आसान नहीं होगा पंचकूला में विरोध-प्रदर्शन: DGP ने जारी की SOP; 10 दिन पहले देनी होगी सूचना, हिंसक होने पर परमीशन होगी कैंसिल

हरियाणा में पंचकूला इन दिनों विरोध-प्रदर्शन का गढ़ बना हुआ है। हाल ही में हुए ई-टेंडरिंग, OPS को लेकर विरोध-प्रदर्शन से पंचकूला की सड़कें जाम रहीं। इससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। इसको देखते हुए अब हरियाणा पुलिस के DGP ने पंचकूला में विरोध-प्रदर्शन को लेकर SOP जारी की है।

आसान नहीं होगा पंचकूला में विरोध-प्रदर्शन: DGP ने जारी की SOP; 10 दिन पहले देनी होगी सूचना, हिंसक होने पर परमीशन होगी कैंसिल

इसके तहत प्रोटेस्ट की 10 दिन पहले सूचना देनी होगी। साथ ही प्रदर्शन हिंसक होने पर पुलिस प्रशासन परमीशन कैंसिल कर सख्त कार्रवाई करने को मजबूर होगा।

चंडीगढ़-पंचकूला ने मिलकर बनाई

पंचकूला के लिए बनाई गई SOP को पंचकूला प्रशासन, पुलिस और चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है। इस एसओपी का एक सेट पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में भी जमा किया गया है। हाईकोर्ट ने ही इसको लेकर एक गाइड लाइन तैयार करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद डीजीपी ने इस नई एसओपी को 2 मई को मंजूरी दी।

इन नियमों का करना होगा पालन

एसओपी के तहत जो राजनीतिक लोग या संगठन पंचकूला में विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं, उन्हें एक निर्धारित प्रारूप में लिखित रूप में एक आवेदन जमा करना होगा। डिविजनल मजिस्ट्रेट, पंचकूला, कार्यक्रम की तारीख से कम से कम 10 दिन पहले निर्धारित घोषणा के साथ रैली, विरोध मार्च या धरना आयोजित करने के अपने इरादे की सूचना देनी होगी। एसओपी में उल्लेख किया गया है कि एसडीएम, पंचकूला की विशेष अनुमति के बिना रैली, विरोध मार्च या धरना स्थल पर किसी भी लाउडस्पीकर या सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली का उपयोग नहीं किया जाएगा।

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इन हालातों में नहीं मिलेगी परमीशन

एसओपी में यह कहा गया है कि रैली या विरोध मार्च आयोजित करने की अनुमति तब नहीं दी जाएगी, जब आयोजक यह नहीं मानते हैं कि वे पंचकूला सड़कों के भीतर और बाहर व्यक्तियों और सामानों की आवाजाही को नहीं रोकेंगे। साथ ही पंचकूला से बाहर रैलियां-मार्च आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर रैली या मार्च को यूटी में प्रवेश करना है तो चंडीगढ़ प्रशासन से अलग से अनुमति लेनी होगी।

शांति भंग होने पर परमीशन होगी कैंसिल

एसओपी में यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक व्यवस्था भंग होने की आशंका होने पर एसडीएम अनुमति वापस ले सकते हैं। यदि एसओपी का पालन नहीं किया जाता है, तो पुलिस कार्रवाई करेगी और यदि विरोध हिंसक हो जाता है, तो पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि इसकी वीडियोग्राफी की जाए और जिलाधिकारी को तुरंत सूचित किया जाए।

देना होगा शपथ पत्र

एसओपी में कहा गया है कि एक रैली या विरोध मार्च के आयोजकों को मार्ग, रैली में शामिल होने वाले लोगों की संख्या, रैली के उचित संचालन के लिए जिम्मेदार पांच व्यक्तियों के नाम और पते और उपयोग किए जाने वाले वाहनों का विवरण देना होगा। आयोजक शपथ पत्र भी देंगे कि विरोध शांतिपूर्ण रहेगा और किसी को भी हथियार ले जाने की इजाजत नहीं होगी।

चल-अचल संपत्ति का देना होगा विवरण

आयोजकों को एक आवेदन पत्र में बैंक विवरण के साथ अपनी अचल और चल संपत्ति का विवरण भी जमा करना होगा। साथ ही अगर प्रदर्शनकारियों की संख्या 2,000 से अधिक है, तो आयोजकों को फायर टेंडर की मांग करनी होगी। साथ ही आयोजक प्रतिभागियों के आचरण और व्यवहार के लिए जिम्मेदार होंगे, और किसी व्यक्ति संपत्ति को होने वाली जान-माल की क्षति के लिए भी जिम्मेदार होंगे।

 

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