सरकारी पेंशन में परेशानी: दुलीचंद के पाेते ने कहा- दादा मेरी पेंशन भी जुड़वा दो,  पेंशन बहाल होते ही दुलीचंद के पास पहुंचने लगे पेंशन पीड़ित

 

गांधरा गांव के 102 वर्षीय दुलीचंद की पेंशन बहाल होते ही अब उनके पास अन्य पीड़ित भी पहुंचने लगे हैं। शनिवार को गांव के ही दिव्यांग राकेश की पेंशन कटने का मामला सामने आया। इनका तो नाम भी पेंशन में गलत चढ़ाया गया है। ये दुलीचंद के ही पाेते हैं। असल में इनका नाम राकेश है और नाम ठीक करवाने के लिए ही 4-5 साल से कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। इस बारे में हलफनामा भी दे चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। वहीं अब मार्च के बाद से ही पेंशन कट गई थी। इसके बाद सोचा कि दूसरे महीने में आ जाएगी,

 

लेकिन मई तक इंतजार करने के बाद भी जब पेंशन नहीं आई तो पेंशन कार्यालय में जाकर पूछताछ की गई तो पता चला कि उसे मृत घोषित कर दिया गया है। अब अचानक से जब गांव में दादा दुलीचंद की पेंशन कटने का मामला सुनने में आया तो दादा से जाकर मामले में अपनी भी सुनवाई करने की मांग की है।

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सरपंच से लिखवाकर दिया मैं जिंदा हूूं
राकेश उर्फ राजेंद्र का कहना है कि उनकी ओर से सरपंच से भी लिखवाकर कार्यालय में देकर आए थे कि मैं जीवित हूं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ। अब थककर दुलीचंद के साथ ही अावाज उठा रहे हैं। राकेश की उम्र 46 साल है और 29 साल पहले वर्ष 1993 में पेंशन बनी थी। अब घर में पत्नी और दो बच्चे हैं। इनका गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। छोटा बेटा 8 साल और दूसरा 11 साल का है। गांव के ही स्कूल पढ़ाई कर रहे हैं। इनके स्कूल खर्च तक के पैसे नहीं हैं।

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आधा एकड़ जमीन में धान और गेहूं बोकर काम चलाते हैं। शनिवार को अपनी फरियाद दुलीचंद के पास लेकर पहुंचे। राकेश ने बताया कि पीपीपी की वजह से पेंशन कटी है। सरपंच से लिखवाकर भी जीवित होने का प्रमाण ले गया था और इसके बाद पेंशन कार्यालय वाले बोले तो छह महीने रुक जाओ। वेरिफाई करने के बाद ही चालू करेंगे। बचपन से ही दाएं पैर में समस्या है।

बहाना बनाकर गुमराह कर रहे अधिकारी
नवीन जयहिन्द ने बताया कि उनके पास अब तक 40 केस सामने आ चुके हैं। सही दस्तावेज लेकर आने वालों का ही वे मामला उठा रहे हैं। पूरे हरियाणा के कुल मिलाकर 15 हजार लोगो के केस ऐसे हैं, जिनमें दिव्यांग, विधवा व बुजुर्ग पेंशन आदि शामिल है। इन्हें सरकार ने मृत घोषित करके इनकी पेंशन काट दी है। जब ये जिंदा लोग अपने जीवित होने का प्रमाण देने दफ्तरों में जाते है तो अधिकारी इन्हें कोई न कोई बहाना बनाकर गुमराह कर देते है, कोई सुनवाई नहीं करता।

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साथ ही जयहिन्द ने मुख्यमंत्री को 24 घंटे का समय देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री यह आदेश जारी करें कि अगर बुजुर्ग, विकलांग व विधवा पेंशन को लेकर किसी की भी समस्या है या किसी की पेंशन गलती से या नाजायज तरीके से काटी गयी है, तो सरकारी कर्मचारी गांव-गांव जाकर पता करें और घर-घर जाकर ठीक करें अगर मुख्यमंत्री जी ऐसा नही करते है तो सभी बुजुर्गों, विकलांगों व विधवा महिलाओं के साथ मिलकर अमावस्या के श्राद्ध वाले दिन हम मुख्यमंत्री का श्राद्ध करेंगे।

 

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