बच्चों में तेजी से बढ़ रहे हैं मायोपिया के केस, स्क्रीन टाइम बढ़ने से कमजोर हो रही दूर की नजर

 

रोहतक. आमतौर पर उम्रदराज लोगों को दूर की नजर में धुंधलापन होने की समस्या आती है, लेकिन अब यह बच्चों में भी बड़ी तेजी से बढ़ रही है. पिछले 2 साल लॉकडाउन के चलते ऑनलाइन क्लासेज होने के कारण बच्चों की आंखों पर दुष्प्रभाव बढ़ता जा रहा है और ओपीडी में आंखों की समस्याओं को लेकर आने वाले स्टूडेंट्स की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

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दो साल पहले तक रोहतक पीजीआई में आंखों की समस्याओं को लेकर आने वाले मरीजों में महज 5 से 6 फ़ीसदी ही बच्चे होते थे, जो अब बढ़कर 15 से 20 फीसदी तक हो चुके हैं. इसके बारे में बताते हुए पीजीआई नेत्र विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर सुमित सचदेवा ने कहा कि यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसे मायोपिया कहा जाता है, जो कि दूर की नजर के कमजोर होने के लक्षण हैं. आंखों के फोकस करने में दिक्कत आती है और पास की चीजें साफ और दूर की धुंधली नजर आती हैं. सिर दर्द और आंखों में दर्द होना भी इसके लक्षण हैं.

उन्होंने बताया कि इसकी सबसे बड़ी वजह गैजेट्स पर या स्क्रीन पर ज्यादा काम करना होता है. आउटडोर में कम समय बिताना भी एक वजह हो सकती है, साथ-साथ अगर माता-पिता मायोपिक हैं तो इससे भी बच्चे में लक्षण आ जाते हैं. इससे बचाव का सबसे बेहतर तरीका यह है कि स्क्रीन टाइम को सीमित किया जाए और काम करते वक्त बीच-बीच में 20- 20-20 का फार्मूला जरूर अपनाएं.

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इसके लिए जब आप स्क्रीन पर काम कर रहे हैं तो 20 मिनट के अंतराल पर 20 सेकंड का रेस्ट लें और 20 फीट दूर देखें. यह बड़ी समस्या उभर कर सामने आई है इसलिए एहतियात से ही आंखों की रोशनी को सुरक्षित रखा जा सकता है. जरूरी ना हो तो स्क्रीन का इस्तेमाल ना करें.

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