गांव पाजू कलां में जानी चोर नामक सांग का हुआ मंचन

एस• के• मित्तल   
सफीदों,  उपमंडल के गांव पाजू कलां में गुरू नानक कल्चरल सेवा समिति के तत्वावधान में जानी चोर नामक सांग का मंच किया गया। सांगी संजय की टीम ने अपनी कला के माध्यम से सभी मन मोह लिया। गांव के काफी तादाद में लोगों ने सांग का आनंद उठाया। कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि पूर्व विधायक कलीराम पटवारी ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष मालक सिंह ने की। सांग के माध्यम से कलाकारों ने बताया कि चकवाबैन नामक राजा कीचागढ़ में हुआ है। चकवाबैन राजा का पुत्र मैनपाल था और मैनपाल का पुत्र सुलतान था।
सुलतान की जानी चोर से गहन दोस्ती थी। दोनों पगड़ी बदल यार थे। सुलतान नखरगढ़ में बारह वर्ष तक रहा था क्योंकि उसके पिता ने उसे 12 वर्ष का दयसोटा दिया था। नखरगढ़ के राजा ढोल की रानी का नाम मरवण था। सुलतान ने उसे धर्म बहन बना लिया था। जब दसयोटे की समय सीमा पूरी हुई तो सुलतान अपनी धर्म बहन मरवण को वचन देता है कि जब कभी उसे जरूरत पड़े तो अपने भाई को याद कर लेना। मरवण के लड़के का नाम फूलकुंवार था। जब फूलकंवार का विवाह होना तय हुआ तो चारो भाई यानि गोधू जाटा, भौमसिंह बंजरा, नर सुलतान व जानी चोर भात भरने मरवण के यहां जाते हैं। उधर देवलगढ़ के अदली खाँ पठान की कैद में बख्सी सिंह राजपूत की लड़की महकदे थी।
अदली खां उसको मजबूर कर रहा था कि वह उसकी बेगम बन जाए। महकदे एक क्षत्रिय संतान थी। वह मर सकती थी लेकिन एक विधर्मी के साथ विवाह नहीं कर सकती थी। अदली खाँ का किला आबू दरिया के साथ में स्थित था। महकदे अपना संदेश लिख-लिखकर उस दरिया में डाल देती थी कि कोई छत्रिय भारत भूमि पर हो तो वह उसे अदली खाँ की कैद से मुक्त करवा दे। मुक्त करवाने की समय सीमा केवल दस दिन की थी। वह तख्ती जिस पर यह संदेश लिखा हुआ था नर सुलतान को मिल जाती है। कलाकारों ने बताया कि राय साहब धनपत सिंह का यह सर्वश्रेष्ठ सांग माना जाता है। राय साहब धनपत सिंह तथा जानी चोर दोनों ही भीमेश्वरी देवी के परम भक्त थे। इस मौके पर सरपंच पवन कुमार, समिति के अध्यक्ष मालक सिंह संजय शर्मा, दलबीर मलिक व नरेश वर्मा मौजूद थे।

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