हरियाणा में किसानों को भा रही नेट हाउस खेती, जानें, कैसे..नई तकनीक से हो रहा फायदा

अमित भटनागर

करनाल. हरियाणा में आजकल कई किसान परंपरागत खेती को छोड़कर नई कृषि तकनीकों को अपनाकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. कृषि की इन आधुनिक तकनीकों में एक तकनीक नेट हाउस खेती भी है, जिससे किसान तिगुना मुनाफा कमा रहे हैं. नेट हाउस खेती के जरिए तीसरी बार खेती कर रहे किसान ​रणबीर सिंह को इससे काफी फायदा हुआ है. नेट हाउस खेती के जरिये उन्होंने एक एकड़ में खीरे की खेती की है. उनके अनुसार पिछले साल एक एकड़ से साढ़े चार लाख रुपये तक की बचत हुई थी. इस साल खीरे लगाने में थोड़ी देरी जरूर हुई है लेकिन अच्छी देख-रेख के कारण मुनाफा अच्छा होगा.

इस तकनीक के बारे में किसान ने बताया कि शुरुआत में ​खेत में 5 से 6 ट्रॉली गोबर की खाद डाली, उसके बाद उसमे बैड निकाले और उसके ऊपर मल्चिंग सीट बिछाई. इससे खरपतवार पर नियंत्रण होता है. एक बैग में 25 किलो के करीब खीरे आते हैं. इस फसल से अभी तक वे डेढ़ से दो लाख के करीब खीरे बेच चुके हैं. इस तकनीक में दो लाख के करीब खर्चा आया है. अभी तक खेत में 15 तुड़ाई हो चुकी है और पहली तुड़ाई में करीब साढ़े इक्कीस किवंटल के करीब खीरा निकला था. 20 के करीब तुड़ाई अभी बाकी है. इतना ही नहीं सरकार द्वारा नेट हॉउस लगाने पर 60% सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जाती है. नेट हॉउस के अन्दर खेती करने का सबसे बड़ा फायदा यह है ​कि इसमें पानी और समय की बचत होती है. पौधे को जड़ों तक खाद मिल जाता है. बेचने के लिए किसान इन्हें पानीपत मंडी ले जाते हैं.

नेट हाउस तकनीक कई मायनों में खास है. इस तकनीक से गैर मौसमी सब्जी उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है. गर्मी अधिक होने के कारण पोली हाउस तकनीक से जून व जुलाई में सब्जी उत्पादन नहीं किया जा सकता है जबकि नेट हाउस में इस मौसम में भी सब्जी उत्पादन किया जा सकता है. उद्यान विभाग का कहना है कि यह तकनीक किसानों को तो फायदा पहुंचाएगी ही, ताजी सब्जियों की उपलब्धता भी बढ़ाएगी. इन दिनों अधिक गर्मी होने के कारण पोली हाउस में भी तापमान बढ़ जाता है. ऐसे नेट हाउस तकनीक काफी कारगर है. नेट हाउस में सिर्फ जाली लगी होती है और थर्मल नैट लगाया जाता है जोकि छत पर ज्यादा धूप व सर्दी को रोकता है.

Tags: Agriculture, Haryana news, Karnal news

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