भगवनश्री रामप्रसाद महाराज का स्मृति दिवस हर्षोल्लास से मनाया

एस• के• मित्तल 

सफीदों,       नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में मधुरवक्ता नवीन चंद्र महाराज एवं सरलमना श्रीपाल मुनि महाराज के पावन सानिध्य में समय के जौहरी भगवनश्री रामप्रसाद महाराज का स्मृति दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। धर्मसभा में भगवनश्री रामप्रसाद महाराज के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। अपने आशीर्वचन में मधुरवक्ता नवीन चंद्र महाराज ने कहा कि महामानवों का जन्म तो सामान्य बालकों की तरह से होता है लेकिन समय आने पर वे अपने दिव्य गुणों के भण्डार से धरती के कण-कण महका देते है।
कलिकाल के इस दौर में आज उत्तर भारत के तपस्वी राज पुज्य श्री बद्री प्रशाद महाराज की त्रिवेणी उत्तर भारत की मस्तक मणी बनी हुई है। वर्तमान में इस त्रिवेणी के सलेखना संथारा साधक सेठ प्रकाश चंद्र महाराज का वर्धहस्त हम पर बना रहे ऐसी मंगलकामना है। 25 दिसंबर 2012 की घटना की चर्चा करते हुए नवीन मुनि महाराज ने बताया कि उनके हस्तलिखित पन्ने जो हितशिक्षा के रूप में उनका स्नेह आज भी उनके पास सुरक्षित है। सरलमना श्रीपाल मुनि महाराज ने फरमाया कि विनय ही धर्म का मूल है।
सभी गुण विनय के अधीन है। यदि मनुष्य ने विनय को पा लिया है तो समझों कि उसने समस्त गुणों को पा लिया है। सद्गुणों के खजाने की यदि कोई चाबी है तो वह है विनय। ज्ञान पथ पर बढऩे के लिए पहला कदम विनय ही है। विनम्रता के बिना कुछ पा नही सकते। हमारे जीवन में विनय आएगी तभी हम अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते है।

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