हरियाणा में लंपी नामक बीमारी अभी शुरूआती दौर में है: श्रवण कुमार गर्ग

बीमारी को लेकर सरकार, गौसेवा आयोग व पशुपालन विभाग है अलर्ट
प्रदेश का 6000 गौवंश है बीमारी से प्रभावित
सबसे ज्यादा सिरसा, कैथल व अंबाला जिले प्रभावित

एस• के • मित्तल 
सफीदों,      हरियाणा में लंपी नामक बीमारी अभी शुरूआती दौर में है तथा सरकार, गौसेवा आयोग व पशुपालन विभाग पूरी तरह से अलर्ट पर है। यह बात हरियाणा गौसेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण कुमार गर्ग ने कही। वे यहां अपने कैंप आफिस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
पत्रकार वार्ता से पूर्व चेयरमैन श्रवण कुमार गर्ग ने क्षेत्र की कई गौशाला का भी दौरा किया और वहां के प्रतिनिधियों से हालातों को जाना। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि लंपी नामक बीमारी ने अफ्रीकी देशों से शुरू होकर पाकिस्तान के रास्ते भारत में प्रवेश किया है। इस बीमारी ने गुजरात, राजस्थान व पंजाब में भयंकर रूप दिखाया है तथा अब हरियाणा में अपने पांव पसारने शुरू किए हैं। इस बीमारी की आहट भर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल, कृषि मंत्री जेपी दलाल, वे स्वयं तथा पशुपालन विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। उन्होंने बताया कि हरियाणा में अभी यह बीमारी विकराल स्थिति में नहीं है। सबसे ज्याया प्रभावित जिले सिरसा, कैथल व अंबाला है। सीएम मनोहर लाल ने इस बीमारी से निपटने के लिए विशेष रूप से निर्देश जारी किए हुए हैं।
हरियाणा गौसेवा आयोग व पशुपालन विभाग की टीम दिन रात मेहनत कर रही है। वे स्वयं भी प्रदेश के अनेक जिलों की गौशालाओं का दौरा कर चुके हैं तथा अधिकारियों से बैठकर करके उन्हे आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक करीब 6000 गोवंश इस बीमारी से पीडि़त है तथा करीब 50 गोवंश की मृत्यु हो चुकी है। अगर स्थिति को इसी प्रकार से काबू रख लिया गया तो हालात आगे खराब नहीं होंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश की गौशालाओं में इस बीमारी से संबंधित दवाइयां भेज दी गई है तथा गोवंश के वैक्सीनेशन का कार्य शुरू करवा दिया गया है। सबसे ज्यादा प्राथमिकता उन गौशालाओं को दी जा रही है जहां पर यह बीमारी दस्तक दे चुकी है।
सड़कों पर बेसहारा फिरते गोवंश के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस इस समस्या से निजात के लिए जिला व उपमंडल स्तर पर अधिकारियों से बैठक हो चुकी है तथा जैसे ही इस लंबी नामक बीमारी से छुटकारा मिलेगा तत्काल बेसहारा गोवंश को सड़कों से गौशालाओं व नंदीशालाओं में व्यवस्थित रूप से आश्रय दिया जाएगा। इसके लिए कई स्थानों पर टेंडर की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। उन्होंने गौशालाओं के अध्यक्षों व गौभक्तों से अनुरोध किया कि वे पीडि़त गोवंश को अलग से रखकर उनका इलाज करें, उन्हे उचित खानपान दिया जाए, फिटकरी, नीम व डेटॉल का स्प्रे करवाएं ताकि यह बीमारी से जल्द से जल्द छुटकारा पाया जा सके। किसी भी दिक्कत में उनसे किसी भी वक्त संपर्क साधा जा सकता है।

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