चंडीगढ़ PGI अपना रहा गुजरात मॉडल: OPDs से बाहर निकल शहर के प्रभावित क्षेत्रों में बीमारियों का पता लगाएंगे; जागरूक भी करेंगे

 

चंडीगढ़ PGI का डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन OPD में मरीजों को देखने के अलावा शहर में अब उन क्षेत्रों का भी दौरा करेगा जहां से लोगों में बीमारियां फैल रही हैं। उन जगहों पर जाकर लोगों को जागरूक किया जाएगा और बीमारियों से बचाया जा सकेगा। PGI चंडीगढ़ प्रशासन के हेल्थ डिपार्टमेंट के साथ मिल कर यह काम कर रहा है। विलेज एडॉप्शन प्रोग्राम के तहत डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन ने कम्युनिटी बेस्ड सर्विस डिलीवरी मॉडल पर काम शुरू किया है।

चंडीगढ़ PGI अपना रहा गुजरात मॉडल: OPDs से बाहर निकल शहर के प्रभावित क्षेत्रों में बीमारियों का पता लगाएंगे; जागरूक भी करेंगे

हेल्थ डिपार्टमेंट ने OPD वाले हेल्थ सेंटर्स पर मेडिकल ऑफिसर को तैनात किया है। इससे OPD की सेवा भी प्रभावित नहीं होगी और बीमारियों के कारणों का भी गहराई से पता लगाया जा सकेगा।

मेडिकल स्टूडेंट्स का लेंगे सहयोग
PGI के डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन के हैड डा. अरुण अग्रवाल के मुताबिक इस नई शुरुआत में डिपार्टमेंट के BPH, MDH और MD स्टूडेंट्स का सहयोग लिया जा रहा है। वहीं एरिया काउंसलर्स और अन्य लोगों का भी सहयोग प्राप्त किया जा रहा है। UT का हेल्थ डिपार्टमेंट भी इस काम में सहयोग कर रहा है।

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सेक्टर 25 से शुरुआत
पहले फेज में सेक्टर-25 में फोकस किया जा रहा है। इसके अंतर्गत एरिया मैपिंग किया जा चुका है। मैपिंग के आधार पर यह जानकारी मिली है कि क्षेत्र में किन जगह पर गंदगी, अव्यवस्था और बीमारियां फैलने के कारण मौजूद हैं। इस जानकारी के आधार पर बीमारियों का वर्गीकरण और उसके बचाव के उपायों पर भी काम किया जाएगा।

डॉक्टर एरिया में जाकर कर रहे मदद
इस शुरुआत के तहत प्रभावित एरिया में डॉक्टर वहां के लोगों को बीमारियों से बचाव के प्रति जागरूक कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक अभी तक डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन के डॉक्टर हेल्थ डिपार्टमेंट के सेक्टर 25, 52, 49 और 50 में बनाए गए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में OPD चला रहे थे। हालांकि अब इसमें बदलाव किया गया है।

गुजरात से ली प्रेरणा
गुजरात के वर्धा जिले में चलाए जाने वाले विलेज एडॉप्शन प्रोग्राम के तहत चंडीगढ़ में इस दिशा में काम शुरू किया गया है। गुजरात के वर्धा में मेडिकल कॉलेज के 100 डॉक्टरों की टीम को 15 दिनों के लिए एक गांव में भेज दिया जाता है। इससे उस गांव के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में बेहतर परिणाम प्राप्त हो रहा है।

 

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