पंचायती राज चुनावों का असर धान कटाई पर भी पड़ा

 

लोकल मजूदरों की कमी के चलते प्रवासियों ने कटाई की मजदूरी की दोगुनी

 

एस• के• मित्तल 

सफीदों, बिहार के ग्रामीण इलाकों में सरकारी सुविधाओं में इजाफा होने के कारण धान की रोपाई व कटाई करने को हरियाणा में आने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या में पिछले कई वर्षों से निरन्तर गिरावट दर्ज हो रही है। इस सीजन में भी बहुत कम संख्या मे मजदूर आये हैं जिसके कारण कटाई की मजदूरी बढ़ गई है। पिछले वर्ष प्रति एकड़ चार हजार रुपये में धान कटाई की मजदूरी थी।

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इस सीजन में सात हजार रुपये के आसपास मजदूरी रेट हो गया है। इसी बीच कुछ स्थानीय मजदूर जो धान कटाई का काम करते थे उनमें अधिकतर अब हरियाणा में पंचायती राज चुनावों के कारण कटाई के काम पर नहीं हैं। इनमें बहुत नशेड़ी लोग उम्मीदवारों से शराब लेकर जमा करने में लगे हैं। सिंघाना गांव के खेतों में धान कटाई व झड़ाई के काम मे लगे पूर्णिया (बिहार) के संजू व धीरज का कहना था कि बिहार में गरीब परिवारों को राशन व कई तरह की सुविधाओं में बेहतरी आई है इसलिए अब हरियाणा व पंजाब जाना ज्यादा लोग नहीं चाहते।

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इनका कहना था कि बिहार में मजदूरी भी अब तो चार सौ से बढ़कर पांच सौ हो गई है। इन्होंने बताया कि धान कटाई में दिहाड़ी तो अच्छी पड़ती है इसलिए कुछ लोग जो वहां कर्जदार हैं, कड़ी मेहनत करके कर्ज चुकाने को ही यहां आते हैं।

 

 

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