विदेशी त्योहारों की ललक में अपनी सभ्यता व संस्कृति नहीं भूलनी चाहिए: अरविंद शर्मा

कहा: धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर तथा गुरु गोविंद सिंह ने दिया बलिदान

एस• के• मित्तल
सफीदों,         विदेशी त्योहारों की ललक में हिंदू समाज को अपनी सभ्यता व संस्कृति नहीं भूलनी चाहिए। यह बात विश्व हिंदू परिषद के जिला उपाध्यक्ष अरविंद शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि इन दिनों 21 से 28 दिसंबर तक ठिठुरन भरी सर्दी में दशमेश पिता स्र्ववंश दानी गुरु गोविंद सिंह जी ने हिंदू धर्म की सुरक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर की दिया। उनके बलिदान को हिंदू समाज सदैव याद रखेगा।
हिंदू समाज सिख पंथ के सभी गुरूओं का पूरा मान-सम्मान करता है लेकिन नौवें गुरु श्री तेग बहादुर जी और दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का सदा ऋणी रहेगा। जिन्होंने मुगलों से शूरवीरता और पराक्रम से लड़ाई लड़कर हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। ऐसे में हिंदू समाज इन दिनों विदेशी त्यौहार क्रिसमस को कैसे मना सकता है। बनावटी प्लास्टिक के क्रिसमस पेड़ की पूजा करना हिंदू समाज के लिए किसी भी रूप में सही नहीं है। यह पूरा एक सप्ताह गुरु तेग बहादुर जी और गुरु गोविंद सिंह जी की शहादत को नमन करने का समय है। इन दिनों में इनके जीवन प्रसंगों के बारे में सभी विद्यालयों व कॉलेजों में कार्यक्रम तथा शब्द-कीर्तन का प्रसारण होना चाहिए।
बनावटी प्लास्टिक के क्रिसमस पेड़ के स्थान पर हिंदुओं की आस्था के प्रतीक तुलसी जी की पूजा-वंदना करनी चाहिए। पूरे भारत में 25 दिसंबर का दिन तुलसी पूजन दिवस के रूप में सौहार्द व प्रेम के साथ मनाना चाहिए। उन्होंने हिंदू समाज से आह्वान किया कि नई पीढ़ी को नियमित पूजा में शामिल करें ताकि उनमें संस्कार व संयम का संचार हो। इसके अलावा बच्चों में गीता पढऩे की रुचि जागृत करनी चाहिए।  गायत्री मंत्र का जाप तथा श्री हनुमान चालीसा पाठ हर घर तथा विद्यालयों में अवश्य होना चाहिए।
राज्य व केंद्र सरकार कोई चाहिए विद्यालयों में नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में जोडऩा चाहिए ताकि बच्चों को हिंदू संस्कृति और सभ्यता के साथ जोड़ा जा सके। विद्यालयों और अभिभावकों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि इन दिनों गुरूओं की शहादत को नमन करते हुए तुलसी पूजन दिवस मनाकर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए

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