मनोज जरांगे 10 फरवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करेंगे: कहा- 70 साल में पहली बार आरक्षण को लेकर मराठा इतने मजबूत, सरकार कानून लागू करे

 

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 27 जनवरी को मराठा आरक्षण से जुड़ा नोटिफिकेशन का कागज मनोज जरांगे पाटिल को सौंपा था। मनोज पाटिल ने दावा किया कि सरकार ने उनकी सभी मांगें मान ली हैं।

मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता म​​​नोज जरांगे ने बुधवार (31 जनवरी) को ऐलान किया है कि वे 10 फरवरी से एक बार फिर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जाएंगे।

मनोज जरांगे 10 फरवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करेंगे: कहा- 70 साल में पहली बार आरक्षण को लेकर मराठा इतने मजबूत, सरकार कानून लागू करे

जरांगे ने कहा- फिर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने की बहुत जरूरत है। आरक्षण के लिए कानून लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है। यह कानून मराठा समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मैं 10 फरवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठूंगा।

उन्होंने कहा कि पिछले 70 सालों में यह पहली बार है कि मराठा समुदाय के पास आरक्षण के लिए एक मजबूत कानून है। इसलिए हमने मुंबई तक मार्च करने की योजना बनाई थी।

जब हमें आरक्षण का सर्टिफिकेट मिल जाएगा तो हम एक विजय रैली आयोजित करेंगे। उस दिन को महादिवाली के रूप में मनाया जाएगा। सम्पूर्ण आरक्षण मिलने के बाद ही मैं सीएम और दोनों डिप्टी सीएम को धन्यवाद दूंगा।

27 जनवरी को नवी मुंबई में सीएम शिंदे ने जरांगे को अपने हाथों से जूस पिलाकर उनका अनशन खत्म करवाया। जरांगे ने लाखों समर्थकों के साथ 20 जनवरी को जालना से विरोध मार्च शुरू किया था।

27 जनवरी को नवी मुंबई में सीएम शिंदे ने जरांगे को अपने हाथों से जूस पिलाकर उनका अनशन खत्म करवाया। जरांगे ने लाखों समर्थकों के साथ 20 जनवरी को जालना से विरोध मार्च शुरू किया था।

दरअसल, 27 जनवरी को सीएम एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता म​​​नोज जरांगे से नवी मुंबई में मुलाकात की थी। उन्होंने जरांगे को जूस पिलाकर उनका अनशन खत्म करवाया और मराठा आंदोलन से जुड़े ड्राफ्ट अध्यादेश की कॉपी सौंपी थी।

मनोज जरांगे का कहना है कि सरकार जल्द से जल्द ड्राफ्ट को कानून का रूप दे और मराठा आरक्षण को लागू करे।

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आंदोलन खत्म करने के बाद जरांगे ने कहा था कि हम 4 महीने से मराठा आरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे थे। मराठा आरक्षण के लिए करीब 350 युवाओं ने आत्महत्या की। आज उनका सपना साकार हुआ। अब सरकार पर आरक्षण लागू करने की जिम्मेदारी है। अगर इस बार धोखा हुआ तो मैं मुंबई के आजाद मैदान आ जाऊंगा।

महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल ने अध्यादेश के विरोध में
मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार के फैसले के उलट मंत्री छगन भुजबल ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है कि मराठा समुदाय जीत गया है, लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता। भीड़ के लिए नियम-कायदे नहीं बदले जा सकते। मराठा समाज ने 50 प्रतिशत मौका गंवाया है। जाति जन्म से आती है कागज पत्र से नहीं, कल कोई और भी इसी तरह से आरक्षण मांगेगा।

मुख्यमंत्री ने फिलहाल अधिसूचना जारी कर दी है। लेकिन, मराठा समाज को लेकर जो आश्वशन दिया गया है वो मुझे नहीं लगता है कि कानून में बदल पाएगा। इससे पहले 16 फरवरी तक आपत्तियां मांगी गई हैं। मैं महाराष्ट्र के OBC और अन्य समुदायों के सभी शिक्षित लोगों से अपील करता हूं कि वे लाखों की संख्या में इस फैसले के खिलाफ आपत्तियां भेजें। ताकि सरकार को पता चले कि इसका दूसरा पक्ष भी है।

