लखनऊ का चारबाग इलाका। गाड़ी के बगल एक लड़की आकर खड़ी हो गई। कुछ देर देखा, फिर अंदर आने का इशारा किया। हमने हां में सिर हिला दिया। उसने गेट खोला और गाड़ी में बैठ गई। बैठते ही कहा, 2000 लेंगे, काम करना है तो करो, वरना थाने में 2-3 हजार रुपए देने पड़ेंगे। तुम अब फंस गए हो। यहां जितनी लड़कियां खड़ी होती हैं, सब पुलिस को महीना देती हैं। जल्दी से फाइनल करो, वरना शोर मचाऊंगी और गलत केस में फंसवा दूंगी।
यह कोई मामूली बातचीत नहीं थी। यह एक ट्रैप है, जो चारबाग में लंबे समय से चल रहा है। लड़कियां मुंह बांधे खड़ी होती हैं और कार में बैठते ही शुरू हो जाती हैं। ब्लैकमेलिंग के इस खेल की पड़ताल करने दैनिक भास्कर का रिपोर्टर ग्राहक बनकर चारबाग पहुंचा। जिस्मफरोशी के इस धंधे की पड़ताल की। हिडन कैमरे से वीडियो बनाया।
आइए सब कुछ एक तरफ से जानते हैं…
चारबाग स्टेशन के बाहर कार रोकते ही एक महिला शीशे पर आकर खड़ी हो गई।
जगह: चारबाग रेलवे स्टेशन, लखनऊ, समय: रात 10 बजकर 5 मिनट चारबाग रेलवे स्टेशन के बाहर यात्रियों की भीड़ थी। रेलवे अनाउंसमेंट के बीच गाड़ियों के हॉर्न की आवाज आ रही थी। हम स्टेशन से 20 मीटर बाहर निकले ही थे कि एक काले रंग की कुर्ती पहने लड़की कार के सामने आ गई। उसके पीछे से 2 महिलाएं मुंह बांधकर सड़क के उस पार से इस पार आते दिखीं और ऑटो में बैठ गईं।
करीब 20 मिनट तक हम वहीं खड़े रहे।। महिलाएं जिस ऑटो में बैठीं, वह अपनी जगह खड़ा रहा। इस दरम्यान ऑटो में बैठी महिलाओं से बार-बार कुछ मर्द आकर बातें कर रहे थे। हम भी महिलाओं से बात करने के लिए ऑटो के पास पहुंचे। हम कुछ बोलते, इससे पहले ही ऑटो में बैठी एक महिला बोली- हां…बता कहां चलना है? 2 हजार लूंगी। हमने पूछा कहां चलोगी? महिला बोली- हमारे पास होटल का इंतजाम है। हमने कहा- पुलिस आ गई तो? महिला बोली- पुलिस की कोई टेंशन नहीं…पूरी सेटिंग है।
सट्टा खाईवाली करते हुए काबू, मामला दर्ज
महिला की बात सुनकर हमने एक फोन आने का बहाना किया और आगे बढ़ गए। आगे चलकर मेट्रो स्टेशन पहुंचे, तो वहां एक और महिला मुंह बांधे हुए नजर आई। वह भी इधर-उधर देखकर ग्राहकों को तलाश रही थी। कई बाइक सवार उसके पास आए। कुछ बात करके फिर निकल जाएं।
रात होते ही महिलाएं सड़क के किनारे टहलती हैं। इनकी पहचान अलग ही होती है। ग्राहक इनके पास खुद ही पहुंच जाते हैं।
कार में अकेला देखकर गाड़ी में बैठ गई
हमने इस लड़की से बात करने का प्लान बनाया। लेकिन फिर लगा कि किसी सभ्य घर की लड़की हुई, तो दिक्कत हो सकती है। साथ में कोई हुआ, तो हमसे भी लड़ाई हो सकती है। लेकिन उसका हाव-भाव सामान्य नहीं था। इसलिए हमने तय किया कि बात करेंगे। हमने कार उसके बगल में खड़ी की। कार के रुकते ही वह लड़की हमारे पास आ गई। उसने कहा- ‘चलोगे?’ हमने उसके पास पूछा… “कितना रेट है?” तो उधर से सीधा जवाब आया- 2000 रुपए हैं, तो चलूं? लड़की का जवाब सुनते ही समझ में आ गया कि यह सेक्स वर्कर है।
कार का शीशा डाउन किया…बातचीत आगे बढ़ी। हमने कहा- कुछ कम करो? जवाब मिला- ‘नहीं’ जाओ यहां से। उसकी बात सुनकर हमने कहा- अरे गुस्साओ मत, बैठकर बात करते हैं। थोड़ी देर में वह नॉर्मल हुई और कहा, मेरे पास होटल है। होटल पर जाने को मना करते हुए उससे अपनी जगह पर चलने को कहा, तो महिला ने मना कर दिया।
हमारी उस महिला से कई मिनट तक बातचीत चलती रही। हम पैसा कम करवाने पर जोर दे रहे थे, लेकिन उसने कहा कि पहले बात हो चुकी है। कार में रेट फिक्स होने के बाद ही बैठी हूं।
बात न बनने पर हमने महिला को गाड़ी से उतरने को कहा…तो बोलने लगी- नहीं उतरेंगे तुमने बैठाया क्यों? चलो चौकी। इससे आगे की बातचीत नीचे दिए ग्राफिक से समझिए…
