नई दिल्ली1 घंटे पहले
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देश में 18वें आम चुनाव की प्रक्रिया जारी है। इस दौरान चुनाव आयोग (EC) ने एक एनालिसिस किया है। 1991 के बाद से अब तक 99% निर्दलीय उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है।
चुनाव आयोग के मुताबिक, 1951 के चुनाव में 6 प्रतिशत तो 1957 के चुनाव में अब तक के सबसे ज्यादा 8 फीसदी निर्दलीय कैंडिडेट्स जीते। 2019 के चुनाव में सिर्फ 0.11% इंडीपेंडेंट कैंडिडेट्स ने जीत दर्ज की। वहीं, निर्दलीयों के न जीत पाने पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोगों को उन पर भरोसा नहीं रहता।
पहले चुनाव में 533 तो दूसरे चुनाव में 1519 निर्दलीय खड़े हुए थे
चुनाव आयोग के मुताबिक, 1951-52 में हुए पहले चुनाव में 533 निर्दलीय खड़े हुए थे, जिनमें से सिर्फ 37 (6.9%) जीते। वहीं, दूसरे चुनाव यानी 1957 में 1519 निर्दलीय उम्मीदवार खड़े हुए, जिनमें से 42 यानी (8.7%) ने जीत दर्ज की। इन दोनों चुनावों में 67% निर्दलीय उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
वहीं, 1962 के चुनाव में 20 निर्दलीय (4.2%) जीते और 78% उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त हो गई। 1984 के चुनावों में 13 निर्दलीय उम्मीदवार (0.3%) जीते। 84 के चुनाव में 96 फीसदी निर्दलीयों की जमानत जब्त हो गई।
जनता निर्दलीयों पर भरोसा नहीं करती- एक्सपर्ट्स
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो वोटर इन निर्दलीय कैंडिडेट्स पर भरोसा नहीं करते। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के प्रमुख मेजर जनरल (रिटा.) अनिल वर्मा के मुताबिक, जो लोग निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं, वे ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि उन्हें किसी पार्टी से टिकट नहीं मिलता। कुछ ऐसे भी होते हैं, जिन्हें किसी पार्टी ने विरोधियों के वोट काटने के लिए खड़ा किया जाता है। कुछ का मकसद होता है कि अगर जीत गए तो किसी पार्टी से भाव-ताव कर सकते हैं।
क्या होती है जमानत राशि, अब तक कितनी बढ़ी
चुनाव में उतरने वाले हर कैडिंडेट को एक निश्चित राशि जमा करानी पड़ती है। चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक, अगर चुनाव में किसी उम्मीदवार को कुल पड़े वोटों का 1/6 फीसदी हासिल नहीं होता तो उस उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाती है।
1951 के चुनाव में सामान्य वर्ग के कैंडिडेट्स के लिए 500 रुपए तो SC/ST के लिए 250 रुपए जमानत राशि थी। अब सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 25 हजार, वहीं SC/ST कैंडिडेट को 12 हजार 500 रुपए जमानत राशि जमा करानी पड़ती है।
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