करनाल में धान घोटाले का मामला: फिजिकल वेरिफिकेशन खोलेगी भ्रष्ट राइस मिल संचालकों की पोल, तीसरे दिन भी अधिकारियों ने जांचे गोदाम

राइस मिल के बाहर धान से भरे ट्रको की लगी लाईन का दृश्य।

हरियाणा के जिले करनाल में फूड माफिया पर नकेल कसने के लिए इस बार सरकार ने कमर कस ली है। पहले तो धान खरीद के दौरान लगातार कार्रवाई हुई। अब जबकि धान की खरीद बंद हो गई तो राइस मिल में फिजिकल वेरिफिकेशन हो रही है। फिजिकल वेरिफिकेशन में यह देखा जाता है कि मिल को जितना धान कुटाई के लिए सरकारी एजेंसियों की ओर से अलॉट किया गया, क्या उतनी मात्रा में धान है या नहीं।

करनाल में धान घोटाले का मामला: फिजिकल वेरिफिकेशन खोलेगी भ्रष्ट राइस मिल संचालकों की पोल, तीसरे दिन भी अधिकारियों ने जांचे गोदाम

फिजिकल वेरिफिकेशन से यह पता चल जाता है कि सरकारी धान खरीद में गड़बड़ी हुई या नहीं। इस बार करनाल में धान खरीद के दौरान भारी अनियमितताओं के आरोप लगे। इसके मद्देनजर अब धान की PV चल रही है। टीम तीन दिनों से अलग अलग राइस मिल संचालकों के यहां जांच करने के काम में जुटी हुई है । पहली नजर में ही कई राइस मिल में गड़बड़ी मिली है। इसी रिपोर्ट भी साथ के साथ ही तैयार हो रही है। लेकिन अधिकारी अभी इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

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मिलों में धान के स्टॉक की जांच करने पहुंचे अधिकारी।

मिलों में धान के स्टॉक की जांच करने पहुंचे अधिकारी।

PV में लग रहे पिक एंड चूज के आरोप

हालांकि टीम का दावा है कि सभी राइस मिलों की जांच होगी, लेकिन इस तरह के आरोप भी लग रहे है कि PV सही से नहीं हो रही है। कई मिलों में अनियमितता तो मिली, लेकिन इसे रिकॉर्ड पर नहीं लिया गया है। एंटी करप्शन फाऊंडेशन के चेयरमैन संजीव शर्मा ने बताया कि कुटेल रोड के राइस मिलों में अभी तक PV नहीं की गई है। जबकि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार वहां के मिलों में हुआ है।

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इसी तरह से वह मिल जिन्हें लाभ पहुंचाते हुए जींद और दूसरे जिलों से भी सरकारी धान खरीदने की इजाजत दी गई, उनकी PV अभी तक नहीं हुई। ऐसा लग रहा है कि जिस तरह से CM फ्लाइंग ने धान की खरीद के शुरूआती दौर में तो तेजी से कार्रवाई की, लेकिन बाद में सारा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसी तरह से PV में भी कोई बड़ा खेल न हो जाए।

धान के स्टॉक की जांच करते टीम के सदस्य

धान के स्टॉक की जांच करते टीम के सदस्य

होनी चाहिए वीडियो रिकॉर्डिंग

MSC के स्टूडेंट और एमएसपी और सरकारी धान खरीद प्रक्रिया पर रिसर्च कर रहे रोहित चौहान ने बताया कि करनाल में फूड माफिया की जड़ गहरी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो यह है कि इस बार लगभग सभी मंडियों में खरीद में अनियमितता सामने आई। करनाल अनाज मंडी के सचिव सुंदर कांबोज पर धान खरीद शुरू होते ही आरोप लगने शुरू हो गए थे। उसे सस्पेंड तब किया गया, जब धान की खरीद का सीजन ही खत्म हो गया। सस्पेंड भी मंडी बोर्ड ने नहीं बल्कि कृषि मंत्री ने किया, इससे अंदाजा लग सकता है कि धान खरीद में कितनी गड़बड़ी हुई।

ऑडियो भी हुई वायरल

एक ऑडियो लगातार वायरल होता रहा, इसमें प्रति क्विंटल फर्जी धान खरीद के नाम पर रिश्वत मांगने की बात होती रही। सुंदर कांबोज इस ऑडियो पर कार्रवाई करने की बजाय आरोपियों को बचाने में लगे रहे। इसलिए अब PV निष्पक्ष तरीके से हो, इसके लिए PV की रिकॉर्डिंग होनी चाहिए। अन्यथा PV में भी गड़बड़ी का अंदेशा है।

मंडी में धान के स्टॉक की जांच करते टीम के सदस्य

मंडी में धान के स्टॉक की जांच करते टीम के सदस्य

FCI जो भी चावल लें,उसकी FSL से होनी चाहिए जांच

​​​​​​​रोहित चौहान के अनुसार धान खरीद में जो गड़बड़ी होनी थी, वह हो चुकी। इस पर अब ज्यादा कुछ नहीं हो सकता। अब तो FCI यदि चाहे तो इस पूरे घोटाले पर रोक लग सकती है। होना यह चाहिए कि जो भी चावल अब लेवी का FCI के पास आए, उसकी गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए। यह रिसाइकिल चावल न हो, इसके लिए इसकी गुणवत्ता की जांच FSL से कराई जानी चाहिए। यदि इस तरह की व्यवस्था हो जाती है तो धान खरीद में जो गड़बड़ी हुई, उस पर बहुत हद तक रोक लग सकती है। इसलिए जो भी मिल संचालक FCI को अब चावल की सप्लाई दे रहा है, उसकी गुणवत्ता का प्रमाण पत्र होना चाहिए, इसके बाद उस चावल को गोदाम में लगाया जाना चाहिए।

 

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