अमर्त्य सेन बोले- विपक्ष में बिखराव, इसलिए ताकत गंवाई: सरकार को अमीरों का ध्यान; निरक्षरता, खराब स्वास्थ्य, लैंगिक असमानता से विकास धीमा

कोलकाता1 मिनट पहले

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अमर्त्य सेन कल्याणकारी अर्थशास्त्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। इसके लिए उन्हें 1998 में अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा है कि देश में विपक्षी एकता नहीं है। इस कारण यह अपनी अधिकतर ताकत खो चुका है। कांग्रेस के संगठन में कई सारी समस्याएं हैं, जिन्हें सुधारने की जरूरत है।

PTI को दिए इंटरव्यू में में सेन ने कहा कि जातिगत जनगणना पर विचार किया जा सकता है, लेकिन भारत को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और लैंगिक समानता के जरिए वंचितों के अधिक सशक्तीकरण की आवश्यकता है।

उन्होंने आगे कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश का नागरिक होने पर बहुत गर्व है, लेकिन देश के डेमोक्रेटिक नेचर को बढ़ाने के लिए और अधिक मेहनत करने की जरूरत है।

सेन ने कहा कि I.N.D.I गठबंधन लोकप्रियता हासिल करने में विफल रहा क्योंकि विपक्षी गुट में शामिल JDU और RLD जैसे उसके महत्वपूर्ण सहयोगियों ने साथ छोड़ दिया।

देश में निरक्षरता और असाधारण लैंगिक असमानता
भारत का शासक वर्ग अमीरों के हितों का ख्याल रखता है। निरक्षरता, खराब स्वास्थ्य व्यवस्था और असाधारण लैंगिक असमानता के कारण देश का विकास धीमा है और गरीबों का प्रगति करना मुश्किल हो गया है।

विपक्ष दावा करता है कि बीजेपी सत्ता में वापसी करती है तो संविधान को बदल सकती है? इस पर सेन ने कहा कि संविधान को बदलना सरकार का धर्म विशेष पर अधिक फोकस से जोड़ा जा सकता है, लेकिन इसका भारत के आम लोगों को कोई फायदा नहीं होगा।

केवल हिंदुओं पर फोकस करना अन्य लोगों से धोखा
बीजेपी के अयोध्या राम मंदिर, CAA के जरिए चुनाव में ज्यादा सीट हासिल करने के सवाल पर सेन ने कहा कि ऐसा विचार करना विश्वासघात है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष संविधान वाला एक धर्मनिरपेक्ष देश है। केवल हिंदू पर फोकस करना बहुसंख्यक हिंदुओं के लिए आसान हो सकता है, लेकिन यह भारत की धर्मनिरपेक्ष जड़ों और बहु सांस्कृतिक प्रकृति को धोखा देना होगा।

लोकसभा चुनाव पर अमर्त्य सेन ने कहा कि उन्हें भारत जैसे लोकतांत्रिक देश का नागरिक होने पर बहुत गर्व है, लेकिन देश की लोकतांत्रिक प्रकृति को बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

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