उत्तरकाशी टनल हादसा, दो दिन से फंसे 40 मजदूर: अफसर बोले- सुरक्षित बाहर लाने में अभी दो दिन और लग सकते हैं

 

उत्तरकाशी में 12 नवंबर को सुबह 4 बजे सिल्क्यारा टनल का एक हिस्सा धंस गया। साढ़े 4 किलोमीटर लंबी यह टनल यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में दीपावली (12 नवंबर) के दिन सुबह 4 बजे एक निर्माणाधीन टनल धंस गई, जिसमें 40 मजदूर फंस गए थे। सोमवार 13 नवंबर को देर शाम बचाव कार्य में लगे अफसरों ने कहा कि अंदर फंसे लोगों को बाहर निकालने में दो दिन (मंगलवार रात या बुधवार) का वक्त और लग सकता है। चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ​​​​ब्रह्मकमल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है।

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फंसे हुए मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं। NDRF, SDRF, ITBP, BRO और नेशनल हाईवे के 200 से ज्यादा लोग 36 घंटे से रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हुए हैं। बचाव कार्य देखने पहुंचे CM पुष्कर सिंह धामी ने बताया- सभी मजदूर सुरक्षित हैं, उनसे वॉकी-टॉकी के जरिए संपर्क किया गया है। खाना-पानी पहुंचाया जा रहा है।

धामी ने ये भी कहा कि ने राहत और बचाव कार्य का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए जिस भी चीज की जरूरत होगी, हम उसे जल्द से जल्द मुहैया कराएंगे। भगवान के आशीर्वाद और लोगों के अथक प्रयास से मुझे विश्वास है कि फंसे लोग जल्द सुरक्षित बाहर आ जाएंगे।

नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) ने सोमवार को एक रिपोर्ट जारी कर बताया कि मलबा हटाने के दौरान टनल के ऊपर से मिट्‌टी और पत्थर गिर रहे हैं। इससे रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कत आ रही थी। हालांकि इन्हें शॉटक्रीट के जरिए रोकने का प्रयास किया जा रहा है।

NHIDCL ने सोमवार को बताया कि, टनल के अंदर एक मीटर लंबे स्टील पाइप की मदद से मजदूरों को निकालने का प्लान है। इसके तहत मजदूरों तक पहुंचने के लिए हाइड्रोलिक जैक की मदद से 900MM के डायमीटर का स्टील पाइप डाला जाएगा। इसके लिए सिंचाई विभाग के एक्सपर्ट्स, जियो-टेक्निकल एक्सपर्ट, रेल विकास निगम के इंजीनियर भी यहां आ चुके हैं।

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ग्राफिक के जरिए जानिए कहां हुआ हादसा…

हादसे के दिन देर रात मजदूरों से संपर्क हो पाया
उत्तरकाशी के CO प्रशांत कुमार ने सोमवार को बताया कि हम टनल के अंदर 15 मीटर तक जा चुके हैं और लगभग 35 मीटर और अंदर जाना है। देर रात तक मजदूरों से संपर्क हो गया। सभी मजदूर सुरक्षित हैं। उन्हें पाइप के जरिए ऑक्सीजन और खाना-पानी पहुंचाया जा रहा है।

प्लास्टर नहीं होने की वजह से टनल का 50 मीटर हिस्सा धंसा
NDRF के असिस्टेंट कमांडर करमवीर सिंह ने बताया- साढ़े 4 किलोमीटर लंबी और 14 मीटर चौड़ी इस टनल टनल के स्टार्टिंग पॉइंट से 200 मीटर तक प्लास्टर किया गया था। उससे आगे कोई प्लास्टर नहीं था, जिसकी वजह से ये हादसा हुआ। उम्मीद है कि आज शाम तक मजदूरों को निकाल लिया जाएगा।

स्टेट डिजाजस्टर मैनेजमेंट के मुताबिक, टनल के अंदर झारखंड के 15, उत्तर प्रदेश के 8, ओडिशा के 5, बिहार के 4, पश्चिम बंगाल के 3, उत्तराखंड के 2, असम के 2 और हिमाचल प्रदेश का एक मजदूर शामिल है।

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रेस्क्यू ऑपरेशन की तस्वीरें…

यह टनल का शुरुआती हिस्सा है। अधिकारियों के मुताबिक यहां से 200 मीटर अंदर टनल धंसी।

यह टनल का शुरुआती हिस्सा है। अधिकारियों के मुताबिक यहां से 200 मीटर अंदर टनल धंसी।

टनल से मजदूरों को निकालने के लिए जेसीबी मशीन की मदद ली जा रही है।

टनल से मजदूरों को निकालने के लिए जेसीबी मशीन की मदद ली जा रही है।

यह टनल के अंदर की तस्वीर हैं। एक तरफ का हिस्सा पूरी तरह से ब्लॉक हो गया।

यह टनल के अंदर की तस्वीर हैं। एक तरफ का हिस्सा पूरी तरह से ब्लॉक हो गया।

रेस्क्यू के लिए NDRF, SDRF, फायर ब्रिगेड, नेशनल हाईवे के 156 लोग लगे हुए हैं।

रेस्क्यू के लिए NDRF, SDRF, फायर ब्रिगेड, नेशनल हाईवे के 156 लोग लगे हुए हैं।

टनल के अंदर रात में रेस्क्यू के दौरान मशीनों से मलबा हटाया जा रहा है।

टनल के अंदर रात में रेस्क्यू के दौरान मशीनों से मलबा हटाया जा रहा है।

चारधाम प्रोजेक्ट का हिस्सा है यह टनल
यह टनल चार धाम रोड प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा है। 853.79 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रहा यह टनल हर मौसम में खुली रहेगी। यानी बर्फबारी के दौरान भी इसमें से लोग आना-जाना कर सकेंगे। इसके बनने के बाद उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 26 किमी तक कम हो जाएगी।

दरअसल, सर्दियों में बर्फबारी के दौरान राड़ी टाप क्षेत्र में यमुनोत्री हाईवे बंद हो जाता है। जिससे यमुना घाटी के तीन तहसील मुख्यालयों बड़कोट, पुरोला और मोरी का जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से संपर्क कट जाता है। चारधाम यात्रा को सुगम बनाने और राड़ी टाप में बर्फबारी की समस्या से निजात पाने के लिए यहां ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत डबल लेन सुरंग बनाने की योजना बनी।

 

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