राजस्थान के घी से होगी राम मंदिर की पहली आरती: जो गायें कटने वाली थीं, उन्हीं का घी 108 रथों से 21 दिन में पहुंचेगा अयोध्या

जनवरी 2024 में रामभक्तों का कई दशकों का इंतजार खत्म हो जाएगा। रामलला अयोध्या के मुख्य मंदिर में विराजेंगे। इस ऐतिहासिक उत्सव में राजस्थान की भी भागीदारी होगी।

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मंदिर में होने वाली पहली आरती और महायज्ञ में जो घी इस्तेमाल होगा, वो जोधपुर से भेजा जाएगा। इसी घी से मंदिर की अखंड ज्योत को भी प्रज्जवलित किया जाएगा।

इसके लिए 6 क्विंटल यानी 600 किलो घी अयोध्या भेजा जाएगा। खास बात ये है कि घी ट्रेन, बस या कार में नहीं बल्कि 108 रथ में भेजा जाएगा, जिनमें 216 बैल होंगे। ये रथ 27 नवंबर को घी लेकर जोधपुर से अयोध्या के लिए रवाना होंगे।

एक खास बात ये भी है कि जिन गायों के घी से राम मंदिर की पहली आरती होगी, वो आज जिंदा ही नहीं होतीं, अगर एक संत ने उन्हें बचाया नहीं होता। उन्हीं संत का 20 साल पुराना संकल्प है, जिसकी बदौलत राजस्थान इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनने जा रहा है।

महर्षि संदीपनी ने 20 साल पहले ये संकल्प लिया था। अब इसे वे पूरा करने जा रहे हैं।

महर्षि संदीपनी ने 20 साल पहले ये संकल्प लिया था। अब इसे वे पूरा करने जा रहे हैं।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

एक संत का 20 साल पुराना संकल्प

जोधपुर के बनाड़ के पास जयपुर रोड पर श्रीश्री महर्षि संदीपनी राम धर्म गोशाला है। इस गोशाला का संचालन महर्षि संदीपनी महाराज की ओर से किया जा रहा है। महर्षि संदीपनी महाराज ने बताया कि उन्होंने 20 साल पहले संकल्प लिया था कि अयोध्या में जब भी राम मंदिर बनेगा, उसके लिए शुद्ध देशी गाय का घी वो लेकर जाएंगे।

इसी बीच साल 2014 में उन्होंने गायों से भरे एक ट्रक को रुकवाया, जो जोधपुर से गोकशी के लिए ले जाया जा रहा था। ट्रक में करीब 60 गायें थीं।

महाराज ने इन गायों को छुड़वाया और आस-पास की गोशाला में ले गए। सभी ने इन गायों को रखने से मना कर दिया। अंत में उन्होंने निर्णय लिया कि वे खुद गोशाला शुरू करेंगे और इन गायों को पालेंगे।

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पहले लोगों ने मजाक उड़ाया, फिर दिया सहयोग

इसी दौरान राम मंदिर बनने को लेकर उम्मीद बंधने लगी तो उन्होंने उन 60 गायों का घी एकत्रित करना शुरू कर दिया। महाराज ने बताया कि ये संकल्प भी था कि जितना भी घी होगा, उसे वे बैल पर ले जाएंगे।

महाराज ने आस-पास के लोगों को जब अपने प्रण के बारे में बताया तो लोगों ने कई सवाल किए और मजाक उड़ाया। यात्रा कैसे पूरी होगी? इतना घी कहां से लाओगे?

महाराज ने लोगों के सवालों से विचलित हुए बिना घी एकत्रित करना जारी रखा। 2016 में लोगों को जब महाराज के संकल्प की गंभीरता का अहसास हुआ तो वे गोशाला आए। उन्होंने देखा कि महाराज ने घी जुटाना शुरू कर दिया है तो वे लोग भी सहयोग करने लगे, जो पहले मजाक उड़ाते थे।

पहले मटकों में रखा, फिर स्टील की टंकियां, सुरक्षित स्टोरेज के लिए जड़ी-बूटियां

महाराज संदीपनी ने बताया कि शुरुआत में वे मटकी में घी एकत्रित कर रहे थे। गर्मी की वजह से घी पिघलकर बाहर आने लगा और मटकी में भी दरारें आने लगी। एक-दो बार तो घी भी खराब हो गया।

इस पर किसी दूसरे संत से पता चला कि पांच अलग-अलग जड़ी बूटियों के रस से घी को कई सालों तक सुरक्षित स्टोरेज रखा जा सकता है। ऐसे में वे हरिद्वार गए और वहां से ब्राह्मी व पान की पत्तियों समेत अन्य जड़ी बूटियां लेकर आए। इनका रस तैयार कर घी में मिलाया।

इसके बाद इस घी को स्टील की टंकियों में डाल एसी के टेम्प्रेचर (16 डिग्री) में रखा। सुरक्षित स्टोरेज का ही नतीजा है कि 9 साल बाद भी ये घी पहले जैसा ही है। यहां अभी करीब 9 स्टील की टंकियों में इन्हें स्टोरेज कर रखा गया है।

