दिल्ली में 4 सीटों पर AAP लड़ सकती है चुनाव: 3 सीटों पर कांग्रेस अपने प्रत्याशी उतारेगी; गुजरात-हरियाणा में भी सीट शेयरिंग फाइनल स्टेज पर

 

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मुला तय हो गया है।

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए AAP और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग का ऐलान जल्द होने वाला है। पार्टी सूत्रों से शुक्रवार (22 फरवरी) को मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में से 4 पर AAP और 3 पर कांग्रेस के लड़ने की सहमति बन रही है।

 

सूत्र ने बताया कि AAP अपने कैंडिडेट साउथ दिल्ली, वेस्ट दिल्ली, नॉर्थ वेस्ट दिल्ली और नई दिल्ली सीट पर उतारेगी। वहीं, कांग्रेस को चांदनी चौक, ईस्ट दिल्ली और नॉर्थ ईस्ट दिल्ली की सीटें दी गई हैं। दिल्ली में पिछले लोकसभा चुनाव में सातों सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी।

दिल्ली के अलावा गुजरात और हरियाणा में भी सीट शेयरिंग का फॉर्मुला दोनों पार्टी के बीच तय हो गया है। पंजाब में AAP अकेले चुनाव लड़ने के मूड में हैं। केजरीवाल ने पंजाब में 10 फरवरी को इसका ऐलान किया था। उन्होंने 21 फरवरी को कहा था पंजाब में अकेले लड़ने के फैसला जीतने के लिए किया है।

उधर, गुजरात की 26 सीटों में से कांग्रेस AAP को भरूच और भावनगर की सीट देने पर फैसला कर चुकी है। वहीं, हरियाणा की 10 सीटों में से या तो गुरुग्राम या फिर फरीदाबाद की सीट AAP को दी जाएगी।

संदीप पाठक बोले- कांग्रेस 1 सीट से ज्यादा की हकदार नहीं
AAP के महासचिव और राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने 14 फरवरी को कहा था कि हम कांग्रेस को दिल्ली में एक ही सीट देने पर विचार कर रहे हैं। कांग्रेस एक से ज्यादा सीट की हकदार नहीं है।

AAP ने असम-गुजरात में अपने उम्मीदवारों की घोषणा की
AAP ने कई बार इस बात पर जोर दिया है कि वह I.N.D.I.A के साथ है, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए अलग-अलग राज्यों में लगातार अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर रही है। AAP ने 8 फरवरी को असम में तीन सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की थी।

इससे पहले केजरीवाल ने जनवरी में गुजरात यात्रा के दौरान राज्य की भरूच लोकसभा सीट पर चैतर वसावा को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला भी इसी के बाद आया है।

 

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बंगाल में ममता भी अकेले लड़ेंगी चुनाव
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। ममता भी खुद को I.N.D.I.A का हिस्सा बताती रही हैं। हालांकि, उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने के अपने फैसले के लिए कांग्रेस के साथ सीट-शेयरिंग को लेकर बातचीत फेल होने का हवाला दिया था।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने रास्ते पहले ही अलग कर चुके हैं। वे I.N.D.I.A के सूत्रधार थे। उन्होंने ही सभी विपक्षी पार्टियों को BJP के खिलाफ एकजुट किया था। हालांकि, वे खुद 28 जनवरी को NDA में शामिल हो गए और BJP के साथ मिलकर सरकार बना ली।

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उद्धव ठाकरे ने 5 फरवरी को कहा कि, ‘मैं मोदीजी को बताना चाहता हूं कि हम कभी भी आपके दुश्मन नहीं थे। आज भी हम दुश्मन नहीं हैं। हम आपके साथ थे। हमने पिछली बार आपके लिए प्रचार किया था।’

नीतीश कुमार के ‌BJP के साथ मिलने के बाद ​​​​​​ उद्धव के सुर भी बदले नजर आ रहे हैं। पिछले 10 दिनों में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. को 4 बड़े झटके लगे थे, पांचवां झटका उद्धव ठाकरे ने मोदी की तारीफ करके दे दिया है।

 

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