भारत-यूरोप-मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर की डील के ऐलान के बाद प्रेसिडेंट बाइडेन, सऊदी क्राउन प्रिंस और मोदी काफी देर तक बातचीत करते देखे गए।
राष्ट्रीय राजधानी में आज G20 समिट का दूसरा और आखिरी दिन है। इसकी शुरुआत वर्ल्ड लीडर्स के राजघाट पहुंचने से होगी। इसके बाद सभी भारत मंडपम के लीडर्स लाउंज में लौटेंगे। फिर वन फ्यूचर पर आखिरी सेशन होगा। सबसे आखिर में नई दिल्ली डिक्लेरेशन जारी होगा।
समिट के पहले दिन कई अहम बातें हुईं। रूस-यूक्रेन जंग के बाद G20 का पहला साझा घोषणा पत्र सामने आया। इसके अलावा भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट के बीच बेहद अहम इकोनॉमिक कॉरिडोर डील हुई। इसके बाद सभी मेहमान प्रेसिडेंट डिनर में शामिल हुए। कई मेहमानों को भारत के पारंपरिक लिबास में देखा गया।
डिनर के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन भारत मंडपम पहुंचे। उन्होंने राष्ट्रपति मुर्मू और PM मोदी से बातचीत की। मोदी ने उन्हें बैकग्राउंड फोटो में नजर आ रही नालंदा यूनिवर्सिटी के बारे में बताया।
10 सितंबर का शेड्यूल
- सुबह 8:15 से 9 बजे तक : वर्ल्ड लीडर्स राजघाट पहुंचेंगे। यहां महात्मा गांधी को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। कुछ देर भक्ति गीत सुनेंगे।
- 9:20 बजे : सभी लीडर्स भारत मंडपम के लीडर्स लाउंज पहुंचेंगे।
- 9:40 से 10:15 बजे तक : भारत मंडपम के मेन सेंटर पहुंचेंगे।
- 10:15am से 10:30 बजे तक : पौधा रोपण कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे।
- 10:30 से दोपहर 12:30 बजे तक : वन फ्यूचर पर तीसरा और आखिरी सेशन होगा। इसके बाद नई दिल्ली डिक्लेरेशन जारी होगा। इस दौरान कई नेता द्विपक्षीय मुलाकातें भी कर सकते हैं।
जापान के PM किशिदा भी डिनर के लिए भारत मंडपम पहुंचे। इस दौरान किशिदा की पत्नी साड़ी में नजर आईं।
साझा घोषणा पत्र पर सहमति
- शनिवार को दूसरे सेशन की शुरुआत में PM मोदी ने बतौर अध्यक्ष सभी सदस्य देशों की सहमति से नई दिल्ली डिक्लेरेशन पारित किया। डिक्लेरेशन पास होने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- सभी देशों ने नई दिल्ली घोषणा पत्र मंजूर किया है। सभी लीडर्स ने माना है कि G20 राजनीतिक मुद्दों को डिस्कस करने का प्लेटफॉर्म नहीं है। घोषणा पत्र में यूक्रेन जंग का 4 बार जिक्र हुआ है।
- जयशंकर से टेररिज्म और अफ्रीकी यूनियन को G20 में शामिल किए जाने पर भी सवाल हुए। इस पर विदेश मंत्री ने कहा- आप इस समिट का बाली समिट से कंपैरिजन न करें। बाली एक साल पहले था, अब नई दिल्ली है। यूक्रेन मुद्दे और फूड सिक्योरिटी जैसे मसलों का 7 पैराग्राफ में जिक्र किया गया है। मोदी ने जकार्ता और इसके पहले भी अपने सहयोगी नेताओं से बातचीत (यूक्रेन का नाम नहीं लिया) की थी। अफ्रीकी यूनियन के प्रेसिडेंट (सेनेगल के राष्ट्रपति) पिछले साल बाली में मोदी के पास आए थे। तब उन्होंने मोदी से कहा था कि हमें G20 में जगह क्यों नहीं मिलती? मुझे याद है तब प्रधानमंत्री ने उनसे कहा था- मैं आपको नई दिल्ली में G20 की सदस्यता दिलाने की गारंटी देता हूं।
- जयशंकर से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के न आने पर भी सवाल किया गया। इस पर जयशंकर ने कहा- हमें लगता है कि हर देश को ये हक है कि वो किस लेवल पर शिरकत करना चाहता है। इसके मायने इससे ज्यादा नहीं होने चाहिए। चीन ने काफी सपोर्ट किया है।
फुटेज हैंडशेक मोमेंट की है। इसमें PM मोदी, बाइडेन, लूला डा सिल्वा, अजय बंगा और सिरिल रामाफोसा शामिल हुए।
37 पेज का घोषणा पत्र, इसमें 83 पैराग्राफ
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- हमें चुनौतीपूर्ण समय में अध्यक्षता मिली। G20 का साझा घोषणा पत्र 37 पेज का है। इसमें 83 पैराग्राफ हैं। यहां मुख्य प्रस्तावों पर एक नजर…
- सभी देश सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल पर काम करेंगे। भारत की पहल पर वन फ्यूचर अलायंस बनाया जाएगा।
- सभी देशों को UN चार्टर के नियमों के मुताबिक काम करना चाहिए।
- बायो फ्यूल अलायंस बनाया जाएगा। इसके फाउंडिंग मेंबर भारत, अमेरिका और ब्राजील होंगे।
- एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य पर जोर दिया जाएगा।
- मल्टीलैट्रल डेवलपमेंट बैंकिंग को मजबूती दी जाएगी।
- ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं पर फोकस किया जाएगा।
- क्रिप्टोकरेंसी पर ग्लोबल पॉलिसी बनाई जाएगी।
- कर्ज को लेकर बेहतर व्यवस्था बनाने पर भारत ने कॉमन फ्रेमवर्क बनवाने की बात पर जोर दिया है।
- ग्रीन और लो कार्बन एनर्जी टेक्नोलॉजी पर काम किया जाएगा।
- सभी देशों ने आतंकवाद के हर रूप की आलोचना की है।
पहले सेशन में प्रधानमंत्री मोदी ने जैसे ही अफ्रीकन यूनियन को G20 मेंबर बनाने का प्रस्ताव पास किया, यूनियन लीडर अजाली असोमानी उनके गले लग गए।
अफ्रीकन यूनियन को G20 की परमानेंट मेंबरशिप
समिट के पहले सेशन में भारत ने अफ्रीकन यूनियन को G20 का परमानेंट मेंबर बनाने का प्रस्ताव रखा था। बतौर अध्यक्ष सभी देशों की सहमति से PM मोदी ने जैसे ही इसे पारित किया, अफ्रीकन यूनियन के हेड अजाली असोमानी जाकर PM मोदी के गले लग गए। भारत के प्रस्ताव का चीन और यूरोपियन यूनियन ने भी समर्थन किया। यूनियन को मेंबरशिप मिलने से अफ्रीका के 55 देशों को फायदा होगा।