हम चौकी जाने से मना करते हैं, तो वह धमकी देने लगती है। इसके बाद उसकी जिद पर मैं कार को चौकी की तरफ बढ़ा देता हूं। गाड़ी चौकी के पास पहुंचती है। वहां पहुंचने पर गाड़ी थोड़ा आगे रुकवाती है। खुद उतरती है और हमें भी वहीं उतरने के लिए कहती है। इसके बाद कहने लगती है कि यहीं खड़े रहो, मैं पुलिस को लेकर आती हूं। महिला के जाते ही वहां कुछ लोग आकर खड़े हो जाते हैं। लेकिन कुछ देर बाद वह भी वहां से चले जाते हैं। करीब 10 मिनट तक मैं खड़ा रहा, लेकिन महिला लौट कर नहीं आई।
स्टेशन के बाहर होटलों से पनप रहा धंधा
जिस्मफरोशी का यह धंधा रात होते ही पूरे चारबाग स्टेशन और आसपास के इलाकों में फैल जाता है। हम आगे बढ़े। एक लड़की फिर से मिली। इस बार गाड़ी को हाथ देकर उसने रुकवाया। फिर कार के पास आकर बोली, 1500 रुपए लगेंगे। हमने इधर-उधर की बात न करते हुए सीधा कहा कि कम करो। उसने 1000 कहा और होटल चलने की बात कही।
हमने होटल का नाम और जगह जाननी चाही। उसने कहा, पहले तुम मोबाइल अंदर रखो। मोबाइल अंदर रखने के बाद उसने कहा कि पास में ही मोहन होटल है, उसके बगल एक और होटल है, अभी उसी में चलना है। किसी बात का डर नहीं। सब सेट है। कोई परेशान करने वाला नहीं होगा। हमने 5 मिनट की बातचीत के बाद किसी तरह से उसे उतार दिया।
मास्क लगाकर करती हैं कार सवार का इंतजार
लड़की के जाने के बाद हम वापस आने के लिए आगे बढ़ते हैं। चौराहे से थोड़ा ही आगे बढ़े थे कि ऑटो स्टैंड के पास सलवार-सूट में दो-तीन महिलाएं दिखती हैं। सभी ने मुंह पर मास्क लगा रखा था। उनके सामने गाड़ी रोकी। सबने गाड़ी की तरफ देखा कि अकेला व्यक्ति है। तो सब खुद कार के पास आ गईं।
किन्नर भी महिला बनकर करते हैं जिस्म का सौदा
बातचीत में मास्क लगाई महिला ने 1000 रुपए बोला। तभी पीछे से बिना मास्क के सलवार-सूट में एक महिला आई और बातचीत करने लगी। बातचीत में ये पता चल गया था कि सलवार-सूट में वह महिला नहीं, बल्कि किन्नर है। उसने कहा कि 500 रुपए। इतना कहने के बाद वह गाड़ी में बैठ गया। तुरंत ही 500 रुपए मांगने लगा। हमने मना किया, तो वह उल्टी-सीधी बातें करने लगा और मारपीट की धमकी देने लगा।
घटना के बाद गाड़ी से उतर कर वहां खड़े ऑटो ड्राइवर से बात करते हैं। तो पता चलता है कि इनके बारे में पुलिस को जानकारी है। पुलिस कभी-कभी इन्हें भगाती भी है, लेकिन ये फिर वापस आ जाते हैं। साथ ही बताते हैं कि अकेले व्यक्ति को पकड़कर मारपीट करना और पैसे ऐंठना इनका रोज का काम है।
इनके चंगुल में फंसा व्यक्ति शर्म के मारे थाने नहीं जाता है। इसकी वजह से इनका मन और बढ़ गया है। हमने पूछा- आप लोग विरोध नहीं करते? इस पर कहने लगे कि हम लोग ऑटो चलाएं या विरोध करें। सवारी के लिए खड़े रहते हैं, सवारी मिलते ही निकल जाते हैं। इनके मुंह लगकर क्या करेंगे।
जिस्मफरोशी की ये घटनाएं जहां हो रही हैं, वहां से करीब 200 मीटर में दो पुलिस चौकियां हैं। दोनों ही जगह हमने देखा कि सिपाही मौजूद हैं, लेकिन ऐसी घटनाओं से अनजान बने बैठे हैं। हमने सिपाही से कहा कि यहां इस तरह के धंधे चल रहे हैं। उनका जवाब आता है कि यह आज से नहीं है।
सेक्स वर्कर्स के जाल में फंसा व्यक्ति पुलिस के पास नहीं जाता
पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं करती? इस सवाल का जवाब हमें यूपी पुलिस से रिटायर्ड इंस्पेक्टर राम नरेश ने बताया, “सेक्स वर्कर्स के जाल में फंसा व्यक्ति पुलिस के पास आता ही नहीं है। वह डरता है कि पुलिस कहीं उसी के खिलाफ कार्रवाई न कर दे। ऐसे में जब पुलिस के पास मामला नहीं आता, तो कार्रवाई हो ही नहीं पाती।”
फिलहाल जिस्मफरोशी के इस बिजनेस में सैकड़ों लड़कियां और हजारों दलाल शामिल हैं। होटल के अपने कमीशन हैं। सुरक्षा देने वाले और झगड़ा करने वाले दलालों के अपने कमीशन हैं। रोज सैकड़ों लोग इनके जाल में फंसते हैं और जेब खाली करके जाते हैं। पुलिस अगर अपनी जिम्मेदारी समझे, तो ये लोग ट्रैप होने से बच जाएंगे।
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