स्कूल मर्जर मॉडल देशभर में होगा लागू: नीति आयोग ने सिफारिश की; जिन स्कूलों में 50 से कम छात्र, उनका बड़े स्कूल में विलय

 

देशभर में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए मध्य प्रदेश का ‘एक शाला-एक परिसर’ मॉडल देशभर में अमल में लाया जा सकता है। नीति आयोग ने सभी राज्यों से इसकी सिफारिश की है।

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इसमें कहा गया है कि जिन स्कूलों में 50 से कम छात्र हैं, उनका बड़े स्कूलों में विलय करना चाहिए। शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए भर्तियों की भी सिफारिश की गई है।

स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के मकसद से नीति आयोग ने 2017 में SATH- E (सस्टेनेबल एक्शन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग ह्यूमन कैपिल-एजुकेशन) प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसे तीन राज्यों मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा में लागू किया गया।

मध्य प्रदेश के 35 हजार स्कूलों का 16 हजार स्कूलों में विलय
प्रोजेक्ट के तहत एक किमी के दायरे में आने वाले मध्य प्रदेश के 35 हजार स्कूलों का 16 हजार स्कूलों में विलय कर दिया गया। नतीजतन 55 फीसदी स्कूलों में प्रिंसिपल की कमी दूर हो गई। इससे पहले मध्य प्रदेश के सिर्फ 20 फीसदी स्कूलों में ही प्रिंसिपल थे। इस प्रयोग से बच्चों की संख्या भी बढ़ी और ड्रॉप आउट भी कम हुआ।

यही नहीं, हर अधिकारी पर कम से कम 4 स्कूलों की निगरानी का भार कम हुआ। अब मध्य प्रदेश ने 53,651 एक परिसर वाले स्कूलों का 24,667 स्कूलों में विलय करने की योजना बनाई है। नीति आयोग ने राज्यों से मिली इस तरह के सुझावों को अब देशभर में लागू करने की सिफारिश की है।

रिपोर्ट के सुझाव…
देश में 10 लाख से अधिक शिक्षकों की कमी है। इसे दूर करने के लिए 50 से कम छात्रों वाले स्कूलों का विलय हो। कई राज्यों में शिक्षकों के 30-50% पद रिक्त हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की अधिक कमी है। शिक्षक भर्ती को प्राथमिकता देनी होगी।

कम दूरी वाले स्कूलों को एकीकृत कर बड़े स्कूलों के रूप में विकसित करें। परिवहन सुविधा से छात्रों की पहुंच बेहतर करें। ब्लॉक लेवल तक ऐसी प्रणाली बनाएं, जहां शिक्षकों के साथ बड़े अफसर भी हर स्तर पर जवाबदेही महसूस करें।

23 नवंबर 2023) राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक न्यूज़पेपर में प्रिंट आज की ख़बर…

स्कूल शिक्षा में 4 साल में 12 रैंक ऊपर आया मध्य प्रदेश
स्कूल शिक्षा में मध्यप्रदेश की 2017 में 17वीं रैक थी। अब पांचवीं है, चार साल में प्रदेश ने 12 रैंक की छलांग लगाई। यह सबकुछ एक शाला-एक परिसर के तहत हुआ। शाला दर्शन के तहत अफसरों से स्कूलों के इन्फ्रा और शिक्षा की मॉनीटरिंग कराई। स्कूल से फोटो भेजना अनिवार्य किया गया। जिसका असर भी दिखा। इसके अलावा सीएम राइज स्कूल खोले गए। अन्य स्कूलों की तुलना में हर साल 4% प्रवेश बढ़ रहे। 10वीं का रिजल्ट आम स्कूलों से 5% अधिक रहा।

हमारा घर हमारा विद्यालय के तहत कोविड के वक्त रेडियो-टीवी, इंटरनेट से पढ़ाई हुई। 2017 से 21 तक 13 हजार शिक्षक भर्ती हुए। मध्य प्रदेश में 84,000 प्राथमिक स्कूलों में से 39,000 में 40 से कम छात्र थे। 35,113 को एक शाला एक परिसर किया।

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स्कूल में उठक-बैठक करने पर बच्चे की मौत:पढ़ाई के समय बाहर खेल रहा था क्लास 4 का स्टूडेंट

ओडिशा के जाजपुर जिले में एक सरकारी स्कूल के क्लास 4 के स्टूडेंट की उठक-बैठक लगाने से मौत हो गई। बच्चा पढ़ाई के वक्त बाहर दूसरे बच्चों के साथ खेल रहा था। इस बात से नाराज टीचर ने बच्चे को उठक-बैठक लगाने की सजा दी। थोड़ी देर बात बच्चा जमीन पर गिर गया। अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पढ़ें पूरी खबर…

 

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