कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्रियों पर दांव लगा सकती है BJP: लिंगायत समुदाय से जुड़े जगदीश शेट्टार-बसवराज बोम्मई के नाम पर चर्चा; JDS को 3 सीटें देगी

 

बसवराज बोम्मई 2021 में और जगदीश शेट्‌टार 2012 में कर्नाटक के CM रहे।

भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनावों में कर्नाटक में बड़ी जीत हासिल करने की प्लानिंग कर रही है। इसके लिए BJP ने दो पूर्व मुख्यमंत्रियों बसवराज बोम्मई और जगदीश शेट्टार को मैदान में उतारने की चर्चा की है।

 

कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्रियों पर दांव लगा सकती है BJP: लिंगायत समुदाय से जुड़े जगदीश शेट्टार-बसवराज बोम्मई के नाम पर चर्चा; JDS को 3 सीटें देगी

 

ये दोनों ही कर्नाटक के लिंगायत समुदाय से जुड़े हैं। जो BJP के लिए बड़ा वोट बेस माना जा रहा है। आबादी के लिहाज से लिंगायत 17% और वोक्कालिगा 15% हैं लेकिन ये सरकार बनाने या फिर उसे गिराने की भी ताकत रखते हैं।

पार्टी के सीनियर नेता BS येदियुरप्पा ने गुरुवार (7 मार्च) को कहा कि बोम्मई और शेट्टार समेत राज्य की सभी 28 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों को लेकर गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से चर्चा हुई है, लेकिन अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।

येदियुरप्पा ने यह भी संकेत दिया कि भाजपा कर्नाटक में गठबंधन सहयोगी JDS को दो-तीन सीटें दे सकती है। लेकिन इस पर भी मोदी ही आखिरी फैसला लेंगे।

195 सीटों पर उम्मीदवारों को ऐलान कर चुकी है BJP
भारतीय जनता पार्टी ने वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद 2 मार्च को 16 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 195 कैंडिडेट के नाम का ऐलान किया था। इस लिस्ट में 34 केंद्रीय मंत्रियों को टिकट मिला है। वहीं, सूची में 28 महिलाएं, 27 एससी, 18 एसटी, 57 ओबीसी नाम हैं। 50 साल से कम उम्र के 47 कैंडिडेट हैं, जिन्हें पार्टी ने युवा कहा है।

 

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येदियुरप्पा बोले- बोम्मई-शेट्‌टार पर चर्चा, सीट फाइनल नहीं
बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि 6 मार्च को सभी 28 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों पर चर्चा की गई है। किसे टिकट दिया जाना चाहिए, यह अभी तक तय नहीं हुआ है। इस सब पर प्रधानमंत्री के साथ चर्चा की जाएगी। उसके बाद 2-3 दिन में स्थिति साफ होगी। येदियुरप्पा बोले कि बोम्मई और जगदीश शेट्टार को लेकर चर्चा हुई है, लेकिन किसे कहां से टिकट दिया जाएगा, यह अभी तय नहीं हुआ है।

येदियुरप्पा के मुताबिक गुरुवार (7 मार्च) को बीजेपी के सीनियर लीडर्स के साथ चर्चा का एक दौर और होगा। जिसमें कुछ फैसले लिए जा सकते हैं। उन्होंने 25 सीटें जीतने का भी भरोसा जताया और कहा कि इस दिशा में प्रयास जारी हैं।

हालांकि बैठक के बाद से ही राज्य में चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि बोम्मई, जो शिगगांव से विधायक हैं। उन्हें हावेरी से मैदान में उतारा जा सकता है, क्योंकि यहां से पार्टी के मौजूदा सांसद शिवकुमार उदासी ने मौजूदा कार्यकाल खत्म होने के बाद राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की है।

कांग्रेस से लौटे शेट्‌टार के लिए बेलगाम सीट से मिल सकती है टिकट
ये अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि शेट्टार को बेलगाम (बेलगावी) से मैदान में उतारा जा सकता है। फिलहाल इस सीट पर पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी की पत्नी मंगला अंगड़ी सांसद हैं। उन्होंने 2021 के उपचुनाव में कांग्रेस के सतीश जारकीहोली को 5 हजार वोटों से जीत हासिल की थी।

भाजपा इस सीट को बरकरार रखने के लिए मंगला की जगह एक मजबूत उम्मीदवार लाना चाहती है। इसलिए शेट्टार का नाम चर्चा में है क्योंकि वह अंगड़ी परिवार के रिश्तेदार भी हैं। उपचुनाव के दौरान शेट्‌टार इस सीट के चुनाव प्रभारी थे।

 

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गौरतलब है कि शेट्टार, पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव से पहले टिकट नहीं मिलने पर भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। लेकिन जनवरी में पुरानी पार्टी में फिर से लौट आए।

लिंगायत समुदाय को साधना चाहती है BJP कर्नाटक के दोनों पूर्व CM बोम्मई और शेट्टार दोनों लिंगायत समुदाय से हैं। इस समुदााय को कर्नाटक में भाजपा के मजबूत वोट-आधार के रूप में देख रही है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पिछले साल विधानसभा चुनावों में समुदाय का भगवा पार्टी से थोड़ा दूर जाना उसकी हार के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है।