इन गायों की डाइट में भी बदलाव किया गया। गोशाला में चारा के अलावा दूसरी चीजों पर बैन लगा रखा है।

इन गायों की डाइट में भी बदलाव किया गया। गोशाला में चारा के अलावा दूसरी चीजों पर बैन लगा रखा है।

घी के लिए गायों की डाइट और रूटीन बदला

महाराज संदीपनी ने बताया कि यदि घी में मिलावट हो तो वो जल्दी खराब हो जाता है। उन्होंने जो देसी घी तैयार किया है, वह प्राचीन परंपरा के अनुसार किया गया है, जिसकी वजह से ये खराब नहीं होता।

उन्होंंने बताया कि घी की शुद्धता बनाए रखने के लिए गायों की डाइट में भी बदलाव किया गया। पिछले 9 सालों से गायों को हरा चरा, सूखा चारा और पानी ही दिया गया।

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इन तीन चीजों के अलावा बाकी सारी चीजों पर पाबंदी लगा दी। इतना ही नहीं गोशाला में आने वाले लोगों को भी साफ हिदायत दी गई कि इन गायों को बाहर से लाया गया कुछ न खिलाए।

हर तीन साल में घी को उबाला जाता है, साफ करते हैं बर्तन

9 साल में गायों की संख्या 60 से बढ़कर 350 पहुंच गई है। इन्हें अधिकांश वे गाेवंश है, जो सड़क हादसे का शिकार थे या बीमार थे। गायों की संख्या बढ़ी तो घी की मात्रा भी बढ़ने लगी।

घी का जड़ी-बूटियों के रस से तो सुरक्षित रखा ही जाता है, लेकिन इसके अलावा भी पूरे घी को हर तीन साल में 1 बार पांच जड़ी बूटियां मिलाकर उबाला जाता है।

घी के बर्तनों को अच्छी तरह साफ किया जाता है। यही कारण है कि इतने साल में भी ये घी खराब नहीं हुआ। इसके अलावा जिस कमरे में ये घी स्टोर किया जा रहा है, वह भी साफ सुथरा है और भरपूर वेंटिलेशन है।

पैदल यात्रा को लेकर हाल ही में पोस्टर लॉन्च किया था। इसमें सेवकों का रजिस्ट्रेशन किया गया है।

पैदल यात्रा को लेकर हाल ही में पोस्टर लॉन्च किया था। इसमें सेवकों का रजिस्ट्रेशन किया गया है।

अयोध्या जाकर बताया संकल्प, टीम यहां देखने भी आई

महाराज संदीपनी ने बताया कि काफी घी तो तैयार हो गया था, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती थी कि इस घी को अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर तक कैसे पहुंचाएं। विहित प्रांत सहमंत्री महेंद्र सिंह राजपुरोहित ने बताया कि जोधपुर से एक सदस्यों की टीम अयोध्या गई।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के पदाधिकारियों से मिलकर उन्हें महाराज के संकल्प के बारे में बताया। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में भी टीम गई और घी स्टोरेज के बारे में जानकारी दी गई।

इसके बाद अयोध्या से एक टीम जोधपुर आई। यहां गोशाला में घी स्टोरेज और पूरी प्रक्रिया समझी। इसके बाद टीम ने सहमति दी। सहमति मिलने के बाद घी को बैलों से आयोध्या ले जाने की रूपरेखा बनाई गई।

अब पढ़िए कैसे 108 रथ से ये घी पहुंचाया जाएगा अयोध्या

27 नवंबर को 108 रथ जोधपुर से 600 किलो घी लेकर अयोध्या के लिए रवाना होंगे। हर रथ में दो बैल होंगे।

महाराज संदीपनी ने बताया कि यात्रा के दौरान हर रथ के लिए एक ट्रक होगा। एक शहर से दूसरे शहर की दूरी ट्रकों से तय की जाएगी और शहर में पहुंचने के बाद रथयात्रा निकाली जाएगी।

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उदाहरण के लिए, जैसे जाेधपुर से रवाना होकर पाली पहुंचने तक रथ, बैल और 3 सेवादार एक ट्रक में होंगे। पाली पहुंचने के बाद बैलों और ट्रक को रथ से निकालकर शहर में यात्रा निकाली जाएगी। पाली से रवाना होते समय फिर रथ और बैलों को ट्रक में चढ़ा दिया जाएगा।

जोधपुर से अयोध्या की दूरी 1150 किलोमीटर की है। ये दूरी 21 दिनों में पूरी होगी। हर दिन 50 से 60 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। यात्रा 18 दिसंबर को अयोध्या पहुंच जाएगी।

जिस शहर से गुजरेंगे, वहां शोभायात्रा, बाकी दूरी ट्रकों से तय करेंगे

जोधपुर से पाली, अजमेर, ब्यावर, जयपुर, भरतपुर, मथुरा, लखनऊ से होते हुए ये सभी ट्रक अयोध्या पहुंचेंगे। यात्रा के दौरान शहर के प्रमुख चार से पांच मंदिरों के दर्शन भी करेंगे।

