जब-जब दुराचार व पापाचार बढ़ता है, तब-तब प्रभु अवतार लेते हैं: आचार्य देशमुख वशिष्ठ महाराज

श्रद्धालुओं को भगवान श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनाकर किया निहाल

एस• के• मित्तल
सफीदों,     नगर के ऐतिहासिक महाभारतकालीन नागक्षेत्र सरोवर हाल में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए भागवत पीठाधीश्वर आचार्य देशमुख वशिष्ठ महाराज ने कहा कि जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पापाचार बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। भगवान कृष्ण पूर्णब्रह्म है उनके दर्शन मात्र से कलयुग में समस्त पापों का नाश होता है। देवकी के 8वें लाल बनकर कंस का वध करने व ब्रज मंडल को कंस के आतंक से मुक्त करने के लिए जेल में आधी रात भगवान प्रकट हुए। उन्होंने कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह सुअवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा का सुनना तभी सार्थक होगा, जब उसके बताए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करेंगे।
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भागवत सुनने से हमारे जीवन में सद्गुणों का विकास होता है। हम काम, क्रोध, लोभ और भय से सहज ही मुक्त हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि समुद्र मंथन से तो एक बार में केवल चौदह रत्न मिले थे, परन्तु आत्ममंथन से तो मनुष्य को परमात्मा की प्राप्ति होती है। क्योंकि, जो हरि का दास है, वह सुख-दुख से परे होकर हमेशा परमानंद की स्थिति में रह्ता है। श्रीहरि केवल दुष्टों के दमन हेतु इस वसुंधरा पर अवतरित नहीं होते, अपितु लोककल्याण के निमित्त उनका जन्म होता है। कथा में श्रभ्द्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण के जयकारों तथा ‘नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल’ का जयघोष किया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण जन्म के बधाई गीत गाए।
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