धान की खरीददार साजिश के तहत किसानों को लूट रहे हैं: किसान
किसानों ने दी बड़े आंदोलन की चेतावनी
एस• के• मित्तल
सफीदों, सफीदों मंडी में 1509 धान के रेट 3800 से लुढकर 2800 रूपए रहने को लेकर क्षेत्र के किसान आक्रोशित हो गए और उन्होंने इसके विरोध में नई अनाज मंडी परिसर में गुरूद्वारा गेट पर धरना देकर सरकार व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। उसके उपरांत किसान नारेबाजी करते हुए सीधे मार्किट कमेटी कार्यालय पहुंचे और सचिव अनिल कुमार से मिले और आवश्यक कार्रवाई की मांग की।
सफीदों, सफीदों मंडी में 1509 धान के रेट 3800 से लुढकर 2800 रूपए रहने को लेकर क्षेत्र के किसान आक्रोशित हो गए और उन्होंने इसके विरोध में नई अनाज मंडी परिसर में गुरूद्वारा गेट पर धरना देकर सरकार व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। उसके उपरांत किसान नारेबाजी करते हुए सीधे मार्किट कमेटी कार्यालय पहुंचे और सचिव अनिल कुमार से मिले और आवश्यक कार्रवाई की मांग की।
किसानों ने प्रशासन को चेताया कि धान के खरीददारों की मिलीभगत को बंद करके धान के रेटों को ठीक करवाएं अन्यथा वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। किसान अजीतपाल चट्ठा धर्मगढ़, शेर सिंह रामपुरा व गगनदीप निमनाबाद समेत अन्य किसानों का कहना था कि सफीदों मंडी में 1509 धान के रेट 3800 रूपए चल रहे थे और वे रेट लुढकर 2800 रूपए रह गए हैं और इसके पीछे धान के खरीददारों की गहरी साजिश है। धान के खरीददार आपस में मिले हुए हैं और अपनी मनमर्जी के रेट लगाकर किसानों को लूटने का काम कर रहे हैं। 1509, 1692 व 1847 तीनों एक ही किस्में है और किसानों को किस्मों में उलझाकर रेट का अंतर करके किसानों को सरेआम ठगा जा रहा है, जबकि किसानों इन तीनों किस्मों का बीज 300 रूपए प्रति किलो इन्ही व्यापारियों से खरीदकर खेतों में लगाया हुआ है।
इसके अलावा मंडी में जो कंबाईन का माल आ रहा है उसमें भी 500 से 600 रूपए रेट का अंतर हरे दाने के नाम का किया जा रहा है और कईं-कईं दिनों तक उनकी फसलें नहीं खरीदी जाती जिसके कारण उनकी फसलें मंडी में खराब हो रही हैं। किसानों का कहना था कि सरकार का नियम है कि किसान का माल बोली के ऊपर बिकना चाहिए लेकिन सफीदों मंडी में फसल की कोई बोली नहीं हो रही और सारा माल उचंती में बिक रहा है। बोली के नाम पर एक-दो दुकानों की बोली करवाई जाती है और उसके बाद मिलीभगत के तहत बोली तोड़ दी जाती है। किसानों का कहना था कि सभी खरीददार बोली पर माल खरीदेंगे तो उनकी फसल के दाम सहीं मिल सकते हैं। किसानों का कहना था कि सफीदों प्रशासन केवल पराली ना जलाने की बात पर मीटिंगे लेने पर व्यस्त है लेकिन मंडी में क्या धांधली चल रही है उसे जानने की कोई फुर्सत नहीं है। इसके अलावा किसानों ने यह भी बताया कि सफीदों मंडी में पीआर धान की खरीद में भी भारी धांधली चल रही है।
पीआर धान में गीला होने या अन्य कमियां निकालकर 200 से 300 रूपए प्रति किवंटल कट लगाया जा रहा है। किसान को पर्चा तो सरकारी रेट का दिया जा रहा है लेकिन उससे 200 से 300 रूपए प्रति किवंटल कट के नाम का नकद लेकर सरेआम लूटा जा रहा है, इसकी तरफ सरकार व प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। प्रशासन के साथ-साथ सफीदों क्षेत्र के सभी दलों के नेता भी कुंभकर्णी नींद सोए पड़े है लेकिन वे राजनीति किसान के नाम पर करते हैं। किसानों ने साफ किया कि उनकी सारी फसल बोली के ऊपर बिकवाई जाए, खरीददार व्यापारियों की मिलीभगत का पर्दाफास करके उनके खिलाफ कार्रवाई हो, पीआर धान में कट के नाम पर अवैध वसूली बंद हो और उनका माल सही रेट पर हर रोज की रोज खरीदा जाए, अन्यथा वे बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे, जिसकी सारी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी। किसानों की बात सुनकर मार्किट कमेटी सचिव अनिल कुमार ने उन्हे उचित कार्रवाई का भरोसा दिया है। सचिव के भरोसे पर किसान वापिस लौट गए।
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क्या कहते हैं मार्किट कमेटी सचिव
इस मामले में मार्किट कमेटी सचिव अनिल कुमार ने दावा किया कि सफीदों मंडी में धान बोली पर ही बिक रही है। एक आध आढ़ती ने शरारत करके बोली को तोड़ दिया था। उन आढ़तियों को नोटिस जारी किया गया है। मंडी एसोसिएशन व ख्धान खरीददारों को सख्त निर्देश दिए गए है कि वे बिना बोली कोई भी माल ना खरीदेगा। अगर कोई नियमों की अवहेलना करता हुआ पाया गया तो उसका लाईसेंस निलंबित कर दिया जाएगा।
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