हिंद महासागर को सुरक्षा देगा INS-विक्रांत जैसा दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर: 40 हजार करोड़ में बनेगा, ये बना तो हम चीन की बराबरी कर लेंगे

साल 1971 की जंग में INS विक्रांत ने अपने सीहॉक लड़ाकू विमानों से बांग्लादेश के चिटगांव, कॉक्स बाजार और खुलना में दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर दिया था।

नौसेना ने रक्षा मंत्रालय को INS-विक्रांत जैसा देश का दूसरा स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर-2 के निर्माण का प्रस्ताव दिया है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, यह एयरक्राफ्ट INS-विक्रांत बनाने वाली केरल के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) से ही बनवाया जाएगा।

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45 हजार टन के एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने में 40 हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च आएगा। प्रस्ताव को पहले रक्षा खरीद बोर्ड, रक्षा अधिग्रहण परिषद और आखिर में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सुरक्षा कैबिनेट समिति फाइनल करेगी।

IAC-2 बनाने की मांग से जुड़ी बड़ी बातें

  • बजट के कारण छोटे वॉरशिप को चुनना पड़ा: भारतीय नौसेना ज्यादा ताकतवर और न्यूक्लियर ऑपरेटेड 65 हजार टन का जहाज चाहती थी, जो 30 से ज्यादा एयरक्राफ्ट ले जाने में सक्षम हो। लेकिन कम बजट ने छोटे और इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन IAC-2 को चुनने पर मजबूर कर दिया।
  • मंजूरी मिली तो 8-10 साल में तैयार हो जाएगा: सुरक्षा कैबिनेट कमेटी की मंजूरी मिलने और कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के बाद कोचीन शिपयार्ड को IAC-2 बनाने में 8-10 साल लगेंगे। नौसेना को उम्मीद है कि तब तक DRDO का स्वदेशी ट्विन-इंजन डेक-बेस्ड फाइटर (TEDBF) भी ऑपरेशन के लिए तैयार हो जाएगा।
  • दूसरा एयरक्राफ्ट बना तो चीन की बराबरी कर लेंगे: चीन के पास अभी तीन एयरक्राफ्ट करियर लियाओनिंग, शेडोंग और फुजियान हैं। वह 2 और एयरक्राफ्ट कैरियर बना रहा है। इसलिए, हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत की मजबूत पकड़ के लिए नौसेना तीन एयरक्राफ्ट कैरियर तैनात करना चाहती है।

2 सितंबर 2022 को विक्रांत को नौसेना में शामिल किया गया था।

अभी भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर जहाज
भारतीय सेना के पास फिलहाल दो एयरक्राफ्ट कैरियर जहाज हैं। एक रूस का INS विक्रमादित्य और दूसरा INS विक्रांत है। दोनों दुनिया के 10 सबसे बेहतर एयरक्राफ्ट कैरियर वॉरशिप में शुमार हैं।

देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत, CSL ने ही बनाया था। पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे नौसेना को आधिकारिक तौर पर सौंप दिया था।

44 हजार टन के INS विक्रांत को लगभग 20 हजार करोड़ की लागत में बनाया गया था। यह वॉरशिप 2024 की शुरुआत तक पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार हो जाएगा।

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31 जनवरी 1997 को नेवी से रिटायर हुए INS विक्रांत का करीब 25 साल बाद पुनर्जन्म हुआ। PM नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर 2022 की सुबह 10.45 बजे देश में बने इस सबसे बड़े युद्धपोत को नौसेना के हवाले कर दिया। पढ़ें पूरी खबर…

 

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