कर्नाटक के सीनियर पार्टी नेता बीएस येदियुरप्पा भी लिंगायत समुदाय से आते हैं। 2021 में BJP ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था। उनकी जगह उन्हीं की पसंद के बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया था। CM पद से हटाने के बाद येदियुरप्पा को बड़े प्रोग्राम्स में बुलाना भी बंद कर दिया गया, लेकिन ग्राउंड पर इसका निगेटिव इम्पैक्ट नजर आया।

येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय में काफी पॉपुलर हैं और हिंदू-मुस्लिम दोनों ही कम्युनिटी के लोग उन्हें पसंद करते हैं। BJP के पास कर्नाटक में लोकल लेवल पर कोई पॉपुलर चेहरा नहीं बचा है। बसवराज बोम्मई मास लीडर नहीं हैं। इसलिए पार्टी इस बार भी PM मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी।

JDS से सीट शेयरिंग फाइनल, सीटें पीएम-शाह तय करेंगे
जनता दल (एस) को दी जाने वाली सीटों के बारे में येदियुरप्पा ने कहा कि मोदी और शाह जो फैसला लेंगे वह फाइनल होगा। उन्होंने कहा- अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि उन्हें कौन सी सीटें दी जाएंगी। उन्हें दो से तीन सीटें दी जा सकती हैं। बीजेपी और जेडीएस के बीच सीट बंटवारे पर चर्चा हो चुकी है। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक घो

 

 

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षणा नहीं हुई है। हालांकि चर्चा यह हो रही है कि JDS तीन सीटों- मांड्या, हासन और कोलार पर चुनाव लड़ सकती है।

यह JDS के लिए एक तरह की भूमिका का उलटफेर है, जो पिछले साल सितंबर में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो गया था और यह साबित करना चाहता है कि वह अभी भी एक ताकत है, खासकर दक्षिण कर्नाटक में।

यह भी कहा जा रहा है कि जद (एस) का एक उम्मीदवार के भाजपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ सकता है। यह कैंडिडेट बेंगलुरु रूरल सीट से पूर्व प्रधान मंत्री एचडी देवेगौड़ा के दामाद डॉ. सीएन मंजूनाथ हो सकते हैं। इसी सीट से मौजूदा सांसद और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश दोबारा कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं।

JDS से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि गौड़ा के बेटे, पूर्व सीएम और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी पर भी पार्टी कार्यकर्ताओं का दबाव है कि वे वोक्कालिगा के गढ़ मांड्या से चुनाव लड़ें।

तस्वीर 27 फरवरी 2023 की है, जब PM दो बार येदियुरप्पा के सामने झुके और उनका अभिवादन किया।

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लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय का राजनीतिक वर्चस्व
साल 1956 में भाषाई आधार पर बने कर्नाटक को मठों का राज्य कहा जाता है। पूरे प्रदेश में 500 से भी अधिक मठ हैं जिनमें से अधिकांश लिंगायत हैं, जबकि दूसरे नंबर पर वोक्कालिगा समुदाय के मठ हैं। हर चुनाव के वक्त इन मठों का प्रभाव बढ़ जाता है। राज्य में लिंगायत मठ बहुत शक्तिशाली हैं और सीधे राजनीति में शामिल हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि दोनों समुदाय के बिना कर्नाटक की राजनीति अधूरी है।

  • साउथ कर्नाटक में वोक्कालिगा का वर्चस्व : ओल्ड मैसूर या साउथ कर्नाटक में वोक्कालिगा समुदाय का वर्चस्व है, जिसकी राज्य की आबादी में 15% हिस्सेदारी है। ये आबादी मांड्या, हासन, मैसूर, तुमकुर, कोलार और चिक्काबल्लापुर जिलों में असर रखती है। मांड्या में 50% से ज्यादा वोक्कालिगा हैं। ओल्ड मैसूर सबसे बड़ा रीजन है, लेकिन वहीं BJP की हालत ठीक नहीं है। इसलिए यहां सबसे ज्यादा ताकत लगाने की तैयारी है। दक्षिण कर्नाटक जनतादल सेकुलर का गढ़ भी है। पूर्व PM एच.डी. देवेगौड़ा और कांग्रेस के सिद्धारमैया का यहां काफी प्रभाव है।
  • सेंट्रल और कित्तूर कर्नाटक में लिंगायतों का दबदबा : सेंट्रल कर्नाटक की सीटों पर लिंगायत समुदाय निर्णायक भूमिका में रहता है। येदियुरप्पा सेंट्रल कर्नाटक के शिवमोगा से ही आते हैं। इस वजह से BJP का शिवमोगा और

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2019 लोकसभा चुनाव में ऐसा था कांग्रेस, भाजपा और JDS का प्रदर्शन
भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव के अपने प्रदर्शन को दोहराना या उससे आगे निकलना चाहती है। तब 28 में से 25 सीटें जीतकर राज्य में जीत हासिल की थी और मांड्या में पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित की थी। कांग्रेस और जद (एस), जो उस समय गठबंधन सरकार चला रहे थे और साथ मिलकर चुनाव लड़े थे, केवल एक-एक सीट जीतकर बुरी तरह हार गए थे।

विधानसभा चुनाव 2023 के बाद से राजनीतिक परिदृश्य काफी बदल गया है। कांग्रेस ने प्रचंड जीत हासिल की थी। और अब लोकसभा चुनावों में मजबूत प्रदर्शन करने के लिए तैयार दिख रही है।

 

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