उन्होंने कहा था कि प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उनके खिलाफ जो मामले दर्ज किए गए हैं, उसे वापस लिया जाए। अरे किसी का घर जलाया गया है, तो मामले कैसे वापस लिए जा सकते हैं। OBC समाज पर अन्याय हुआ है और मराठा समाज को फंसाया गया है।

सरकार और जरांगे के बीच इन मुद्दों पर सहमति बनी
1. अब तक 54 लाख लोगों के कुनबी होने का प्रमाण मिला है। उन सभी लोगों को कुनबी का कास्ट सर्टिफिकेट दिया जाएगा। जरांगे ने सरकार से 4 दिनों के भीतर सर्टिफिकेट देने की मांग की थी। सरकार ने कहा है कि वंशावली मिलान के लिए एक कमेटी बनाई गई है। इसके बाद सर्टिफिकेट बांटे जाएंगे।

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2. मराठा प्रदर्शनकारियों को उन 37 लाख लोगों की जानकारी दी जाएगी, जिन्हें प्रमाणपत्र दिये जा चुके हैं। राज्य सरकार ने कहा है कि जरांगे को कुछ दिनों में यह डेटा दिया जाएगा।

3. शिंदे कमेटी का कार्यकाल दो महीने बढ़ाया गया है। प्रदर्शनकारी इसे एक साल बढ़ाने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारी चाहते थे कि इस कमेटी को मराठाओं के कुनबी रिकॉर्ड की खोज जारी रखनी चाहिए। सरकार ने कमेटी का कार्यकाल फेज वाइज बढ़ाने का आश्वासन दिया है।

4. आंदोलनकारियों की मांग के मुताबिक, जिन लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, उनके करीबी रिश्तेदारों को भी कुनबी सर्टिफिकेट दिया जाएगा। सरकार इस संबंध में आदेश जारी करने के लिए तैयार हो गई है।

5. महाराष्ट्र की विभिन्न जगहों पर मराठा आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे। गृह विभाग ने कहा है कि तय प्रक्रिया का पालन करते हुए केस वापस लिये जाएंगे।

6. मराठाओं की मांग थी कि आरक्षण मिलने तक उनके बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाए। साथ ही आरक्षण मिलने तक सरकारी भर्तियां रोक दी जाएं या सीटें आरक्षित की जाएं। सरकार ने मांग के पहले हिस्से को नहीं माना है। राज्य सरकार सिर्फ मराठा लड़कियों को पोस्ट ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्षा मुहैया कराएगी। हालांकि, इसके लिए सरकारी निर्देश जारी नहीं किया गया है।

कुनबी समुदाय कौन हैं?
कुनबी, कृषि से जुड़ा एक समुदाय है, जिसे महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की कैटेगरी में रखा गया है। कुनबी समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण लाभ का मिलता है। महाराष्ट्र कैबिनेट ने पिछले महीने फैसला किया था कि मराठवाड़ा क्षेत्र के उन मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे जिनके पास निजाम युग के रेवेन्यू और एजुकेशनल डॉक्यूमेंट्स मौजूद हैं, और जिनमें उन्हें कुनबी लिखा गया हो।

मराठा आरक्षण का इतिहास…
मराठा खुद को कुनबी समुदाय का बताते हैं। इसी के आधार पर वे सरकार से आरक्षण की मांग कर रहे हैं। इसकी नींव पड़ी 26 जुलाई 1902 को, जब छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और कोल्हापुर के महाराजा छत्रपति शाहूजी ने एक फरमान जारी कर कहा कि उनके राज्य में जो भी सरकारी पद खाली हैं, उनमें 50% आरक्षण मराठा, कुनबी और अन्य पिछड़े समूहों को दिया जाए।

इसके बाद 1942 से 1952 तक बॉम्बे सरकार के दौरान भी मराठा समुदाय को 10 साल तक आरक्षण मिला था। लेकिन, फिर मामला ठंडा पड़ गया। आजादी के बाद मराठा आरक्षण के लिए पहला संघर्ष मजदूर नेता अन्नासाहेब पाटिल ने शुरू किया। उन्होंने ही अखिल भारतीय मराठा महासंघ की स्थापना की थी। 22 मार्च 1982 को अन्नासाहेब पाटिल ने मुंबई में मराठा आरक्षण समेत अन्य 11 मांगों के साथ पहला मार्च निकाला था।

 

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