शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती समान को लेकर हुई बैठक बैठक में आयोजन को लेकर तैयार की गई रूपरेखा

एस• के• मित्तल   
सफीदों,    जोशीमठ उत्तराखंड के बद्रिकाश्रम में आदि शंकराचार्य द्वारा आठवीं शताब्दी में स्थापित ज्योतिर्मठ के 53वें एवं वर्तमान ज्योतिष्पीठाधीश्वर श्रीश्री 1008 श्री जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज का पहली बार 4 नवंबर को ऐतिहासिक महाभारतकालीन धरा सफीदों में आगमन होगा। उनके आगमन पर जगद्गुरू शंकराचार्य सम्मान समिति के तत्वाधान में नगर के रामलीला मैदान में भव्य स्वागत किया जाएगा।
इस आयोजन को भव्य बनाने के लिए नगर के गणमान्य लोगों की एक बैठक नगर के फयूजन होटल में संपन्न हुई। इस बैठक में रामगोपाल अग्रवाल, अरविंद शर्मा, जितेंद्र जैन, ईश्वर कौशिक, रामचंद्र माटा, प्रवीण मघान, मनोज दीवान, संजीव गौत्तम, बृजमोहन मंगला, इंद्र सिंह कल्याण, कृष्ण गोपाल मित्तल, राजेंद्र गुप्ता, विजेंद्र गुप्ता, डा. रामचंद्र माटा, ताराचंद भाटिया, राजेंद्र कुमार, परसराम वत्स व हिमलेश जैन मौजूद थे। इस बैठक में आयोजन को लेकर विस्तार से रूपरेखा तैयार की गई। इस कार्यक्रम के संयोजक रामगोपाल अग्रवाल ने बताया कि 4 नवंबर शनिवार को सायं 2 बजे नगर के जींद रोड स्थित मां भागो देवी अस्पताल के बाहर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज का सफीदों नगर आगमन पर श्रद्धालुओं के द्वारा स्वागत व अभिनंदन किया जाएगा।
इसके बाद शोभायात्रा के रूप में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद को पूरे सम्मान के साथ सीधे धर्मसभा स्थल रामलीला मैदान में ले जाया जाएगा और वहां पर धर्मसभा का कार्यक्रम होगा। उन्होंने बताया कि उनके निवास पर अगले दिन 5 नवंबर को प्रात: 6 से 8 बजे तक शंकराचार्य महाराज इच्छुक श्रद्धालुओं को गुरू दीक्षा प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि सफीदों में होने वाले इस जिला स्तरीय कार्यक्रम में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज विभिन्न कारणों से अपने धर्म से विमुख हो चुके लोगों को अपने सनातन धर्म में वापसी भी करवाएंगे। इसके अलावा वे श्रद्धालुओं के प्रश्नों व जिज्ञासाओं का शास्त्रोक्त जवाब देकर सनातन धर्म की अन्य जानकारियां भी प्रदान करेंगे।
उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज पहली बार सफीदों में पधार रहे हैं। हम सबके लिए हमारे जीवन का यह सुनहरी अवसर है। हम सबको चाहिए कि शंकराचार्य महाराज का साक्षात दर्शन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें और पुण्य के भागी बने।

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