गांव अंटा में हुआ शाही लकड़हारा सांग का मंचन

एस• के• मित्तल 
सफीदों,         इंडियन कल्चर एंड सोशल एजुकेशन सोसाइटी द्वारा सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से उपमंडल के गांव अंटा की कश्यप चौपाल में शाही लकड़हारा सांग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्यातिथि वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद देशवाल रहे।
विशिष्टातिथि के रूप में जिला पार्षद रामफल कश्यप व सरपंच फूल कुमार रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सोसायटी के अध्यक्ष घनश्याम दास ने की। सोसाईटी के सचिव गुरनाम संधू रामपुरा ने आए हुए अतिथियों का अभिनंदन किया। मुख्यातिथि एडवोकेट विनोद देशवाल ने दीप प्रज्ज्वलन करके समारोह का शुभारंभ किया। सांगी संजय लाखनमाजरा की टीम ने शाही लकड़हारा सांग का मंचन किया। कलाकारों ने सांग का मंचन करते हुए बताया कि यह कहानी जोधपुर में राजा जोधानाथ व रानी रुपाणी की है। रात को जंगल में जंगली जानवर की आवाज आती है। राजा कहता है शेर की आवाज है तो रानी कहती है गिदड़ की आवाज है।
दोनों में शर्त लग जाती है और यह तय हो जाता है कि जो हार जाएगा उसे 12 बर्ष का वनवास होगा। इस शर्त में रानी हार जाती है और गर्भवती रानी रूपाणी को 12 वर्ष के वनवास के लिए वन में जाना पड़ता है। रानी ने जंगल में तपस्या कर रहे एक साधु की कुटिया में शरण ली। कुछ दिन बाद रानी को लड़का पैदा हुआ। साधु ने उसका नाम विरेन्द्र सिंह शाही लकड़हारा रखा। ग्रामीणों ने सांग का जमकर लुत्फ उठाया। अपने संबोधन में मुख्यातिथि एडवोकेट विनोद देशवाल ने कहा कि हरियाणवीं संस्कृति को फलीभूत करने व महापुरूषों के जीवन चरित्र को समाज के सामने लाने में सांग का अहम योगदान रहा है।

वर्तमान दौर में सांग का मंचन सिमटता चला जा रहा है जोकि एक चिंतनीय विषय है। ऐसे में विलुप्त हो रही सांग की संस्कृति को बचाने में सोसाइटी अपना अहम रोल अदा कर रही है, जिसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। कार्यक्रम के समापन पर अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *