महिला आरक्षण बिल कानून बना, राष्ट्रपति ने साइन किए: गजट नोटिफिकेशन भी जारी; 20 सितंबर को लोकसभा, 21 को राज्यसभा में पास हुआ था

 

महिला आरक्षण बिल राज्यसभा में पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला सांसदों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया था। (फाइल)

महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) अब कानून बन गया है। शुक्रवार 29 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर दस्तखत कर दिए। इसके साथ ही सरकार ने गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है।

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अब इस बिल के कानून बन जाने से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। हालांकि, आरक्षण नई जनगणना और परिसीमन के बाद लागू किया जाएगा।

अब ये बिल विधानसभाओं में भेजा जाएगा। इसे लागू होने के लिए देश की 50% विधानसभाओं में पास होना जरूरी है। लोकसभा में फिलहाल 82 महिला सांसद हैं, नारी शक्ति वंदन कानून के तहत लोकसभा में 181 महिला सांसद रहेंगी।

सरकार ने 5 दिन का स्पेशल सत्र बुलाया था, इसी में बिल पेश किया
सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया था। इसका एजेंडा नहीं बताया गया था, इसको लेकर विपक्ष ने आलोचना भी की थी। 18 सितंबर की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की मीटिंग बुलाई। मीटिंग के बाद कोई प्रेस ब्रीफिंग नहीं की गई। अंदरखाने से खबर आई कि सरकार 19 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल ला सकती है। बात सही निकली। 19 सितंबर को सरकार ने लोकसभा में नारी शक्ति वंदन बिल पेश कर दिया।

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20 सितंबर को लोकसभा में बिल पर 7 घंटे चर्चा हुई। इसमें 60 सांसदों ने भाग लिया। शाम को पर्ची से हुई वोटिंग में बिल पास हो गया। समर्थन में 454 और विरोध में 2 वोट डले।

21 सितंबर को बिल पर राज्यसभा में चर्चा हुई। यहां बिल सर्वसम्मति से पास हो गया और किसी ने बिल के खिलाफ वोट नहीं दिया। हाउस में मौजूद सभी 214 सांसदों ने बिल का समर्थन किया था।

राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद महिला सांसदों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर जश्न मनाया था।

राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद महिला सांसदों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर जश्न मनाया था।

नई संसद में कामकाज के पहले दिन पेश हुआ था बिल
नई संसद में कामकाज के पहले दिन यानी 19 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पेश किया गया। इस बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा।

लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।

लोकसभा में 20 सितंबर को महिला आरक्षण बिल पास, 60 सांसदों ने अपने विचार रखे

लोकसभा में वोटिंग में बिल के पक्ष में 454 और विपक्ष में सिर्फ 2 वोट पड़े।

लोकसभा में वोटिंग में बिल के पक्ष में 454 और विपक्ष में सिर्फ 2 वोट पड़े।

लोकसभा में बिल पर चर्चा में 60 सांसदों ने अपने विचार रखे। राहुल गांधी ने कहा कि OBC आरक्षण के बिना यह बिल अधूरा है। इस पर अमित शाह ने कहा कि यह आरक्षण सामान्य, SC और ST में समान रूप से लागू होगा। चुनाव के बाद तुरंत ही जनगणना और डिलिमिटेशन होगा और महिलाओं की भागीदारी जल्द ही सदन में बढ़ेगी। विरोध करने से रिजर्वेशन जल्दी नहीं आएगा। पढ़ें पूरी खबर

परिसीमन के बाद ही लागू होगा बिल
नए विधेयक में सबसे बड़ा पेंच यह है कि यह डीलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा। परिसीमन इस विधेयक के पास होने के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर होगा। 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन करीब-करीब असंभव है।

इस फॉर्मूले के मुताबिक विधानसभा और लोकसभा चुनाव समय पर हुए तो इस बार महिला आरक्षण लागू नहीं होगा। यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है।

तीन दशक से पेंडिंग था महिला आरक्षण बिल
संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से पेंडिंग है। यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था। 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था।

तब सपा और राजद ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन UPA सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग था।

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4 प्रधानमंत्री, 11 कोशिशें, 27 साल: महिला आरक्षण विधेयक की पूरी राजनीतिक कहानी

पहली बार प्रस्तावित होने के 14 साल बाद महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया। उसके बाद से 13 साल हो गए, ये बिल लोकसभा में पास नहीं हो सका। अब 2023 में मोदी सरकार ने भी इसे लोकसभा में पेश कर दिया है। अगर ये पारित हो गया तो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित हो जाएंगी। पढ़ें पूरी खबर…

महिला आरक्षण विधेयक से जुड़े 11 सवालों के जवाब

मोदी सरकार ने नए संसद भवन की पहली कार्यवाही में मंगलवार को ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पेश किया। महिला आरक्षण पारित कराने के लिए पिछले 27 साल में मौजूदा सरकार समेत 4 सरकारों की ये 11वीं कोशिश है। ये बिल कैसे पारित होगा, कब से लागू होगा, कितने दिनों के लिए है, किन सीटों पर होगा; जैसे जरूरी सवालों के जवाब जानने के लिए

 

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