स्वामी दयानंद ने देश और समाज को सही राह दिखाई – बचन सिंह आर्य

कहा – स्वामी दयानंद ने समाज में व्याप्त बुराईयों व कुप्रथाओं को दूर किया

एस• के• मित्तल
सफीदों,    स्वामी दयानंद सरस्वती ने वेद के प्रचार-प्रसार के साथ लोक कल्याण के निमित्त जन जागरण करते हुए अंधविश्वासों का खंडन किया। यह बात महषि दयानंद गौसंर्वधन केंद्र गाजीपुर दिल्ली के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य ने कही। वे गौसंवर्धन केंद्र में आयोजित महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती पर आयोजित समारोह को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर केंद्रीय आर्य महासभा दिल्ली के अध्यक्ष डॉक्टर धर्मपाल आर्य, प्रादेशिक सभा दिल्ली के महामंत्री विनय आर्य, महाशय धर्मपाल की सुपुत्री सुषमा रानी, गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार के प्रो. विनय विद्यालंकार, प्रसिद्ध उद्योगपति गाजियाबाद प्रशांत गर्ग व प्रसिद्ध इतिहासकार नोएडा रूपचंद नागर विशेष रूप से मौजूद थे। इस अवसर पर देशभर से जुटे आर्य समाजियों ने बचन सिंह आर्य का जोरदार अभिनंदन किया। अपने संबोधन में बचन सिंह आर्य ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक, महान चिंतक, समाज-सुधारक और देशभक्त थे। स्वामी दयानंद सरस्वती ने बाल विवाह, सती प्रथा, छुआछात व जातिप्रथा जैसी कुरीतियों को दूर करने में अपना खास योगदान दिया है। उन्होंने वेदों को सर्वोच्च माना और वेदों का प्रमाण देते हुए समाज में फैली कुरीतियों का विरोध किया। स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर एक ब्राह्राण परिवार में हुआ था। स्वामी जी चाहते तो ऐशो-आराम का जीवन व्यतीत कर सकते थे लेकिन वे ऐशो-आराम को त्यागकर समाज को सुधारने की दिशा में निकल पड़े।
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स्वामी दयानंद सरस्वती ने वेदों का प्रचार-प्रसार और महत्ता को लोगों तक पहुंचाने और समझाने के लिए देशभर में भ्रमण किया। उन्होंने 1875 में मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की। आर्य समाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य मनुष्य व समाज की शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना रहा। स्वामी दयानंद सरस्वती ने देश की आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जब भारत धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक दृष्टि से छिन्न भिन्न हो गया था तब ऐसी विषम परिस्थितियों में महर्षि दयानंद सरस्वती ने लोक कल्याण के लिए जन जागरण किया और लोगों को संगठित होकर देश के लिए कार्य करने के लिये प्रेरित किया। बचन सिंह आर्य ने लोगों से आह्वान किया कि वे स्वामी दयानंद के विचारों को धारण अपने जीवन को आगे बढ़ाए।
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