सरकार ने जम्मू-कश्मीर के 2 संगठनों पर बैन लगाया: तीन महीने में 4 ग्रुप्स प्रतिबंधित हुए, देश विरोधी गतिविधियों के चलते एक्शन

 

शाह ने सोशल मीडिया X पर लिखा, ये संगठन देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ गतिविधियों में शामिल रहे हैं।

केंद्र सरकार ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के दो गुटों मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर (सुमजी गुट) और (भट गुट) पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया। पिछले तीन महीनों में सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर में चौथा संगठन प्रतिबंधित किया गया है। इससे पहले दिसंबर 2023 में तहरीक-ए-हुर्रियत और मुस्लिम लीग मसरत आलम ग्रुप पर बैन लगाया था।

 

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इन तीनों संगठनों पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते एक्शन लिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार आतंकवाद को उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध है और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

शाह ने सोशल मीडिया X पर लिखा, ये संगठन देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ गतिविधियों में शामिल रहे हैं। इससे एक दिन पहले यानी (27 फरवरी) को, सरकार ने जमात-ए-इस्लामी, जम्मू कश्मीर (जेईआई) पर लगाए गए प्रतिबंध को पांच साल के लिए बढ़ा दिया था।

पाकिस्तान का प्रचार करता रहा है प्रतिबंधित ग्रुप
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को एक अधिसूचना में कहा कि गुलाम नबी सुमजी की अध्यक्षता वाला मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर- सुमजी गुट (एमसीजेके-एस) अपने भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक प्रचार के लिए जाना जाता है और इसके सदस्य आतंकियों की मदद करने में शामिल रहे हैं।

इसके अलावा, यह संगठन कश्मीर के लोगों को चुनाव में हिस्सा न लेने के लिए कहता रहा है। यह देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं। इसके अलावा यह ग्रुप जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने को बढ़ावा देता रहा है।

 

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गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार की राय है कि यदि मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर (सुमजी गुट) की गैरकानूनी गतिविधियों पर तत्काल अंकुश या नियंत्रण नहीं किया गया, तो वह इस अवसर का उपयोग राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को जारी रखने के लिए करेगी।

गृह मंत्रालय ने 2019 में बैन लगाया था
केंद्र सरकार ने देश के खिलाफ काम करने के आरोप में 28 फरवरी 2019 को जमात-ए-इस्लामी को गैरकानूनी संगठन घोषित किया था। उस समय जम्मू कश्मीर में इसका विरोध हुआ था। गृह मंत्रालय के मुताबिक, यह संगठन 1953 से अपना संविधान बनाकर आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क में था।

जमात-ए-इस्लामी का आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के गठन में और उसको बढ़ाने में मदद कर रहा था। साथ ही हिजबुल को नए आतंकियों के भर्ती, फंडिंग और ऑपरेटिंग मामले में समर्थन देता था। हिजबुल एक तरह से जमात-ए-इस्लामी की एक उग्रवादी शाखा है।

केंद्र ने दिसंबर 2023 में दो संगठनों पर बैन लगाया था

पहला- तहरीक-ए-हुर्रियत ​​​​​
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 31 दिसंबर 2023 को जम्मू-कश्मीर की एक और संस्था तहरीक-ए-हुर्रियत को गैर कानूनी संगठन घोषित कर दिया था। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि यह संगठन जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने और इस्लामिक शासन स्थापित करने वाली गतिविधियों में शामिल है। संगठन भारत विरोधी दुष्प्रचार फैला रहा है और जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए आतंकी गतिविधियों में लिप्त है।

तस्वीर में तहरीक-ए-हुर्रियत के संस्थापक सैयद अली शाह गिलानी (सेंटर में) नजर आ रहे हैं। उसने यह संगठन 2004 में बनाया था।

तस्वीर में तहरीक-ए-हुर्रियत के संस्थापक सैयद अली शाह गिलानी (सेंटर में) नजर आ रहे हैं। उसने यह संगठन 2004 में बनाया था।

दूसरा- मुस्लिम लीग मसरत आलम ग्रुप
केंद्र सरकार ने 27 दिसंबर 2023 को मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर (मसरत आलम ग्रुप) पर प्रतिबंध लगा दिया था। गृहमंत्री अमित शाह ने पोस्ट करके इसकी जानकारी दी थ। उन्होंने कहा था कि देश विरोधी गतिविधियों की वजह से इस संगठन पर UAPA के तहत बैन लगाया गया है।

 

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शाह ने आगे कहा था कि मसरत आलम ग्रुप के सदस्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं। आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं और लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाते हैं।

मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर संगठन को मसरत आलम भट्ट ने बनाया था। वो 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।

मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर संगठन को मसरत आलम भट्ट ने बनाया था। वो 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।

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