करनाल में MBBS स्टूडेंट्स सड़क पर उतरे: मेडिकल कॉलेज से कमेटी चौंक तक निकाला कैंडल मार्च; बॉन्ड पॉलिसी का किया विरोध

 

करनाल में कैंडल मार्च निकालते हुए MBBS छात्र।

हरियाणा के करनाल के मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले MBBS छात्र पिछले 33 दिनों से सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में हड़ताल पर हैं। शनिवार देर शाम MBBS छात्रों ने हाथ में मशाल लेकर शहर में कैंडल मार्च निकाला।

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कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज के सभी MBBS छात्र शाम को हाथों में मशाल लेकर सड़कों पर उतर आए। मेडिकल कॉलेज से कैंडल मार्च निकालते हुए वे अंबेडकर चौक पहुंचे। उसके बाद छात्रों ने आगे कमेटी चौंक तक प्रदर्शन किया। सैकड़ों की संख्या में जब छात्र कैंडल मार्च निकालते हुए सड़कों पर उतरे तो शहर की सड़कों और बाजारों में जाम की स्थिति बन गई। हालांकि ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी भी इस जाम को खुलवाते हुए नजर आए है।

पैसे ऐंठने का काम कर रही सरकार

छात्र रोहित ने बताया कि सरकार के साथ कई बार उनकी मीटिंग हो चुकी है। लेकिन अब तक इन मीटिंग में कोई हल नहीं निकला है। पिछले दिनों हुई मीटिंग में भी सरकार ने हमें बांटने का काम किया था। लेकिन हम बटने वाले नहीं है। इस कैंडल मार्च के द्वारा वह सरकार को दिखाना चाहते है। जब तक बॉन्ड पॉलिसी को वापस नहीं लिया जाता तब तक वह पीछे हटने वाले नहीं है।

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33 दिन से नहीं हो रही पढ़ाई

छात्रों ने कहा कि पिछले 33 दिन से कोई भी छात्र पढ़ने के लिए कक्षाओं में नहीं गए हैं। जिससे उनकी पढ़ाई भी काफी प्रभावित हो रही है। पढ़ाई न होने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। छात्रों ने कहा कि यह सरकार उनको दबाने का कोशिश कर रही है, लेकिन वह दबने वाले नहीं है। जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती तब वह पीछे हटने वाले नहीं है।

आर्थिक रूप से कमजोर छात्र कैसे करेंगे पढ़ाई

​​​​​प्रदर्शन में शामिल छात्रों ने कहा कि 4 साल के कोर्स में MBBS के छात्रों को 40 लाख रुपए की फीस जमा करानी होगी। जो छात्र आर्थिक रूप से कमजोर हैं, वह MBBS का कोर्स नहीं कर पाएंगे। जिससे बॉन्ड नीति के खिलाफ MBBS के छात्रों में रोष है। छात्राओं ने सरकार से मांग की है कि बॉन्ड नीति को वापस लिया जाए ताकि छात्र MBBS का कोर्स आसानी से कर सके। छात्रों का कहना है कि शासन और प्रशासन उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है।

छात्रों की ये है मुख्य मांगे

  • ​​​​​​​कैंडल मार्च में शामिल छात्रों की मुख्य मांग है कि बॉन्ड एग्रीमेंट में से बैंक की दख़लंदाजी पूरी तरह से खत्म की जाए।
  • साथ ही बॉन्ड सेवा की अवधि 7 साल से घटाकर अधिकतम 1 वर्ष की जाए।
  • ग्रेजुएशन के अधिकतम 2 महीने के अंदर सरकार MBBS ग्रेजुएट को नौकरी प्रदान करे।
  • 40 लाख सेवा बॉन्ड राशि को घटाकर 5 लाख रुपए किया जाए।

 

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