उद्योग धंधे ठप, सिकुड़ रहा डेयरी व्‍यवसाय, बेचने पड़ रहे पशु

यमुनानगर। गोशालाओं के साथ-साथ डेयरी कांप्लेक्स में भूसे की तंगी विकट रूप लेती जा रही है। चारा उपलब्ध न होने से परेशान व्यवसायियों ने पशु बेचने शुरू कर दिए। दड़वा डेयरी कांप्लेक्स से हर दिन पशु बेचे जा रहे हैं। अब तक 10 से अधिक व्यवसायी पशुओं को बेच चुके हैं। इनका कहना है कि पशुओं को बेचने के सिवाय अब उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं रहा है। बता दें कि दड़वा कांप्लेक्स शहर का सबसे बड़ा डेयरी कांप्लेक्स है। जनवरी माह में यहां 146 व्यवसायी थे, लेकिन अब घटकर 126 रह गए हैं। इनकी संख्या लगातार घट रही है। इसका कारण कुछ और नहीं बल्कि चारा संकट है।

ट्विन सिटी में कैल, दड़वा, औरंगाबाद व रायपुर चार डेयरी कांप्लेक्स हैं। इनमें छह हजार से अधिक पशु हैं। इन दिनों पशुओं के लिए चारे की समस्या गंभीर बनी हुई है। डीसी पार्थ गुप्ता की ओर से जारी आदेशों के बाद व्यवसायियों ने एक दर्जन से अधिक भूसे से भरे वाहनों को पकड़ा। ये वाहन उप्र की ओर जा रहे थे। वाहनों को पकड़कर पुलिस को सौंप दिया गया। लेकिन पुलिस ने इनको पंजाब से आए हुए वाहन बता कर छोड़ दिया। व्यवसायियों ने यह बात एसडीएम सुशील कुमार के समक्ष भी रखी। एसडीएम ने आश्वासन दिया कि सीमाओं पर सख्ती बढ़ाई जाएगी। उसके बाद मेयर मदन चौहान से भी मिले, लेकिन समस्या ज्यों की त्यों है।

औद्योगिक इकाइयों में जा रहा भूसा 

दरअसल, इस बार बारिश के कारण गेहूं की फसल खराब हो गई थी। जिसके चलते पैदावार घटकर करीब आधी रह गई। गेहूं के साथ-साथ भूसे की पैदावार भी घटी। ऐसे में भूसे के दाम आसमान छूने लगे। उप्र व हिमाचल राज्यों के कुछ क्षेत्र के किसानों से भूसा खरीद कर एक जगह स्टोर कर लेते हैं। किसानों को भी दाम अच्छे मिल रहे हैं। यहां से इस भूसे को ट्रालियों व ट्रकों में लोड करके उप्र व हिमाचल में ले जाते हैं। यहां औद्योगिक इकाइयों में भूसे का प्रयोग किया जा रहा है।

जबकि पशुओं के लिए चारा संकट बुरी तरह गहराया हुआ है। यदि औद्योगिक इकाइयों में हो रही सप्लाई को बंद करवा दिया जाए तो काफी हद तक समस्या का समाधान हो सकता है। ऐसी व्यवस्था होने से दामों में भी गिरावट आएगी और हरियाणा का भूसा हरियाणा की मंडियों में पहुंचेगा।

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