मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा में अब तक 190 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 1 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए।
म्यांमार की सीमा से लगे मणिपुर के मोरेह शहर में 30 दिसंबर बाद से कुकी विद्रोहियों और मणिपुर पुलिस के बीच संघर्ष तेज हो गया है। इस संघर्ष में 11 पुलिस कमांडो और बीएसएफ के 3 जवान घायल हुए हैं। सीमा क्षेत्र की सुरक्षा चाक-चौबंद करने के लिए मणिपुर पुलिस की अतिरिक्त टीमों को बॉर्डर इलाकों में भेजा गया है। सीएम एन बीरेन सिंह का कहना है कि मोरेह में सुरक्षाबलों पर हमलों में म्यांमार के विद्रोहियों का हाथ है।
इसी बीच, मणिपुर पुलिस और केंद्रीय बलों की संयुक्त दलों ने मोरेह, इंफाल पश्चिम और इंफाल पूर्वी जिलों के सीमांत में तलाशी अभियान चलाया है। 30 दिसंबर के बाद हुई हिंसा के बाद मोरेह में कारोबार पूरी तरह से बंद हैं। कुकी विद्रोहियों और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी में फंसने के डर से भारत-म्यांमार सीमावर्ती तेंगनौपाल जिले के व्यापारिक शहर मोरेह में कुकी अपने घर छोड़ रहे हैं।
मणिपुर के मोरेह में 31 दिसंबर को उस समय तनाव फैल गया था, जब विद्रोहियों और सुरक्षा बलों की क्रॉस फायरिंग में कुछ नागरिक घायल हो गए थे।
मोरेह में हमले बढ़ने से चिंता बढ़ी
31 अक्टूबर: मोरेह पुलिस स्टेशन इंचार्ज आनंद कुमार की कुकी विद्रोहियों ने हत्या कर दी थी।
31 अक्टूबर: टेंग्नोपाल में आईजीपी के काफिले पर हमला, 3 पुलिसकर्मी घायल हुए थे।
29 दिसंबर: कुकी विद्रोहियों की फायरिंग में मणिपुर पुलिस का जवान घायल हुआ था।
30 दिसंबर: मोरेह पुलिस स्टेशन पर हमला, मणिपुर पुलिस से 4 कमांडो घायल।
2 जनवरी 2024: मोरेह के नजदीक एक कॉम्बेट ऑपरेशन के दौरान 4 पुलिस कमांडो और एक बीएसएफ जवान घायल हो गया।
म्यांमार के आतंकी संगठनों का मोरेह के पास ठिकाना
सूत्रों के मुताबिक, म्यांमार के आतंकी संगठन पीडीएफ, सीडीएफ और केएनए-बी ने म्यांमार में खम्पात व बोकान में मिलिट्री बेस पर हमला करके हथियार चुराकर मोरेह के कुकी विद्रोहियों को बेचे थे। पीडीएफ और केएनए-बी ने हाओलेफाई गांव को को ठिकाना बनाया है। वे भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ बड़ी लड़ाई छेड़ने की तैयारी में हैं और मौके का इंतजार कर रहे हैं।
24 अक्टूबर को मणिपुर के वांगू लाइफाम इलाके में काकचिंग पुलिस के सर्च आपरेशन में घरों और पहाड़ी से बड़ी संख्या में हाईटेक हथियार और चीनी ग्रेनेड बरामद किए गए थे।
कुकी विद्रोही भारतीय जवानों पर हमला कर सकते
सूत्रों का कहना है कि म्यांमार के केएसए-बी और पीडीपी की मदद से कुकी विद्रोही भारतीय जवानों पर हमला कर सकते हैं। पुलिसकर्मियों को भी निशाना बना सकते हैं। कुकी समुदाय के आम लोगों का कहना है कि हम कुकी विद्रोहियों और सुरक्षा बलों के संघर्ष में पिसना नहीं चाहते हैं। अपनी जान बचाने के लिए पहाड़ों पर जा रहे हैं। मोरेह में बड़ी संख्या में कुकी घर छोड़ चुके हैं।
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मणिपुर फायरिंग में मारे गए 13 लोग मैतेई थे: कुकी बहुल इलाके में दूसरे गुट ने गोलीबारी की थी
मणिपुर में 4 दिसंबर को दो गुटों के बीच गोलीबारी में मारे गए 13 लोगों पहचान की गई। ये सभी मैतेई समुदाय के थे। घटना म्यांमार बॉर्डर से लगे कुकी बहुल टेंग्नौपाल जिले के लीथू गांव में हुई थी। मारे गए लोगों में से अधिकतर की उम्र 20 से 25 साल के बीच थी। पूरी खबर यहां पढ़ें…
सेना के अफसर ने बताई मणिपुर हिंसा की वजह: कहा- म्यांमार में अशांति का यहां तक असर
मणिपुर में 3 मई से हिंसा हो रही है। इंफाल में 26 सितंबर सुरक्षाबलों और स्टूडेंट्स के बीच झड़प हुई थी। तस्वीर उसी दिन की है।
पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलीता ने 16 दिसंबर को कहा कि मणिपुर में हिंसा की सबसे बड़ी वजह कुकी-मैतेई के पास बड़ी संख्या में हथियारों की मौजूदगी और पड़ोसी म्यांमार में अस्थिरता है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना और असम राइफल्स ने राज्य पुलिस और CAPF के साथ मिलकर मणिपुर हिंसा को काफी हद तक कंट्रोल कर लिया है।