ट है कि तात्कालीन नगर पार्षद द्वारा की गई रिपोर्ट (जाति तसदीक) गलत है। वहीं सचिव नगर पालिका सफीदों ने एफसीआई के एरिया मैनेजर व एफसीआई के सफीदों प्रबंधक से पार्षद रामभरोस के पिता देबूदास की सेवानिवृत सर्विस बुक की रिपोर्ट प्राप्त की। इस रिपोर्ट के अनुसार राममरोसे के पिता देवूदास की जाति ताती है। यह स्पष्ट है कि जाति पिता से बच्चों को मिलती है। प्रबंधक भारतीय खाद्य निगम सफीदों से प्राप्त सूचना से यह स्पष्ट होता है कि रामभरोसे की जाति ताती है। वहीं कार्यवाही के दौरान पार्षद रामभरोसे को अपनी जाति (धानक) बारे तथ्य व सबूत पेश करने के बारे लिखा गया था लेकिन वह कोई पुख्ता सबूत व तथ्य पेश नहीं कर सका

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क्या कहते हैं नगर पार्षद रामभरोस दास
इस मामले में वार्ड 14 के नगर पार्षद रामभरोस दास का कहना है कि वे धानक जाति से ताल्लुक रखते हैं और किसी कारणवश में अपनी जाति से संबंधित तथ्य पेश नहीं कर पाया।

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