ये सिलसिला अयोध्या तक चलेगा। बताया जा रहा है कि लखनऊ शहर में ये यात्रा पांच दिनों तक रहेगी। पूरे लखनऊ शहर में इस यात्रा को बैलों के साथ घुमाया जाएगा। इन रथ में राम जन्म से लेकर राजतिलक तक की झांकियां भी शामिल रहेगी।

इस यात्रा के लिए 108 रख तैयार किए जा रहे हैं। इसके लिए भामाशाह भी आगे आ रहे हैं।

इस यात्रा के लिए 108 रख तैयार किए जा रहे हैं। इसके लिए भामाशाह भी आगे आ रहे हैं।

पूरी यात्रा पर 10 करोड़ का खर्च

हर रथ में 3 लोग सेवा देंगे। एक रथ पर साढ़े तीन लाख रुपए का खर्च आया है। पूरी यात्रा में करीब 10 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके लिए राम भक्तों से भी सहयोग मांगा गया है।

108 रथ के हिसाब से यात्रा में शामिल होने वाले 324 लोगों को चयन गोशाला में रजिस्ट्रेशन के आधार पर हुआ है। यात्रा जिस दिन, जिस गांव या शहर में होगी, वहां के लोगों और सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से इन यात्रियों और बैलों के खाने और सोने की व्यवस्था की जाएगी।

महायज्ञ के लिए गांवों से जुटा रहे एक-एक मुट्‌ठी हवन सामग्री

मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान महायज्ञ भी होगा। महायज्ञ में भी इसी घी की आहुति दी जाएगी। इसके अलावा यज्ञ सामग्री भी जोधपुर से घी के साथ भेजी जाएगी।

इसके लिए जन्माष्टमी के दिन 7 सितंबर से शुरुआत की जा चुकी है। गांव-गांव से एक-एक मुट्‌ठी हवन सामग्री एकत्रित की जा रही है। लक्ष्य है कि हवन सामग्री के लिए 1 लाख राम भक्त सहयोग करें।

इसके लिए रोज रात को रथों को 20 किलोमीटर के दायरे में गांव में घुमाया जाता है। नवंबर तक 10 हजार गांवों में ये रथ जाएंगे और राम मंदिर के लिए लोगों से एक मुट्ठी हवन सामग्री का सहयोग लेंगे।

घी के साथ यज्ञ सामग्री को भी शामिल किया जा रहा है। युवाओं की टीम घर-घर जाकर सामग्री शामिल कर रही है।

घी के साथ यज्ञ सामग्री को भी शामिल किया जा रहा है। युवाओं की टीम घर-घर जाकर सामग्री शामिल कर रही है।

हवन सामग्री के लिए एक रात पहले होती है मुनादी

हवन सामग्री एकत्रित करने में देर हो, इसलिए एक रात पहले ही गांव में मुनादी करवा दी जाती है कि सुबह रथ आएगा। इसके बाद गांव के लोग एक मंदिर में हवन सामग्री को एकत्रित रखते हैं। जहां से रथ तुरंत हवन सामग्री को लेकर अगले गांव के लिए प्रस्थान कर जाता है।

हवन सामग्री में एक मुट्‌ठी तिल, शक्कर, चावल, जौ, गूगल धूप, कपूर, गोटा (सूखा नारियल), खेजड़ी की पांच लकड़ियां रोली धागे में बांधी जाएगी। ग्रामीण अपनी इच्छा के अनुसार कोई भी एक सामग्री दान कर रहे हैं। यदि कोई पूरी हवन सामग्री भी दान करना चाहता है तो वह भी कर सकता है।

नवरात्र में हाथ पर प्रज्वलित करते हैं अखंड जोत

महाराज संदीपनी ने बताया कि मैं 22 साल से हर 6 महीने में नवरात्र में नौ दिन तक हाथ के ऊपर अखंड जोत प्रज्जवलित करता हूं। इस अनुष्ठान के दौरान ही संकल्प था कि अयोध्या में राम मंदिर बने और गो माता की रक्षा हो। अब जनवरी में राम मंदिर का निर्माण होकर कार्य पूरा होने जा रहा है, इसलिए उन्होंने अयोध्या जाने का निश्चय किया। हर घर से हवन सामग्री लेने की शुरुआत की गई जिसमें लोगों का भरपूर सहयोग मिल रहा है।

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9 साल पहले गोशाला की शुरुआत की गई थी। यहां 24 घंटे श्रीमद् भगवत गीता का पाठ चलता रहता है।

9 साल पहले गोशाला की शुरुआत की गई थी। यहां 24 घंटे श्रीमद् भगवत गीता का पाठ चलता रहता है।

गोशाला में 24 घंटे श्रीमद्भगवत गीता का पाठ

गोशाला में 24 घंटे भगवत गीता का पाठ किया जाता है। महाराज ने बताया कि इसका कारण ये भी कि भगवत गीता सुनने से जो भगवान की कृपा गौ माता के ऊपर बरसती है। उनका मन पवन हो, वो भगवान का चिंतन करते हुए चारा खाए और दूध दें, जिससे अमृत तुल्य घी तैयार हो जाता है।

 

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