कॉमनवेल्थ गेम में हरियाणा के रोहतक के गांव निंदाना निवासी दीपक नेहरा ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। वह पहला मुकाबला 8-6 के अंतर से हार गए थे, लेकिन हार के बाद भी उनका जोश व हौसला कम नहीं हुआ। पूरे जोश के साथ मैट पर उतरे और फिर अपने खेल का बेहतर प्रदर्शन करते हुए खिलाड़ियों को चित किया। उन्होंने अपने अंतिम मुकाबले में पाकिस्तान के पहलवान को हराकर भारत की झोली में ब्रॉन्ज मेडल डाला।
दीपक नेहरा के पिता सुरेंद्र सिंह ने कहा कि उनके 2 बेटे हैं। जिनमें दीपक बड़ा है। दीपक का बचपन से ही खेल के प्रति लगाव था। जब वे 5 साल के थे तो उन्हें मिर्चपुर एकेडमी में भेज दिया था। ताकि वह पहलवानी के गुर सीख सकें और आगे बढ़ पाए। तब से लेकर अब तक करीब 12-13 साल के इस अंतराल में लगातार अभ्यास कर रहा है। ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद एकेडमी व परिवार के साथ देशभर में खुशी का माहौल है।
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पहलवान दीपक नेहरा
हार के बाद भी थी मेडल की उम्मीद
शहीद भगत सिंह इंटरनेशलन कुश्ती एकेडमी मिर्चपुर के कोच अजय ढांडा ने कहा कि दीपक पहला मुकाबला बेशक हार गया, लेकिन उन्हें पूरी उम्मीद थी कि वह देश को मेडल जरूर दिलाएगा। जिसे उसने पूरा किया। क्योंकि दीपक ने अपने खेल को इस कदर निखारा हुआ है कि बड़े-बड़े पहलवानों के भी उसके सामने पसीने छूट जाते हैं।
हर रोज 8 घंटे अभ्यास
कुश्ती खिलाड़ी दीपक नेहरा ने अपने अभ्यास को प्राथमिकता दी। कॉमनवेल्थ गेम के लिए हर रोज करीब 8 घंटे कुश्ती का अभ्यास करते थे। अभ्यास के साथ नए-नए गुर सीखने पर भी दीपक का फोकस रहता था।
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ब्रॉन्ज मेडलिस्ट दीपक नेहरा
दीपक जीत चुके कई मेडल
कॉमनवेल्थ गेम में भाग लेने से पहले दीपक कई मेडल अपने नाम कर चुके हैं। उन्होंने इसी वर्ष सीनियर अंडर-23 एशिया चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल व वर्ल्ड रैंकिंग सीरिज में ब्रॉन्ज मेडल जीता। वहीं पिछले साल हुई वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में भी ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इससे उनका हौसला भी बढ़ा हुआ था।
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त्योहार पर भी नहीं जाते घर
कोच अजय ढांडा ने कहा कि दीपक नेहरा का खेल के प्रति लगाव इतना है कि वे त्योहार पर भी घर पर नहीं जाते। दीपक का सबसे पसंदीदा दाव डबल लैग व एंकल होल्ड करके अंक बटोरना है। अपने खेल से बड़े-बड़े खिलाड़ियों को धूल चटा चुके हैं।
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